रिश्वतखोरी की समस्या
पंजाब में एक समस्या जो अन्य समस्याओं को बढ़ाने का काम कर रही है वह है रिश्वतखोरी। यूं तो प्रदेश के कई विभागों को यह बीमारी दीमक की तरह खोखला करती जा रही है, लेकिन जिस विभाग को सबसे अधिक क्षति हो रही है, वह है पुलिस विभाग।
पंजाब में एक समस्या जो अन्य समस्याओं को बढ़ाने का काम कर रही है वह है रिश्वतखोरी। यूं तो प्रदेश के कई विभागों को यह बीमारी दीमक की तरह खोखला करती जा रही है, लेकिन जिस विभाग को सबसे अधिक क्षति हो रही है, वह है पुलिस विभाग। इस विभाग पर ही कानून व्यवस्था बनाए रखने, अपराध, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। विभाग में अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी अथक परिश्रम से अपना कर्तव्य निभाने में जुटे भी हैं, लेकिन इसी विभाग में कई भ्रष्ट कर्मचारी भी हैं, जो अपने कर्मों से न सिर्फ प्रदेश की शांति व कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, अपितु समूचे पुलिस विभाग की साख भी धूमिल कर रहे हैं। गत दिवस भी कोटकपूरा में सतर्कता विभाग ने थाना सिटी में तैनात मुंशी व उसके एक सहायक होमगार्ड को एक पूर्व सट्टेबाज से जांच के नाम पर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। गत दिवस ही सतर्कता विभाग ने बठिंडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के एक्सईएन व चौकीदार के खिलाफ भी रिश्वत लेने का केस दर्ज किया। ये दोनों एक ठेकेदार से काम के बिलों की अदायगी के बदले रिश्वत की मांग कर रहे थे। इन दोनों घटनाओं से स्पष्ट है कि रिश्वतखोरी कानून व्यवस्था और विकास दोनों की राह में बहुत बड़ी बाधा है। समस्या यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद इस बीमारी का समुचित इलाज नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि यह लगातार बढ़ती जा रही है। इसके कारण जहां खासतौर पर पुलिस और सरकार की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, वहीं समाज में अराजकता की स्थिति भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में होने वाले हर अपराध के साथ जनता का विश्वास पुलिस के प्रति घटता जा रहा है और कई मामलों में तो लोग पुलिस पर अपराधियों से मिले होने के आरोप तक लगाते हैं। हाल ही में प्रदेश में एक के बाद एक शराब माफिया द्वारा की गई हत्याओं में भी लोगों ने यही आरोप लगाया है कि माफिया को पुलिस व राजनीतिक दलों का संरक्षण मिला हुआ है, जिस कारण ये बेलगाम हो चुके हैं। यह स्थिति प्रदेश में कानून व्यवस्था व शांति के लिए कतई शुभ नहीं है और इसे हर हाल में जितना शीघ्र हो सके सुधारा जाना चाहिए। खासकर पुलिस प्रशासन को विभाग में मौजूद काली भेड़ों की पहचान के लिए अभियान चलाकर उन्हें सख्त सजा देनी चाहिए। साथ ही ऐसी भर्ती प्रक्रिया का निर्माण होना जरूरी है, जिसमें भ्रष्ट व अनैतिक आवेदकों की पहचान कर उन्हें पुलिस में शामिल होने से रोका जा सके।
[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]
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