जम्मू-कश्मीर सरकार ने छह डॉक्टरों पर लगाया प्रतिबंध, प्रतिबंधित डॉक्टरों में जम्मू व कश्मीर से तीन-तीन, जानें किन कारणों से सुनाई यह सजा?
जम्मू-कश्मीर सरकार ने ड्यूटी के दौरान निजी प्रैक्टिस करने और अनैतिक रेफरल देने के आरोप में छह डॉक्टरों पर प्रतिबंध लगाया है। स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मूल्यांकन के बाद यह कार्रवाई की। एजेंसी की रिपोर्ट में डॉक्टरों द्वारा नियमों का उल्लंघन पाया गया जिससे योजना के उद्देश्य कमजोर हुए। इनमें कश्मीर संभाग से तीन व जम्मू संभाग से तीन डॉक्टर शामिल हैं।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को आधिकारिक ड्यूटी के दौरान कथित तौर पर निजी प्रैक्टिस करने और प्राइवेट एम्पेनल्ड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (ईएचसीपी) को अनैतिक रेफरल देने के आरोप में छह डॉक्टरों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी सरकारी आदेश के अनुसार यह कार्रवाई आयुष्मान भारत - पीएमजेएवाई/सेहत योजना के तहत राज्य स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा किए गए मूल्यांकन के बाद की गई है। एजेंसी की रिपोर्ट में यह पता चला है कि ये डॉक्टर नियमों का उल्लंघन कर रहे थे और लोकहित में बनाई गई इस योजना के उद्देश्यों को कमजोर कर रहे थे।
राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार ड्यूटी के दौरान निजी प्रैक्टिस में शामिल पाए गए डॉक्टरों में डॉ. बिलाल अहमद बशीर (कंसल्टेंट सर्जन, जीएमसी अनंतनाग) के 312 मामले, डॉ. इशाक (चिकित्सा अधिकारी, डीएच पुलवामा) के 170 मामले और डॉ. यूनिस कमाल (एसोसिएट प्रोफेसर ऑर्थोपेडिक्स, जीएमसी अनंतनाग) के 185 मामले शामिल हैं।
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इसके अनावा जम्मू संभाग के भी तीन डॉक्टर निजी ईएचसीपी को अनैतिक रेफरल देने में संलिप्त पाए गए। इनमें डॉ. विकास गुप्ता (चिकित्सा अधिकारी, सीएचसी हीरानगर) पर 19 मामले, डॉ. मंजू कुमारी (चिकित्सा अधिकारी, ईएच विजयपुर) पर 18 मामले जबकि डॉ. राज कुमार भगत (चिकित्सा अधिकारी, डीएच सांबा) पर 12 मामले पाए गए हैं।
आदेश में कहा गया है कि ये कार्य "सरकारी सेवा में उनके योगदान से कहीं अधिक थे। इन डॉक्टरों कर इस कार्रवाई से एबी-पीएमजेएवाई/एसईएचएटी योजना के उद्देश्यों को कमजोर किया गया।"
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