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    क्या आपको पता है... प्रयागराज में 12 जोड़ी महत्वपूर्ण ट्रेनें नहीं रुकतीं, अब नई राजधानी एक्सप्रेस से भी मायूसी, क्या है कारण

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 02:01 PM (IST)

    प्रयागराज उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर होने के बावजूद कई प्रमुख ट्रेनों के ठहराव से वंचित है। पिछले 10 वर्षों से यहां 12 जोड़ी ट्रेनों के ठहराव की मांग की जा रही है। अब नई सैरांग-आनंद विहार राजधानी एक्सप्रेस भी प्रयागराज में नहीं रुकेगी जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है।

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    नई राजधानी एक्सप्रेस प्रयागराज से होकर गुजरेगी लेकिन यहां नहीं रुकेगी।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रयागराज, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर, जहां की रेलवे जंक्शन पर हर दिन सैकड़ों ट्रेनें दौड़ती हैं। फिर भी, यह शहर कई महत्वपूर्ण ट्रेनों के ठहराव से वंचित है। पिछले दस सालों से प्रयागराज जंक्शन पर 12 जोड़ी प्रमुख ट्रेनों, जैसे सियालदाह-नई दिल्ली, अगरतला-नई दिल्ली और रांची-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, के ठहराव की मांग उठ रही है।

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    हालांकि इन मांगों पर बार-बार प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। अब एक नई राजधानी एक्सप्रेस, सैरांग-आनंद विहार, 19 सितंबर 2025 से शुरू हो रही है, लेकिन यह भी प्रयागराज में नहीं रुकेगी। आइए, इस मुद्दे को समझें और जानें कि आखिर क्यों इस शहर की मांग को अनसुना किया जा रहा है।

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    10 सालों का इंतजार

    प्रयागराज जंक्शन से हर दिन 272 ट्रेनें गुजरती हैं, जिनमें 66 ट्रेनें रोजाना चलती हैं। इनमें से 12 जोड़ी यानी 24 ट्रेनें ऐसी हैं, जो बिना रुके निकल जाती हैं। इनमें राजधानी, दुरंतो, और संपर्क क्रांति जैसी प्रीमियम ट्रेनें शामिल हैं। ये ट्रेनें न तो प्रयागराज जंक्शन पर रुकती हैं और न ही पास के सूबेदारगंज या नैनी छिवकी स्टेशनों पर। स्थानीय लोग, व्यापारी और संगठन लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि इन ट्रेनों का ठहराव हो, लेकिन रेलवे बोर्ड ने कोई कदम नहीं उठाया।

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    13 सितंबर से चलेगी नई सैरांग-आनंद विहार राजधानी एक्सप्रेस

    नई सैरांग-आनंद विहार राजधानी एक्सप्रेस (20507/20508) का उद्घाटन 13 सितंबर को होगा, और नियमित सेवा 19 सितंबर से शुरू होगी। यह ट्रेन मिजोरम के सैरांग से दिल्ली के आनंद विहार तक 2,510 किमी का सफर तय करेगी। यह पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (डीडीयू) और कानपुर सेंट्रल पर रुकेगी, लेकिन प्रयागराज को फिर अनदेखा किया गया है। इससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।

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    प्रयागराज का महत्व

    प्रयागराज केवल एक शहर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र है। कुंभ मेला जैसा विश्व प्रसिद्ध आयोजन यहीं होता है। यह उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र भी है। फिर भी, यहां से गुजरने वाली प्रमुख ट्रेनों का ठहराव न होना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है। दिल्ली, कोलकाता या अन्य बड़े शहरों की यात्रा के लिए लोगों को डीडीयू या कानपुर जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है।

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    ये ट्रेनें प्रयागराज नहीं रुकतीं

    - 20501/20502 : नई दिल्ली-अगरतला राजधानी एक्सप्रेस

    - 12313/12314 : सियालदाह-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस

    - 20839/20840 : रांची-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस

    - 12393/12394 : राजेंद्र नगर-नई दिल्ली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस

