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एकबार फिर जगी उम्मीद, यूपी-उत्तराखंड के बीच सुलझेगा परिसंपत्तियों मुद्दा

उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के बीच लंबे समय से परिसंपत्तियों के बंटवारे का विवाद चला आ रहा है। जिसको लेकर अब उम्मीद है कि ये विवाद जल्द सुलझेेगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 16 Jan 2018 03:20 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jan 2018 09:03 PM (IST)
एकबार फिर जगी उम्मीद, यूपी-उत्तराखंड के बीच सुलझेगा परिसंपत्तियों मुद्दा

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल पर दोनों प्रदेशों के बीच सहमति बनने के बाद अब दोनों प्रदेशों के बीच लंबित अन्य परिसंपत्तियों के बंटवारे की राह प्रशस्त होती नजर आ रही है। इस दिशा में दोनों प्रदेशों के बीच लगातार चल रही बैठकें इस ओर संकेत भी दे रहे हैं। 

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राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। प्रदेश के कई विभाग ऐसे हैं जिनमें परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर अभी तक एक राय नहीं बन पाई है। बीते वर्ष इस दिशा में कदम तो उठे लेकिन इनका असर धरातल पर कहीं नजर नहीं आया। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद बीते वर्ष से इस दिशा में कुछ तेजी देखी गई है। 

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से 17 वर्ष बाद 36 सिंचाई नहरों को उत्तराखंड को सौंपे जाने से इस दिशा में सकारात्मक संकेत मिले। इसके बाद दो से अधिक बार परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री स्वयं बैठक कर चुके हैं। शेष मसलों पर लगातार सचिव स्तर के अधिकारियों की बैठक हो रही है। हालांकि, अभी भी कई मसले ऐसे हैं जिन पर दोनों प्रदेशों के विभागों के बीच सहमति नहीं हो पा रही है। माना जा रहा है कि इनमें भी निकट भविष्य में सकारात्मक हल निकलने की उम्मीद है। 

विभाग जिनके लंबित हैं मामले 

सिंचाई विभाग: उत्तर प्रदेश को अभी भी गेस्ट हाउस और 214 हेक्टेयर भूमि को उत्तराखंड सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करना है। 

ग्राम्य विकास: उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को उत्तराखंड सरकार की ओर से निर्बल आवास योजनाओं के अंतर्गत ऋण समाधान व ऋण देनदारी का मसला लंबित है। 

पंचायती राज: उत्तर प्रदेश रिवाल्विंग फंड में उत्तराखंड के 13 जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज पर अभी तक कोई राय नहीं बन पाई है। 

औद्योगिक विकास विभाग: उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग को अनुबंध के अनुसार बकाया ब्याज के 15 करोड़ से अधिक धनराशि पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। 

तराई बीच एवं तराई विकास परिषद- परिषद को उत्तर प्रदेश से अभी तक 8.80 करोड़ की धनराशि पर सहमति नहीं। 

उत्तराखंड बहुद्देशीय वित्त विकास निगम - उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास विकास निगम और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा वर्ष 2000 की बैलेंस शीट के आधार पर होना है। यह मामला भी अभी लंबित है। 

परिवहन निगम- लखनऊ जिला मुख्यालय और दिल्ली स्थित राज्य अतिथि गृह की परिसंपत्ति का बंटवारा अभी तक लंबित है। 

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