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    ट्रेड शो ग्रेटर नोएडा स्टार्टअप ने रचा इतिहास, मेडिकल ट्रेनिंग के लिए तैयार किया 95% रियल सिम्युलेटर

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 09:50 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के वन सिमुलेशन ने मेडिकल छात्रों के लिए कटिंग एज मेडिकल ट्रेनिंग सिमुलेटर्स सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम छात्रों को डिलीवरी और सीटी स्कैन का प्रशिक्षण वास्तविक जैसा कराएगा। हाइग्रेड सिलिकॉन से बने इस सिस्टम में सेंसर अलर्ट से गलतियों का पता चलेगा। यह फेटल थेरैपी सिमुलेटर का प्रशिक्षण भी देगा।

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    छात्रों को प्रशिक्षण में रियल जैसा महसूस कराएगा कटिंग एज मेडिकल ट्रेनिंग सिमुलेटर्स

    आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। देश में रोजाना लाखों मेडिकल के छात्र पढ़ाई के दौरान डिलीवरी और सीटी स्कैन का प्रशिक्षण कर रहे हैं, लेकिन इन्हें अभी तक प्रशिक्षण में वास्तविक जैसा महसूस नहीं होता है। इससे छात्रों को कार्य करने के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं को खत्म करने के लिए ग्रेटर नोएडा के वन सिमुलेशन ने कटिंग एज मेडिकल ट्रेनिंग सिमुलेटर्स सिस्टम बनाया है। यह छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान वास्तविक जैसा महसूस कराएंगे। इसमें बेबी मैनक्विन फार वेजाइनल डिलीवरी ट्रेनिंग और एआइ आधारित रेडिएशन फ्री सीटी सिम्युलेटर सिस्टम तैयार किया है।

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    वास्तविक जैसा महसूस कराएगा

    यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में स्टाॅल पर वन सिमुलेशन ने कटिंग एज मेडिकल ट्रेनिंग सिमुलेटर्स सिस्टम को प्रदर्शित किया है। इसमें बेबी मैनक्विन (पुतला) फार वेजाइनल डिलीवरी ट्रेनिंग तैयार किया है। इनका दावा है कि इस तरह का भारत की ओर से दुनिया का पहला सिस्टम तैयार किया गया है, जो छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान वास्तविक जैसा महसूस कराएगा।

    वेजाइनल डिलीवरी ट्रेनिंग सिस्टम तैयार 

    कंपनी के सीईओ अंकुर श्रीवास्तव ने बताया कि हाइग्रेड सिलकांन से तैयार किया गया है। अभी तक जो जर्मनी-चीन समेत अन्य देशों में तैयार किया जाता है वह प्लास्टिक से तैयार होता है। इस कारण यह छात्रों को वास्तविक जैसा महसूस नहीं करा पाते हैं और जो उनके यहां पर बेबी मैनक्विन (पुतला) फार वेजाइनल डिलीवरी ट्रेनिंग सिस्टम तैयार किया गया है।

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    उन्होंने बताया कि यह सामान्य मानव तंत्र के जैसा है। इसमें रक्त का संचार भी किया जा सकता है। इससे छात्रों को डिलीवरी के दौरान बिल्कुल वास्तिवक जैसा महसूस होगा। डिलीवरी के दौरान होने वाली हर समस्या को आसानी से समझ सकेंगे।

    उन्होंने आगे कहा कि यह पूरी तरह से मेक इन इंडिया इनोवेटर है। इसके माध्यम से दिखाया गया है कि विश्व स्तरीय सिमुलेटर चिकित्सा प्रशिक्षण को बदल रहे हैं और सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को खत्म कर रहे हैं।

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    10 से 12 वर्षों तक कर सकते हैं उपयोग

    हाइग्रेड सिलकांन से तैयार बेबी मैनक्विन फार वेजाइनल डिलीवरी ट्रेनिंग सिस्टम के माध्यम से सामान्य की जाने वाली हर तरह की डिलीवरी का प्रशिक्षण किया जा सकता है। जैसे पोस्टपार्टम डिलीवर और शोल्डर डिस्टोसिया डिलीवरी आदि का प्रशिक्षण ले सकेंगे। यह पुतला करीब 10 से 12 वर्षों तक उपयोग में लाया जा सकता है।

    गलतियों को सेंसर अलर्ट करके बताएंगे

    सीटी स्कैन का प्रशिक्षण हासिल करने वाले छात्रों को रोजाना मशीनों का रेडिएशन का सामना करना पड़ता है। इससे छात्रों में करीब पांच प्रतिशत कैंसर होने का खतरा रहता है। साथ ही छात्रों को पता ही नहीं चलता है कि वह सीटी स्कैन में क्या गलत कर रहे हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए एआई आधारित रेडिएशन फ्री सीटी सिम्युलेटर सिस्टम तैयार हुआ है। यहां पर जब छात्र प्रशिक्षण हासिल करेंगे तो उनके द्वारा की जाने वाली गलतियों को सेंसर अलर्ट करके बताएंगे।

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    ट्रेनिंग के बाद देगा रिपोर्ट

    प्रशिक्षण पूरा होने के बाद स्कोर दिखाई देगा, जिसमें छात्रों को पता चल सकेगा कि वह कितना काम सही कर पा रहे हैं कहां गलती उनसे लगातार हो रही है। इससे उन्हें कम समय में बेहतर प्रशिक्षण मिलने के साथ ही बेहतर काम सीखने का मौका मिलेगा। इसमें फेटल थेरैपी सिमुलेटर, सीटी सिमुलेटर और वैजाइनल डिलीवरी सिमुलेटर का प्रशिक्षण ले सकते हैं। यह 95 प्रतिशत वास्तविक जैसा महसूस कराता है।

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