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    इस वजह से कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की आई 99वीं रैंक, अब डिस्कशन कमेटी गठित

    एनआइआरएफ की रैंकिंग में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को 99वां स्थान मिला है। तीन साल पहले यूनिवर्सिटी का 80वां नंबर था। अब इसके लिए डिस्‍कशन कमेटी गठित की गई है।

    By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Sat, 13 Jun 2020 07:10 AM (IST)
    इस वजह से कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की आई 99वीं रैंक, अब डिस्कशन कमेटी गठित

    पानीपत/कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। प्रदेश के पहले विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की रैकिंग तीन साल से लगातार गिरती जा रही है। यह तीन साल पहले 80वें नंबर पर थी। अब 99वें नंबर पर आई है। विश्वविद्यालय की रैंक गिरने का सबसे बड़ा कारण रेगुलर टीचर की भर्ती न होना और पीएचडी के अवार्ड घटना है। यूनिवर्सिटी खेल और सांस्कृतिक के क्षेत्र में उत्कृष्ट है, लेकिन इसके नंबर एनआइआरएफ अपने सर्वे में शामिल नहीं करता। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब कमियों को दूर करने के लिए डिस्कशन कमेटी का गठन करेगा। 

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    कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना 11 जनवरी 1957 को की थी। यह विश्वविद्यालय पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह का सपना था। वे भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने वाले एक संस्थान की स्थापना चाहते थे।  तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था। तब यहां केवल संस्कृत विभाग ही था। विश्वविद्यालय का प्रांगण करीब 400 एकड़ में फैला हुआ है।

    वीरवार को रैंकिंग घोषित की थी

    मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) ने अपनी सूची जारी की थी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने देशभर के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में जगह बनाते हुए 39.79 स्कोर के साथ 99वें स्थान पाया है। 

    ये रहे रैंकिंग गिरने के कारण 

    कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इस साल रेगुलर टीचर की भर्ती नहीं कर पाया। इस वक्त कुवि में सेल्फ फाइनेंस समेत 586 टीचर हैं। यह 1:24 का रेशों बनता है। एनआइआरएफ 1:15 का रेशों मांगता है। टीचर कम होने से पीएचडी के अवार्ड की संख्या भी घट गई। कुवि सांस्कृतिक और खेल के क्षेत्र में अव्वल है। एनआइआरएफ इसको अपनी कैटेगरी में नहीं शामिल करता। 

    डिस्कशन कमेटी करेगा रिपोर्ट तैयार 

    एनआइआरएफ के नोडल अधिकारी प्रो. दिनेश कुमार ने बताया कि एमएचआरडी की ओर से जारी रैंकिंग में विवि को टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्स में से 49.89, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रेक्टिस में 9.95, ग्रेजुएट आउटकम में 68.15, आउटरिच व इनक्लूसिविटी में 48.88 व पर्सेप्शन में 33.21 अंक मिले हैं। अब कुवि में डिस्कशन कमेटी गठित की जाएगी। इसमें दो से तीन सदस्य होंगे। कमेटी हर विषय पर बारीकी के साथ चर्चा करेगी और अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों के सामने रखेगी। 

    2018 में 80वें स्थान पर थी कुवि

    2018 में कुवि की रैंकिंग 39.45 स्कोर के साथ 80वें स्थान पर थी। 2019 में यह कुवि 18 अंक खिसककर 98 रैंक पर आ गई थी। उस वक्त एनआइआरएफ में 38.60 स्कोर था। इस बार कुवि अपनी रैंङ्क्षकग से एक अंक पिछड़कर 99 पर पहुंच गया है। स्कोर पिछले बार से अधिक 39.79 रहा है। 

    कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का स्कोर सुधरा है। कई कारणों के चलते रैंक एक कम आया है। आने वाले वर्षों के लिए लक्ष्य तय कर दिया है। बेहतर रैंकिंग प्राप्त कर उच्च शिक्षण संस्थानों की सूची में शामिल होना है। इसके लिए शिक्षकों की नियुक्तियों और शोध को बढ़ावा देने के मापदंडों पर कार्य किया जाएगा।

    डा. नीता खन्ना, वीसी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय।

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