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    सब जानते हैं कौन लगाते थे आतंकियों की कब्रों पर नारे, आतंकियों-अलगाववादियों का समर्थन करने वालों पर बरसे एलजी सिन्हा

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 01:33 PM (IST)

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों और अलगाववादियों के समर्थकों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पीड़ितों की अनदेखी की गई और आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में जुलूस निकाले गए। जम्मू में आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों को नियुक्ति पत्र दिए गए। सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के कारण नागरिकों ने बहुत कुछ सहा है। उन्होंने आतंकवाद पीड़ितों को न्याय दिलाने और अपराधियों को सजा दिलाने की प्रतिबद्धता जताई।

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    सरकार पीड़ितों के पुनर्वास और आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा आतंकवादियों और अलगाववादियों का समर्थन करने वालों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा यह विडंबना है कि जो लोग खून बहाते थे, उनका ही साथ दिया जाता था।

    पीड़ितों की ओर कोई ध्यान नहीं देता था। आतंकवादियों की माैत पर जुलूस निकलता था। उनकी कब्रों पर बड़े-बड़े लोग जाते थे। सारा जम्मू-कश्मीर जानता है कि आतंकियों की कब्रों पर नारे लगाकर लोगों ने क्या क्या लाभ नहीं लिए। लेकिन दुख कि बात है कि मां भारती के सपूतों को इंसाफ नहीं दिया।

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    जम्मू में आतंकवाद पीड़ितों के 80 निकट संबंधियों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह के दौरान वह संबोधित कर रहे थे। इससे पहले बारामुला में आयोजन हुआ था जहां 40 आतंकवाद पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र मिले।

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    उपराज्यपाल ने कहा कि हमारे यहां आतंकवाद पीड़ितों का सामाजिक बहिष्कार होता था और यह धारणा बनाई जाती थी कि आतंकवादी पीड़ित हैं।आज आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों ने साहसपूर्वक अपनी बात रखी।

    अपने कष्टदायक अनुभव साझा किए और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और उनके समर्थकों की भूमिका को उजागर किया। उपराज्यपाल ने नागरिक शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों के दर्द और दुख को साझा किया।

    उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के आम नागरिकों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और उनके पीछे लगे आतंकी तंत्र के कारण अकल्पनीय आघात सहा है। आतंकवाद पीड़ित परिवारों को चुप रहने के लिए धमकाया गया।

    अपराधियों और उनकी मदद करने वालों को बचाने के लिए उनकी पीड़ा को नज़रअंदाज़ किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम आतंकवाद को कुचलने और आतंकवादी संगठनों को सहायता और प्रोत्साहन देने वालों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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    उपराज्यपाल ने कहा कि मैं आतंकवाद पीड़ित परिवारों को आश्वस्त करता हूँ कि अपराधियों को सज़ा दी जाएगी। दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण अनगिनत परिवार और उनके प्रियजन केवल आंकड़ों तक सीमित रह गए। उनका दर्द अनसुना कर दिया गया। उनके आंसू पोछे नहीं गए। आखिरकार इतने समय बाद न्याय उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।

    वर्षों के दुख और पीड़ा के बाद, किश्तवाड़, डोडा, रामबन, पुंछ, राजौरी, सांबा, कठुआ, उधमपुर और रियासी के आतंकवाद पीड़ित परिवारों को न्याय मिला है। अधर्म पर धर्म की विजय अवश्यंभावी है। हम प्रत्येक आतंकवाद पीड़ित परिवार को न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनके पुनर्वास, रोज़गार, वित्तीय सहायता और आजीविका के अवसर प्रदान करना हमारी सर्वोच्च ज़िम्मेदारी है।

    न्याय की दिशा में यह पहला कदम आतंकवाद पीड़ित परिवारों के लिए आशा की किरण लेकर आया है। यह जम्मू-कश्मीर में न्याय के एक नए युग की शुरुआत है। बहुत लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और उनके समर्थकों और अलगाववादी तंत्र ने हज़ारों पीड़ित परिवारों की आवाज को दबाया है। उपराज्यपाल ने कहा कि अलगाववादी तत्वों के मनगढ़ंत आख्यान अब ध्वस्त हो रहे हैं।

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    उपराज्यपाल ने बताया कि एक आंतरिक वेब पोर्टल शुरू किया गया है और आतंकवाद पीड़ित परिवारों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस विकसित किया जा रहा है ताकि सभी मामलों की निगरानी और कार्रवाई की जा सके और समय पर राहत सुनिश्चित की जा सके।

    इसके अतिरिक्त, पीड़ितों द्वारा शिकायत दर्ज कराने के लिए जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक जिले में हेल्पलाइन सक्रिय हैं। संभागीय आयुक्तों के कार्यालयों में प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा संचालित संभागीय हेल्पलाइनों के माध्यम से भी सहायता उपलब्ध है।

    हर ज़िले के उपायुक्तों को अब लगातार आवेदन मिल रहे हैं जिनकी गहन जांच की जा रही है। हम पोर्टल में आतंकवाद पीड़ित परिवारों के सदस्यों को स्वरोज़गार सहायता प्रदान करने की व्यवस्था भी शामिल कर रहे हैं।

    इसके अलावा 5 अगस्त को श्रीनगर में बड़ी संख्या में आतंकवाद पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र और अन्य सहायताएं सौंपी जाएंगी। उपराज्यपाल ने कहा कि यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक हर आतंकवाद पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता।

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    उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ित परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए संवेदनशीलता और तत्परता से काम करने के लिए सभी अधिकारियों का आभार व्यक्त किया।

    इस अवसर पर उपराज्यपाल ने 24 जुलाई को जम्मू में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर भी बात की। उन्होंने कहा निर्दोष को न छुओ और दोषियों को न छोड़ो हमारी नीति है। पुलिस ने प्रभावी कार्रवाई की है। एसआईटी का गठन कर दिया गया है और मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    उपराज्यपाल ने श्रीनगर में आतंकवादरोधी अभियान के दौरान पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सुरक्षा बलों जम्मू-कश्मीर पुलिस और सभी कर्मियों को बधाई दी। मुख्य सचिव अटल डुल्लू, पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात, प्रमुख सचिव गृह चंद्राकर भारतीय आयुक्त सचिव, सामान्य प्रशासन एम राजू, संभागीय आयुक्त जम्मू रमेश कुमार, पुलिस महानिरीक्षक जम्मू भीम सेन टूटी, विभिन्न जिलों के उपायुक्त, वरिष्ठ अधिकारी और आतंकवाद पीड़ितों के परिवार के सदस्य उपस्थित थे।

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    डोडा, किश्तवाड़ में कई जगह हुए नरसंहार

    उपराज्यपाल ने कहा कि हमारे डोडा में 1993 में 170 नागरिकों का नरसंहार किया था। 1995 में 215 नागरिकों की हत्या की गई। 1998 में उधमपुर, 2001 में किश्तवाड़ व अन्य जगहों पर लोगों को आतंकियों ने मारा।

    यह भी कहा

    30 अप्रैल 1998 को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने किश्तवाड़ के बलग्रान गांव में ज्ञान देवी और उनके डेढ़ साल के बेटे कीकर सिंह की गला रेतकर हत्या कर दी थी। 5 अप्रैल 2005 को डोडा निवासी अशफ़ाक अहमद जो ग्राम रक्षा समिति के सदस्य थे, आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए। उस समय उनके बेटे शमीम अहमद केवल 7 वर्ष के थे। आज इन परिवारों को न्याय मिला है। 

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