मंत्रियों व मुख्य सचिव में कहासुनी पर गर्माई पंजाब की सियासत, जानें विवाद की पूरी कहानी
पंजाब में कुछ मंत्रियों और मुख्य सचिव की शराब ठेकों की नीलामी के मुद्दे पर तीखी बहस पर सियासत गर्मा रही है। इस विवाद की नौकरशाही व नेताओं में टकराव माना के रूप में देखा जाता है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की आबकारी नीति पर शनिवार को बुलाई गई प्री-कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों और मुख्य सचिव (Chief Secretary) करण अवतार सिंह के बीच हुई जोरदार बहस पर सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस नेता विवाद पर बंट गए हैं। लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने मुख्य सचिव का पक्ष लिया है और मंत्रियों से इस्तीफा देने तक को कह दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अमरिंदर सिंह वडिंग ने मुख्य सचिव पर निशाना साधा है। दूसरी ओर, मंत्रियों ने आगे मुख्य सचिव के साथ बैठक में शामिल होने से इन्कार कर दिया है।
मंत्रियों ने कहा, चीफ सेक्रेटरी से नहीं सीएम से ही करेंगे बैठक
इस हंगामे के बाद कई मंत्री नाराज हैं। उन्होंने साफ कह दिया है कि वे अगली बैठक चीफ सेक्रेटरी के साथ नहीं करेंगे। मंत्रियों ने कहा है कि वे अब सिर्फ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ ही चर्चा करेंगे। बता दें कि यह बैठक अब 11 मई को होनी है।
कांग्रेस सांसद बिट्टू ने मांगा मंत्रियों का इस्तीफा
लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने चीफ सेक्रेटरी का पक्ष लेते हुए अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर निशाना साधा है। उन्होंने मंत्रियों से इस्तीफा देने तक की मांग कर डाली। उन्होंने ट्वीट करके कहा, 'मंत्रियों का चीफ सेक्रेटरी के साथ बहस कर प्री कैबिनेट की बैठक छोड़ कर जाना इस तरह है जैसे कोई जज एडवोकेट से बहस कर कोर्ट रूम से चला जाए। अगर उनकी नजर में नौकरशाही अक्षम है तो उन्हेें अधिकारियों की जगह लेनी चाहिए थी और बाहर नहीं जाना चाहिए था।'
बिट्टू ने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, 'कोरोना जैसी महामारी के दौरान मंत्रियों और नौकरशाहों के बीच समन्वय मजबूत होना चाहिए, लेकिन प्री-कैबिनेट मंत्रिमंडल की बैठक से बाहर जाने वाले मंत्रियों को अपने व्यवहार के लिए इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि कई अन्य लोग दबाव में काम करने के लिए सक्षम हैं और उनकी जगह लेने के लिए तैयार हैं।'
चीफ सेक्रेटरी को नायब तहसीलदार लगाया जाए: वडि़ंग
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग ने मुख्य सचिव करण अवतार सिंह को आड़े हाथ लिया है। मुख्य सचिव पर निशाना साधते हुए वडिंग ने कहा कि उनका व्यवहार उचित नहीं है। उन्हें इस पद से इस्तीफा देना चाहिए। पंजाब सरकार उन्हें नायब तहसीलदार नियुक्त करे।
प्री-कैबिनेट बैठक में जमकर हुआ था हंगामा, मनप्रीत बादल व चरणजीत सिंह चन्नी चले गए थे बाहर
बता दें कि शनिवार को पंजाब कैबिनेट की बैठक से पहले आबकारी नीति को लेकर बैठक हो रही थी। इसमें मंत्रियों के साथ मुख्य सचिव करण अवतार सिंह व अन्य वरिष्इ अधिकारी मौजूद थे। इसी दौराना मंत्रियों और मुख्य सचिव के बीच तीखी बहस हो गई। इस पर हंगामा हो गया। हंगामा इतना बढ़ गया कि नाराज वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी बैठक छोड़ कर चले गए। बैठक में शराब ठेकों की नीलामी पर निर्णय होना था।
करण अवतार ने कहा- नीति अफसर बनाते हैं, कैबिनेट तो सिर्फ पास करती है
स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा व चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने नाराज मंत्रियों को मनाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। उनके जाते ही दूसरे मंत्री भी चीफ सेक्रेटरी पर जमकर भड़क उठे। खासतौर जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा ने तो पूरी भड़ास निकाली। मंत्रियों की नाराजगी की वजह से दो बजे होने वाली कैबिनेट की बैठक भी नहीं हो सकी। अब यह बैठक 11 जून को होगी।
ठेकों को नीलाम करने की नीति में दिए गए थे तीन विकल्प
दरअसल, पंजाब के कर एवं आबकारी विभाग ने लॉकडाउन के बाद नए सिरे से ठेकों को नीलाम करने की नीति तैयार की थी, जिसमें तीन विकल्प दिए गए थे। चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने बैठक की शुरुआत में ही नीति की डिटेल पढऩी शुरू कर दी। इस पर तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने कहा कि जब आपने फैसला कर ही लिया है तो हमें यहां किसलिए बुलाया है? इस पर चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि नीति तो अफसर ही तैयार करते हैं। कैबिनेट तो उसे केवल पास करती है।
बैठक शुरू होते ही पॉलिसी पढ़कर सुनाने लगे मुख्य सचिव तो भड़के मंत्री
इस पर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि नीति अफसर नहीं, मंत्री तैयार करते हैं। चीफ सेक्रेटरी का वित्तमंत्री के प्रति रिएक्शन काफी गुस्से वाला था। दोनों के बीच काफी बहस हुई। मनप्रीत ने कहा कि जब विभाग ने फैसला ही कर लिया है तो मंत्रियों को बताने की जरूरत भी क्या है? मंत्रियों की आपत्ति पर चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने भी गुस्से में प्रतिक्रिया दी।
इस पर मनप्रीत बादल यह कहते हुए बैठक छोड़कर चले गए कि ऐसी बैठक अटेंड करने का क्या फायदा? उनके पीछे-पीछे तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी भी चले गए। यह भी पता चला है कि मंत्रियों ने चीफ सेक्रेटरी से कहा कि वह हरियाणा के मॉडल का भी अध्ययन कर लें।
विवाद की वजह
बैठक में 23 मार्च से लेकर 31 मार्च तक ठेके बंद रहने से ठेकेदारों को हुए नुकसान पर रिबेट देने की बात चल रही थी। मंत्री चाहते थे कि हरियाणा या किसी दूसरे राज्य के मॉडल को भी स्टडी कर लिया जाए, लेकिन चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि हमने कमेटी बनाकर पूरा मामला स्टडी कर लिया है। हरियाणा मॉडल लागू करने की जरूरत नहीं है। इस पर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल भड़क गए। यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि वहां मौजूद सीनियर अफसर और अन्य मंत्री भी भौंचक्के रह गए। उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आया कि आखिर क्या हुआ और क्यों हुआ?
पहले भी कई बार हुआ हंगामा
पहले भी कई बार पंजाब सरकार के मंत्रियों और अफसरों के बीच वैचारिक मतभेद के कारण बैठकों में हंगामा हो चुका है, लेकिन इस बार वित्तमंत्री की नाराजगी पहले से कुछ ज्यादा थी। मंत्री की नाराजगी इतनी बढ़ गई कि दो बजे बुलाई गई कैबिनेट की मीटिंग स्थगित करनी पड़ी।
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