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    Jammu Kashmir: जब बेटे को बचाने के लिए ढाल बन गई मां, सीने में खाई गोली, पच्चीस वर्ष पुरानी यह घटना आज भी दिल दहला देती है

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 07:01 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में 2001 में एक बहादुर माँ तारा देवी ने अपने बेटे को बचाने के लिए आतंकियों की गोलियाँ खुद पर ले ली थीं। पाकिस्तानी आतंकियों ने बेटे को पेड़ से बांधकर पीटा तो तारा देवी ने आतंकियों से बेटे को छोड़ने की भीख मांगी। जब आतंकी बेटे को गोली मारने लगे तो वह आगे आकर खड़ी हो गईं और गोलियाँ अपने सीने पर ले लीं।

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    पच्चीस वर्ष बाद, उपराज्यपाल ने उनके बलिदान को सलाम किया और उनके बेटे को नियुक्ति पत्र सौंपा।

    रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। कहते हैं कि मां अपने बच्चे को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है। साक्षात मौत भी उसके सामने तो भी मां पीछे नहीं हटती। ऐसी ही एक बहादुर मां जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के गांव चेरजी की रहने वाली तारा देवी थी। जिसने बेटे की जान बचाने के लिए आतंकियों की गोलियों को सीने में खा लिया। आज पच्चीस वर्ष बाद उसके इस बलिदान को उपराज्यपाल ने सलाम किया।

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    यह कहानी 21 जुलाई 2001 की है। तारा देवी अपने जानवरों को चराने के लिए हर दिन की तरह ही सुबह तब तड़के चार बजे अपने बड़े बेटे बावी चंद के साथ देसगढ़ धार में गई हुई थी। उस दिन पाकिस्तानी आतंकी रात भर उस क्षेत्र में कई मासूमों के साथ खून की खेली खोल चुके थे। कुछ आतंकियों की नजर तारा देवी और उसके बेटे बावी पर पड़ी।

    आतंकियों ने बंदूक की नोंक पर बेटे को एक पेड़ के साथ बांध दिया और उसकी निर्मम पिटाई करने लगे। जुतों, बंदूक व डंडों से उसे मां के सामने पीटे जा रहे थे। यह सब तारा देवी से सहन नहीं हुआ। उसने बेटे को बचाने के लिए आतंकियों के समक्ष भीख मांगी लेकिन उन हत्यारों को मांं की सिसकियां नहीं सुनाई दी। वह बार-बार बेटे को बचाने की गुहार लगा रही थी लेकिन आतंकियों पर कोई असर नहीं हो रहा था।

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    तारा देवी बेटे को बचाने के लिए यह तक कह डाला कि बेटे की जगह उसे गोली मार दो लेकिन आतंकियों ने बेटे को ही गोली मारने की ठान ली। जैसे ही आतंकियों ने गोलियां बरसाना शुरू की, बहादुर मां बेटे के आगे आ गई और उसने सारी गोलियां अपने सीने पर खा ली।

    एक गोली उसके सीने को चीरते हुए बेटे को भी लग गई और वह भी लहुलुहान हो गया। दाेनो मां बेटे खून से लथपथ होकर गिर पड़े और आतंकी दोनों को मरा हुआ समझ कर वहां से चले गए। उन्होंने जाते समय वहां पर एक और व्यक्ति को गोली मार कर घायल कर दिया लेकिन वह व्यक्ति घायल अवस्था में भी किसी तरह से भाग कर गांव में पहुंच गया और उसने देसगढ़ धार में हुए इस खूनी खेल के बारे में सभी को बता दिया।

    उस रात उसी क्षेत्र में आतंकी पहले से ही आठ से नौ लोगों को मार चुके थे। पूरे गांव में खबर लगने से दहशत थी। लेकिन सुबह गांव वाले इकटठा होकर देसगढ़ धार में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि तारा देवी की मौत हो चुकी थी लेकिन बावी वहीं पर घायल अवस्था में पड़ा था और उसकी सांसे अभी तक चल रही थी। गांव पहले उसे उठाकर जिला अस्पताल किश्तवाड़ तो फिर उसके बाद हेलीकाप्टर से जीएमसी जम्मू में ले जाया गया। डाक्टरों ने समय पर उपचार कर उसे ठीक कर दिया।

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    यह घटना और इसकी फोटो इतनी विचलित करने वाली थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस घटना को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जेनेवा में उठाया था। उन्होंने सभी को इस घटना की फोटो दिखा कर पाकिस्तान को बेनकाव किया था।

    यह परिवार तब से ऐसे ही गुमनामी में जी रहा था। आज उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उनके बेटे जय सिंह को नियुक्ति पत्र दिया। जय सिंह ने बताया कि वह दिन हम कभी नहीं भूल सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज वषों बाद उन्हें इंसाफ मिला है। उन्होंने इसके लिए उपराज्यपाल का भी आभार जताया।