संसद की सुरक्षा पर सवाल, कई स्तरों वाली सघन व्यवस्था को भेद दिया जाना बेहद गंभीर मामला
संसद की कई स्तरों वाली सघन सुरक्षा व्यवस्था को भेद दिया जाना एक बेहद गंभीर मामला है। इस मामले की इसलिए कहीं अधिक गहराई से जांच होनी चाहिए क्योंकि जिस समय लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूदे युवकों ने सदन में उत्पात मचाकर सनसनी फैलाई लगभग उसी समय संसद के बाहर एक युवक और युवती ने धुआं छोड़ने वाली सामग्री का इस्तेमाल करते हुए प्रदर्शन किया।
संसद पर भयावह आतंकी हमले की बरसी के दिन दो युवक सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए जिस तरह लोकसभा की दर्शक दीर्घा में पहुंच गए और फिर वे वहां से सदन में कूदकर स्मोक बम सरीखी सामग्री से धुआं छोड़ने में समर्थ हो गए, वह सुरक्षा में बड़ी खामी का परिचायक है। संसद की जिस दर्शक दीर्घा में जाने वालों के लिए एक कागज भी ले जाना संभव न हो, वहां दो युवक धुआं फैलाने वाली सामग्री लेकर कैसे पहुंच गए, इसकी न केवल सघन जांच होनी चाहिए, बल्कि संसद के नए भवन की सुरक्षा व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा भी की जानी चाहिए।
13 दिसंबर को तो संसद की सुरक्षा व्यवस्था और अधिक चौकस रहनी चाहिए थी, क्योंकि 22 वर्ष पहले इसी दिन वहां हुए भीषण आतंकी हमले को विफल करने में हमारे कई सुरक्षा कर्मियों को अपना बलिदान देना पड़ा था। यह गनीमत रही कि लोकसभा की दर्शक दीर्घा से सदन में कूदे युवक अपने साथ कोई घातक सामग्री लेकर नहीं गए, लेकिन वे ऐसा कर भी तो सकते थे।
भले ही इन युवकों की हरकत से किसी को कोई क्षति न पहुंची हो, लेकिन यह कल्पना करना कठिन नहीं कि वे स्मोक बम या क्रैकर सरीखी वस्तु की तरह से जहरीली गैस फैलाने वाली कोई सामग्री भी ले जा सकते थे।
संसद की कई स्तरों वाली सघन सुरक्षा व्यवस्था को भेद दिया जाना एक बेहद गंभीर मामला है। इस मामले की इसलिए कहीं अधिक गहराई से जांच होनी चाहिए, क्योंकि जिस समय लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूदे युवकों ने सदन में उत्पात मचाकर सनसनी फैलाई, लगभग उसी समय संसद के बाहर एक युवक और युवती ने धुआं छोड़ने वाली सामग्री का इस्तेमाल करते हुए प्रदर्शन किया।
स्पष्ट है कि इन चारों ने किसी सुनियोजित साजिश के तहत यह सब किया। चूंकि ये चारों देश के अलग-अलग हिस्सों के हैं इसलिए इसकी भी पड़ताल होनी चाहिए कि उन्हें एकजुट करके संसद के भीतर-बाहर अफरातफरी फैलाने का काम किसने किया और उसका उद्देश्य क्या था? इसके पीछे जिसका भी हाथ हो, उसने सुरक्षा एजेंसियों की सजगता की पोल खोल दी। निःसंदेह जांच इसकी भी होनी चाहिए कि सदन में कूदने वाले युवकों ने मैसुरु के भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा से लोकसभा की दर्शक दीर्घा में जाने के लिए पास कैसे हासिल कर लिया?
प्रताप सिम्हा अपनी सफाई में जो भी कहें, इससे खराब बात और कोई नहीं हो सकती कोई सांसद या फिर उसका सहायक किसी को ठीक से जाने बिना संसद की दर्शक दीर्घा का पास दे दे। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि सनसनी पैदा करने वाली घटना के बाद सांसदों के विजिटर पास देने पर रोक लगा दी गई, क्योंकि यह प्रश्न चिंतित और परेशान करने वाला है कि आखिर संसद के सुरक्षा कर्मी लोकसभा की दर्शक दीर्घा पहुंचे युवकों की ढंग से जांच करने में नाकाम क्यों रहे?
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