    - 12259/12260 : बीकानेर-सियालदाह दुरंतो एक्सप्रेस

    - 12329/12330 : सियालदाह-आनंद विहार, बंगाल संपर्क क्रांति एक्सप्रेस

    - 12379/12380 : सियालदाह-अमृतसर एक्सप्रेस

    - 12825/12826 : रांची-आनंद विहार एक्सप्रेस

    - 12819/12820 : भुवनेश्वर-आनंद विहार, ओडिशा संपर्क क्रांति एक्सप्रेस

    - 12273/12274 : नई दिल्ली-हावड़ा एक्सप्रेस

    - 12281/12282 : भुवनेश्वर-नई दिल्ली, हमसफर एक्सप्रेस

    - 12367/12368 : दिल्ली-भागलपुर, विक्रमशिला एक्सप्रेस

    ये ट्रेनें तेज और आरामदायक यात्रा के लिए जानी जाती हैं, लेकिन प्रयागराज के लोग इनका लाभ नहीं ले पा रहे। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों?

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    नई राजधानी एक्सप्रेस 

    सैरांग-आनंद विहार राजधानी एक्सप्रेस साप्ताहिक ट्रेन है, जिसमें 20 डिब्बे होंगे, एक फर्स्ट एसी, चार एसी 2-टियर, बारह एसी 3-टियर, एक पैंट्री कार और दो पावर कार। यह ट्रेन 42-43 घंटे में 2,510 किमी का सफर तय करेगी, औसत गति 58-59 किमी प्रति घंटा होगी। गुवाहाटी में लोकोमोटिव बदलाव (डीजल से इलेक्ट्रिक) होगा। यह गुवाहाटी, न्यू जलपाईगुड़ी, मालदा टाउन, पटना और डीडीयू जैसे स्टेशनों पर रुकेगी, लेकिन प्रयागराज में नहीं।

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    ठहराव क्यों नहीं होता

    रेलवे बोर्ड का यह रवैया कई सवाल खड़े करता है। क्या प्रयागराज में ठहराव से ट्रेनों की गति प्रभावित होगी? क्या जंक्शन पर बुनियादी ढांचे की कमी है? या फिर अन्य स्टेशनों को प्राथमिकता देने के पीछे कोई राजनीतिक या आर्थिक कारण हैं? रेलवे बोर्ड की चुप्पी से असंतोष बढ़ रहा है। स्थानीय लोग तर्क देते हैं कि प्रयागराज में ठहराव से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, व्यापार आसान होगा और यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी। डीडीयू या कानपुर तक अतिरिक्त यात्रा से समय और पैसे की हानि होती है।

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    क्या प्रयागराज पीछे छूट रहा 

    यह मुद्दा सिर्फ असुविधा का नहीं, बल्कि न्याय का है। जब छोटे स्टेशनों को प्राथमिकता मिलती है, तो प्रयागराज जैसे महत्वपूर्ण शहर को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? नई राजधानी का डीडीयू पर रुकना, लेकिन प्रयागराज में नहीं, लोगों को हैरान करता है।

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    नागरिकों के मन में सवाल

    क्या रेलवे बोर्ड इस मांग पर कभी ध्यान देगा? क्या प्रयागराज जंक्शन का बुनियादी ढांचा अपग्रेड होगा? क्या जन दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप से बदलाव आएगा? फिलहाल, प्रयागराज इंतजार में है, उसकी आवाज रेलवे के गलियारों में गूंज रही है, लेकिन जवाब का इंतजार बाकी है।

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    क्या कहते हैं रेलवे के अधिकारी

    मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी के अनुसार, ट्रेन का शेड्यूल तय है। सैरांग से 19 सितंबर और आनंद विहार से 21 सितंबर को यह शुरू होगी। लेकिन प्रयागराज को ठहराव न मिलने से सवाल उठ रहे हैं।