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    स्वामी प्रसाद मौर्य पर रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक बयान पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 04:42 PM (IST)

    स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने कैंट पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। वकील अशोक कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मौर्य के बयान से संज्ञेय अपराध बनता है जिसके लिए पुलिस द्वारा साक्ष्य जुटाना आवश्यक है।

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    स्वामी प्रसाद मौर्य पर आपत्तिजनक बयान पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश द‍िया गया है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। एक इंटरव्यू में स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा गोस्‍वामी तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ (एमपी-एमएलए) नीरज कुमार त्रिपाठी की अदालत ने प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का कैंट पुलिस को आदेश दिया है।

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    चेतगंज थानांतर्गत रंगिया महाल, अंधरापुल निवासी वकील अशोक कुमार की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा प्रथम दृष्टया ऐसे संज्ञेय अपराध का कारित किया जाना दर्शित हो रहा है जिसमें पुलिस के माध्यम से साक्ष्य संकलित कराया जाना आवश्यक है।

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    प्रार्थना पत्र में अशोक कुमार का आरोप है कि धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्तिजनक बयान दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इंटरव्यू में बयान दिया था कि तुलसीदास ने अपनी प्रसन्नता,खुशी के लिए रामचरित मानस लिखा है। करोड़ों हिंदू रामचरित मानस पढ़ते हैं यह सब बकवास है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस पुस्तक से आपत्तिजनक अंश को हटा दिए जाए या फिर इस पूरी पुस्तक को बैन कर देना चाहिए।

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    उनका यह बयान मिडिया चैनलों व अखबारों में 22 और 23 जनवरी 2023 को प्रमुखता से प्रकाशित हुआ। उनका ऐसा दिया गया वक्तव्य समाज को धर्म एवं जाति में विभाजित और एक-दूसरे के प्रति घृणा पैदा करने वाला है। पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर उसने 21 मार्च 2023 को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम (एमपी-एमएलए) की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाख़िल किया।

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    इस प्रार्थना पत्र को पोषणीय नहीं होने के आधार पर अदालत ने 17 अक्टूबर 2023 को निरस्त कर दिया। इस आदेश के खिलाफ अशोक कुमार ज़िला जज के यहाँ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाख़िल की। इस पर सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) कोर्ट यजुवेन्द्र विक्रम सिँह की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया। इस याचिका पर स्वामी प्रसाद मौर्य की तरफ से लिखित आपत्ति भी दाख‍िल की गयी।

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    दोनों पक्षों की बहस सुनने और पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने नौ मई 2025 को प्रार्थना पत्र पर फिर से सुनवाई कर विधिनुसार आदेश पारित करने का अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ (एमपी-एमएलए) को निर्देश दिया। अदालत में प्रार्थी अशोक कुमार की ओर से अधिवक्ताओं नदीम अहमद खान, मनोज कुमार, विवेक कुमार ने पक्ष रखा।

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