हरियाणा के करनाल में चार संदिग्ध खालिस्तानी गुर्गो की हथियारों और विस्फोटकों समेत गिरफ्तारी यही बयान कर रही है कि ऐसे तत्वों की सक्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही है। गिरफ्तार आतंकियों के बारे में यह माना जा रहा है कि वे किसी बड़े हमले की फिराक में थे। उनका संबंध न केवल पाकिस्तान में शरण लिए एक खालिस्तानी आतंकी से बताया जा रहा है, बल्कि यह भी रेखांकित किया जा रहा है कि उनके पास से जो हथियार मिले, वे ड्रोन के जरिये सीमा पार से आए थे। इसका मतलब है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के साथ पंजाब में भी आतंक और अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है।

वास्तव में इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सत्ता परिवर्तन के बावजूद पाकिस्तान की भारत के प्रति कुटिलता भरी नीति में कोई बदलाव आने वाला नहीं है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बीते दिवस जम्मू के सांबा क्षेत्र में एक सुरंग भी मिली। पाकिस्तान से सटे सीमांत इलाकों में इस तरह की सुरंगें पहले भी मिल चुकी हैं। अंदेशा है कि सांबा में मिली सुरंग का इस्तेमाल सीमा पार से हथियार और मादक पदार्थो को भेजने के लिए किया जा रहा होगा। जो भी हो, यह किसी से छिपा नहीं कि एक अर्से से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में यह काम ड्रोन के जरिये भी किया जा रहा है। इसी तरह सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ का खतरा भी बरकरार है।

यह ठीक है कि हाल के समय में सीमा पर चौकसी बढ़ाई गई है, लेकिन ड्रोन के जरिये जिस तरह हथियारों और मादक पदार्थो की खेप आने का सिलसिला कायम है, वह कोई शुभ संकेत नहीं। इस सिलसिले को तोड़ना ही होगा, भले ही इसके लिए पाकिस्तान के प्रति नए सिरे से आक्रामकता दिखानी पड़े। इसमें संदेह है कि पाकिस्तान पर दबाव बनाए और उसे उसके किए की सजा दिए बगैर, वह अपनी हरकतों से बाज आने वाला है। केवल पाकिस्तान से दूरी बनाए रखना पर्याप्त नहीं। उससे और अधिक सतर्क भी रहा जाना चाहिए। उसे यह संदेश बार-बार दिया जाए कि वह आतंक का सहयोगी एवं समर्थक बना हुआ है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

पाकिस्तान की हरकतों और जम्मू-कश्मीर के साथ पंजाब में देश विरोधी तत्वों की सक्रियता को देखते हुए आंतरिक सुरक्षा तंत्र को और सतर्क करने की भी जरूरत है। इसी के साथ खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों में और अधिक तालमेल बढ़ाने की भी आवश्यकता है।