CBI ने दो वर्ष बाद साथी कांस्टेबल को अमानवीय यातनाएं देने के मामले में DSP समेत 6 के खिलाफ किया मामला दर्ज, जाने क्या है पूरा मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कुपवाड़ा में दो साल पहले एक पुलिस कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में अमानवीय यातनाएं देने के मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस के छह अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सर्वाेच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार को पीड़ित खुर्शीद अहमद चौहान को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में दो वर्ष पूर्व एक पुलिस कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में अमानवीय यातनाएं देने के मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस के छह अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
आरोपितों एक डीएसपी और एक सब इंस्पेक्टर शामिल है। उल्लेखनीय है कि सर्वाेच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार को पीड़ित खुर्शीद अहमद चौहान को उसके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।
सीबीआई ने अपनी एफआइआर में डीएसपी एजाज अहमद नाइकू, सब इंस्पेक्टर रियाज अहमद और चार कांस्टेल जहांगीर अहमद, इम्तियाज अहमद, मोहम्मद यूनिस और शाकिर अहमद को नामजद किया है इन पर कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान पर छह दिनों तक हिरासत में कथित तौर पर "क्रूर और अमानवीय यातनाएं देने का आरोप है।
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नार्काे टेरर माडयूल से जुड़ा है यह पूरा मामला
यह मामला फरवरी 2023 में उत्तरी कश्मीर में पुलिस द्वारा एक नार्काे टेरर माडयूल को धवस्त करने से जुड़ा है।पुलिस ने उक्त मामले में कांस्टेबल खुर्शीद अहमद को माडयूल के अन्य सदस्यों से पूछताछ के आधापर पकड़ा था औार इस पूरे मामले में चार पुलिस एसपीओ व 10 अन् लाेग पकड़े गए थे।
कांस्टेबल का आरोप- उसे जबरन अपराध कबूलने के लिए दी गई यातनाएं
कांस्टेबल खुर्शीद अहमद ने आरोप लगाया था कि उसे हिरासत मे अपराध कबूल करने के लिए यातनाएं दी गई और उसका गुप्तांग काटा गया। उसने बताया कि वह उस समय बारामुला जिला पुलिस लाइन में तैनात था और उसे वहां सूचित किया गया था कि उसे एक मामले की पूछताछ के लिए कुपवाड़ा जेआइसी मे हाजिर होना है और वह 20 फरवरी 2023 को वहां पहुंच गया।
उसे जेआइसी में छह दिन तक यातनाएं दी गई। उसके साथ ही दुव्र्यवहार की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। अलबत्ता, उसके आरोपों का जवाब देते हुए संबधित अधिकारियों ने दावा किया था कि उसे जेआइसी में नहीं रखा गया था, बल्कि उसे रोजाना हाजिर होने के लिए कहा गया था।
इस पर उसने वहीं अन्य पुलिसकर्मियों के साथ बैरक मे रहने की इच्छा जताई थी। उसके खिलाफ लगातार सुबूत मिल रहे थे। उससे गुलाम जम्मू कश्मीर से कुपवाड़ा में तस्करी के जरिए लाए गए 9.450 किलो हेरोईन, 10 मैगजीन व 77 कारतूस समेत पांच पिस्तौल, चार ग्रेनेड की बरामगी के मामले में पूछताछ हो रही थी।
जब यह जांच चल रही थी, उसी दौरान पुलिस ने उसके एक अन्य करीबी को 25 फरवरी 2023 को करनाह में 2.674 किलो हेरोईन के साथ पकड़ा। इससे खुर्शीद को लगा कि वह अब बच नहींपाएगा तो उसने बैरक में जहां व कुछ अन्य पुलिसकर्मयों के साथ रह रहा था, ब्लेडके साथ अपना गुप्तांग काट आत्महत्या का प्रयास किया था।
कास्टेबल की पत्नी ने भी कानूनी मदद के लिए खटखटाया था कुपवाड़ा पुलिस का दरवाजा
पीड़ित की पत्नी ने अपने पति के साथ अमानवीय व्यवहार के लिए पहले कुपवाड़ा में पुलिस का दरवाजा खटखटाया था और उसके बाद उसने इस मामले मं जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और अंतत: मामला सर्वाेच्च न्यायालय में पहुंच गया।
पीड़ित की पत्नी ने अपनी शिकायत में बताया कि उसके पति को डीएसपी नाइकू, रियाज़ अहमद और अन्य ने छह दिनों तक लोहे की छड़ों और लकड़ी के डंडों से प्रताड़ित किया और उसे ज़ोरदार बिजली के झटके भी दिए।
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आखिरकार 26 फ़रवरी, 2023 को खुर्शीद के गुप्तांग काट दिए गए और उसके गुप्तांग में छह दिनों तक लगातार लोहे की छड़ें डाली गईं। खुर्शीद को गंभीर यातनाएं दी गईं, उसके मलाशय में लाल मिर्च डाली गई और बिजली के झटके भी दिए गए।
तत्कालीन एसएसपी कुपवाड़ा भी मामले में बने रहे मूकदर्शक
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन एसएसपी कुपवाड़ा, जिनके कहने पर पीड़ित को मादक पदार्थों के एक मामले में जांच के लिए बारामुला से कुपवाड़ा भेजा गया था, मूकदर्शक बने रहे, लेकिन उन्हें एफआइआर में आरोपी नहीं बनाया गया है।
सर्वाेच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपते टिप्पणी की थी उच्च न्यायालय ने "नागरिक के मौलिक अधिकारों, उसकी गरिमा और जीवन के अधिकार की रक्षा करने के अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने में घोर भूल की है।
सर्वोच्च न्यायालय ने खुर्शीद को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का भी आदेश दिया, जो संबंधित अधिकारी/अधिकारियों से वसूला जाएगा, जिनके खिलाफ सीबीआई द्वारा जांच पूरी होने पर विभागीय कार्यवाही शुरू की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि चोटें पीड़ित द्वारा आत्महत्या के प्रयास का परिणाम थीं।
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अदालत ने इस मामले को पुलिस क्रूरता का सबसे बर्बर उदाहरण
अदालत ने कहा था कि यह स्वीकार किया जाता है कि 20 फरवरी से 26 फ़रवरी, 2023 के बीच, अपीलकर्ता को कई चोटें आईं, जिनमें उसके जननांगों का बधियाकरण भी शामिल है और उसे 26 फ़रवरी, 2023 को दोपहर 2:48 बजे एसकेआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह भी निर्विवाद है कि विच्छेदित जननांगों को एक सब-इंस्पेक्टर द्वारा एक अलग प्लास्टिक बैग में अस्पताल लाया गया था, यह एक ऐसा तथ्य है जो हमारी अंतरात्मा को झकझोर देता है।"
क्रूर और अमानवीय हिरासत में यातना" से जुड़े इस मामले की "अभूतपूर्व गंभीरता", जो अपीलकर्ता के जननांगों के "पूर्ण क्षत-विक्षत" होने की विशेषता है, "पुलिस अत्याचार के सबसे बर्बर उदाहरणों में से एक है जिसे राज्य अपनी सर्वव्यापी शक्ति से बचाने और छिपाने की कोशिश कर रहा है।
चिकित्सा साक्ष्य निर्णायक रूप से यह स्थापित करते हैं कि ऐसी चोटें खुद से नहीं लगनी चाहिएं। प्रतिवादी (केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर) का आत्महत्या के प्रयास का सिद्धांत समय-सीमा और चिकित्सा साक्ष्य के आधार पर जांच करने पर ध्वस्त हो जाता है।
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