राजीव सचान। हो सकता है भारतवंशी जोहरान ममदानी न्यूयार्क शहर के मेयर बन जाएं। इसकी प्रबल संभावना इसलिए है, क्योंकि वे अप्रत्याशित रूप से मेयर का प्राइमरी चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने प्राइमरी चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी से एंड्रयू कुओमो को हराया था। उनके न्यूयार्क के मेयर बनने-न बनने के बारे में नवंबर में पता चलेगा। उनकी जीत की संभावना को लेकर अमेरिका से लेकर भारत तक हलचल है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने उनकी जीत की संभावना को एक खतरे के रूप में देखा है। उन्होंने ट्रूथ सोशल पर डेमोक्रेट पार्टी के प्रत्याशी जोहरान ममदानी को सौ प्रतिशत कम्युनिस्ट बताते हुए कहा, “मैं इस बेवकूफ कम्युनिस्ट को न्यूयार्क शहर बर्बाद नहीं करने दूंगा।” इससे पहले भी ट्रंप ने ममदानी को चेताया था कि यदि उन्होंने न्यूयार्क में इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोर्समेंट के छापों में अड़ंगा डाला तो उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा। ट्रंप को जवाब देते हुए ममदानी ने कहा था कि राष्ट्रपति के बयान लोकतंत्र पर हमला हैं।

जोहरान भारत में जन्मीं जानी-मानी फिल्म निर्माता-निर्देशक मीरा नायर और युगांडा के गुजराती मूल के प्रोफेसर महमूद ममदानी के पुत्र हैं। महमूद का जन्म मुंबई में हुआ था। पंजाबी हिंदू मीरा नायर का जन्म और शिक्षा-दीक्षा भारत में हुई। पद्मश्री से सम्मानित मीरा की चर्चित फिल्में हैं-मानसून वेडिंग, सलाम बांबे। यदि 33 साल के जोहरान ममदानी मेयर का चुनाव जीतते हैं तो वे न्यूयार्क के पहले मुस्लिम एवं भारतवंशी मेयर होंगे। उन्होंने तमाम लोकलुभावन वादे किए हैं। उनका एक वादा यह भी है कि राजस्व बढ़ाने के लिए वे अमीरों पर टैक्स बढ़ाएंगे।

जोहरान न्यूयार्क की प्रांतीय विधायिका के सदस्य हैं। उनकी पत्नी सीरियाई मूल की रमा दुवाजी हैं। जोहरान का जन्म युगांडा के कंपाला में हुआ। वे सात वर्ष की उम्र में माता-पिता के साथ न्यूयार्क चले आए। जोहरान के एक बयान पर वकील एवं कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि जब वे अपना मुंह खोलते हैं तो पाकिस्तान की पीआर टीम छुट्टी ले लेती है। अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा था कि वे भारतीय की तुलना में पाकिस्तानी ज्यादा लगते हैं। जोहरान खुद को डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट मानते हैं।

इसका जो भी मतलब होता हो, लेकिन खुद को ऐसा कहने-बताने वाले अधिकतर लोग इस्लामिस्ट की भाषा बोलने वाले कट्टर किस्म के वामपंथी ही अधिक होते हैं-देश के साथ दुनिया में भी। जोहरान तो पक्का तौर पर ऐसे ही हैं। एक समय एक पोस्ट(ट्वीट) में उन्होंने लिखा था कि हो न हो, यमन मूल का अमेरिकी आतंकी अनवर अल-अवलाकी की एफबीआइ की तरफ से की गई निगरानी के कारण ही उसका रुख अल-कायदा की ओर हुआ होगा।

इससे अधिक मूर्खतापूर्ण और आतंकी का बचाव करने एवं उससे हमदर्दी जताने वाली पोस्ट और कोई नहीं हो सकती, लेकिन दुनिया में ऐसे कथित प्रगतिशील लोगों की कमी नहीं, जो खूंखार आतंकी का भी बेशर्मी से बचाव करते हैं। इसके बाद भी वे लिबरल-सेक्युलर कहलाते हैं और इसके प्रमाणपत्र भी बांटते हैं कि कौन सेक्युलर है और कौन सांप्रदायिक?

ज्यादातर लिबरल और सेक्युलर अनुदारवादी और सांप्रदायिक किस्म के नकली लोग होते हैं, लेकिन बौद्धिक जगत में उनकी उनकी ही हनक है-भारत से लेकर अमेरिका और यूरोप में भी। अवलाकी का बचाव करने वाली जोहरान की पोस्ट की 9/11 हमलों के पीड़ितों के परिवारों और अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने निंदा की थी। एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, 2007 से 2011 के बीच अमेरिका में आतंकवाद के जितने भी मामले दर्ज हुए, उनमें 20 से प्रतिशत से अधिक में अल-अवलाकी समर्थकों का हाथ था।

जोहरान बड़े ही चतुर नेता हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कि ट्रंप समर्थक और विशेष रूप से श्वेतपंथी अतिवादी किस्म के लोग उन्हें निशाना बनाएं और इसके नतीजे में न्यूयार्क में रह रहे मुसलमानों समेत भारतीय एवं अन्य देशों के लोग उनके समर्थन में खड़े हों, अंगुलियों से खाना खाते एक फोटो पोस्ट की। इस फोटो से ऐसा लगा कि वह ऐसे भारतवंशी हैं, जो अंगुलियों से खाना खाना पसंद करते हैं।

उन्होंने इसी तरह के कुछ और भी उपक्रम किए हैं। वे मोदी के कट्टर विरोधी हैं। उनका एक पुराना बयान यह कहता है कि मोदी के मुख्यमंत्री रहते समय गुजरात में मुसलमानों पर इतना अत्याचार हुआ कि लोगों ने यह मानना ही छोड़ दिया कि गुजरात में मुसलमान रहते हैं।

पता नहीं वे न्यूयार्क के मेयर बनेंगे या नहीं, लेकिन ऐसे भारतवंशियों के प्रति भारतीयों का उत्साहित होना नासमझी ही है। भारतवंशी दुनिया में कहीं भी जब किसी उच्च पद पर पहुंचते हैं तो भारतीयों का ध्यान उनकी ओर जाता ही है। यह स्वाभाविक है, लेकिन यह मान लेना सही नहीं कि वे भारत के हित की चिंता करेंगे। ऐसा बहुत कम होता है।

इसका एक उदाहरण ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे ऋषि सुनक हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए भारत के हित में कुछ भी नहीं किया-न नीरव मोदी के खिलाफ कोई कदम उठाया और न ही ब्रिटेन में उत्पात मचा रहे खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की। देश-विदेश के भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को हर भारतवंशी की सफलता पर बेवजह इतराना छोड़ देना चाहिए।

(लेखक दैनिक जागरण में एसोसिएट एडिटर हैं)