गंगा ने खतरा बिंदु किया पार तो दूल्हे ने थाम ली पतवार, बक्सर से बलिया तक नाव से पहुंचे बाराती, देखें वीडियो...
बलिया जिले में गंगा नदी में बाढ़ के बावजूद एक दूल्हा नाव से बारात लेकर निकला। बिहार के बक्सर जिले से आई यह बारात बेयासी गांव जा रही थी। बाढ़ के कारण सड़कें जलमग्न थीं इसलिए नाव का सहारा लिया गया। इस अनोखी बारात को देखने के लिए ग्रामीण नदी के किनारे जमा हो गए।

जागरण संवाददाता, बलिया। गंगा की विकट हो चली धारा से जीवन का किनारा भला कैसे हो और जब बात शादी के आयोजन और बाढ़ से बढ़ी दूरी का सवाल हो तो चुनौतियों को पार पाने के लिए कलेजा भी बड़ा करना पड़ता है। बाढ़ के तेज वेब में नौकाएं मुश्किल से चल पा रही हैं वहीं एक दूल्हे ने अपनी बारात तक नाव पर निकाल ली।
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पूरा मामला बलिया जिले का है जहां पर गंगा खतरा बिंंदु को पार कर चुकी हैं तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में बाढ़ से सड़कें जलमग्न होने के बाद विवाह को तय तिथि पर ही पूर्ण करने के लिए नाव से ही बरात लेकर दूल्हा निकल पड़ा। दूल्हे के साथ परिजन भी नौका पर दूल्हन को ब्याहने निकले तो अनोखी बारात इंटरनेट मीडिया पर भी खूब प्रसारित हो गई।
बलिया जिले में खतरा बिंदु पार कर चुकी गंगा की लहरों पर बरात बिहार से आई तो गांव में खूब चर्चा होने लगी। परिजनों ने बताया कि पहले से शादी तय थी इसलिए बाढ़ की स्थिति होने पर नाव का सहारा लेना पड़ा। #Balia #Bihar #Ganga #wedding #Boatwedding #Varanasi pic.twitter.com/YxYRVWDep8
— Abhishek sharma (@officeofabhi) August 7, 2025
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बलिया जिले में गंगा नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण सड़कों पर पानी भर जाने के कारण बिहार से एक बारात नाव पर सवार होकर बाढ़ प्रभावित एक गांव में पहुंची, जिससे एक पारंपरिक कार्यक्रम एक चर्चा के केंद्र में बदल गया, नाव पर सवार होकर पहुंचे बारातियों को देखकर ग्रामीण भी आश्चर्यचकित रह गए।
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दरअसल बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले राजेश कुमार की बुधवार को यहां बेयासी गांव में शादी होने वाली थी। लेकिन जैसे ही तैयारी चल रही थी, क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया और बलिया की सभी सड़कें बाढ़ की वजह से दूभर हो गई हैं।
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दूल्हे के पिता, कमलेश राम ने कहा, "ऐसा लग रहा था कि बाढ़ ने शादी पर मानो ग्रहण लगा दिया है। लेकिन इसे रद्द करना कोई विकल्प नहीं था। इसलिए, हमने नाव से बारात ले जाने का फैसला किया।"
बुधवार को गंगौली गांव में तटबंध के पास से बारात निकली। पारंपरिक पोशाक पहने दूल्हा रंग-बिरंगी सजी हुई नाव पर बैठा था, जबकि लगभग 25 रिश्तेदार और मेहमान दो अलग-अलग नावों पर उसके साथ थे।
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हालांकि वहां कोई म्यूजिक सिस्टम या संगीत बैंड नहीं था, लेकिन पानी की लयबद्ध फुहारें और मंत्रोच्चार ने इस कार्यक्रम को एक अनूठा आकर्षण प्रदान किया। राम ने कहा कि "शादी की तारीख बहुत पहले तय हो गई थी। हमने बाढ़ की इस स्थिति को स्वीकार करने का फैसला किया। मां गंगा की लहरों ने इस शादी को अविस्मरणीय बना दिया।" इस असामान्य दृश्य को देखने के लिए उत्सुक ग्रामीण नदी तट पर एकत्र हुए। कई लोगों ने बारात के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं।
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