विचार : चुनौतियों से पार पाने का रास्ता, लाल किले से आत्मनिर्भर भारत का नया रोडमैप
प्रधानमंत्री ने लाल किले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की खुलकर तारीफ की। यह कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं को रास नहीं आया। कांग्रेस सदैव आरएसएस पर हमलावर रहती है। विपक्षी खेमा यह जताने में भी जुटा रहता है कि पीएम मोदी और आरएसएस के बीच सब कुछ सही नहीं। शायद इसी कारण प्रधानमंत्री ने आरएसएस की देश सेवा की प्रशंसा करते हुए उसे विश्व का सबसे बड़ा एनजीओ कहा।
संजय गुप्त। पिछले स्वतंत्रता दिवस के बाद से घरेलू के साथ वैश्विक वातावरण भी बहुत तेजी से बदला है। अपने पड़ोस में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हालात बहुत तेजी से बदले। फिर अमेरिका की दूसरी बार कमान संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप अपनी मनमानी टैरिफ नीति से दुनिया भर में अस्थिरता फैलाने का काम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने जहां भारत को खासतौर पर निशाना बना रखा है, वहीं उस पाकिस्तान की तरफदारी कर रहे हैं, जिसने पहलगाम में भयावह आतंकी हमला कराया और अतीत में खुद अमेरिका को धोखा दिया।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर के तहत अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई की। इसमें पाकिस्तान को तो मुंह की खानी पड़ी, लेकिन शायद अमेरिका और खासकर राष्ट्रपति ट्रंप को भारत की यह सैन्य कार्रवाई रास नहीं आई। वे आपरेशन सिंदूर को थामने और दोनों देशों के बीच कथित संघर्षविराम का श्रेय लेने में जुट गए। अमेरिकी राष्ट्रपति का जिस तरह पाकिस्तान के प्रति झुकाव बढ़ रहा है, वह भारत की चिंता बढ़ाने वाला है। इसका कोई ठिकाना नहीं कि ट्रंप कब क्या कर दें? ऐसी आशंका भी बढ़ रही है कि ट्रंप के कार्यकाल में स्थितियां इतनी बिगड़ जाएंगी कि उनके जाने के बाद भी उन्हें संभाल पाना आसान नहीं होगा। उनका अभी करीब साढ़े तीन साल का कार्यकाल बचा है।
मौजूदा अनिश्चित और चुनौती भरे माहौल में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रतता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन से देश के लोगों में नई ऊर्जा भरने का काम किया। उन्होंने नए और बड़े आर्थिक सुधारों का आह्वान किया। इसके लिए एक टास्क फोर्स भी गठित की जाएगी। दीवाली तक जीएसटी में रियायत के आसार दिख रहे हैं। अब जीएसटी के दो स्लैब ही हो सकते हैं। इससे रोजाना इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के दाम घटने और आम आदमी को राहत मिलने के आसार हैं। प्रधानमंत्री ने जीएसटी में व्यापक बदलाव के साथ ही अन्य आर्थिक सुधारों के लिए भी एक रोडमैप भी दिया है। मोदी सरकार को इस रोडमैप पर चलने के साथ ही राज्य सरकारों का भी सहयोग लेना होगा, क्योंकि एक तो आधे से अधिक राज्यों में भाजपा या उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं और दूसरे, सभी राज्यों के विकास के बिना देश को विकसित बनना संभव नहीं।
प्रधानमंत्री ने लाल किले से किसानों, बेरोजगारों, छोटे-मझोले उद्यमियों के साथ आम आदमी को भी राहत देने वाली कुछ घोषणाएं की हैं। इन घोषणाओं का उद्देश्य देश को आत्मनिर्भर बनाना और ट्रंप के भारत विरोधी रवैये से उपजे हालात का असर कम करना है। सदैव की तरह इस बार भी लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन राष्ट्रवाद से ओतप्रोत रहा। यह उनकी अपनी विशिष्ट शैली है। इसकी झलक पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में बालाकोट में भारतीय वायु सेना की कार्रवाई के बाद के संबोधन में भी मिली थी। यह स्वाभाविक ही था कि प्रधानमंत्री इस बार आपरेशन सिंदूर का विशेष रूप से जिक्र करते और देश की रक्षा-सुरक्षा के लिए कहीं अधिक प्रतिबद्ध दिखते। इस बार उनके तेवर कुछ अलग थे। उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी को भी आईना दिखाया, जिन्होंने आपरेशन सिंदूर को लेकर कुछ बेजा सवाल उठाए और इन दिनों उनके कारण ही बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआइआर का मुद्दा भी चर्चा में है।
सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है। उसने कहा है कि मतदाता सूचियां तैयार करने का दायित्व चुनाव आयोग का है। ध्यान रहे चुनाव आयोग ने यह संदेह जताया था कि बिहार में दूसरे देशों के लोग और यहां तक कि घुसपैठिए भी मतदाता बन गए हैं। प्रधानमंत्री ने इसी संबंध में डेमोग्राफी में आ रहे बदलाव का मुद्दा उठाया और एक अभियान शुरू करने की घोषणा की।
स्पष्ट है कि उनके निशाने पर बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। स्वतंत्रता दिवस पर लगातार 12 बार देश को संबोधित कर चुके प्रधानमंत्री मोदी को इसके पहले अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर इतना मुखर नहीं देखा गया। भारत इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि बांग्लादेश से घुसपैठ थमने का नाम नहीं ले रही है। यह भी चिंता की बात है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कुछ अन्य विपक्षी नेता बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर करने की कार्रवाई का विरोध करते रहते हैं। यह वोट बैंक की सस्ती राजनीति ही है।
प्रधानमंत्री ने लाल किले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की खुलकर तारीफ की। यह कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं को रास नहीं आया। कांग्रेस सदैव आरएसएस पर हमलावर रहती है। विपक्षी खेमा यह जताने में भी जुटा रहता है कि पीएम मोदी और आरएसएस के बीच सब कुछ सही नहीं। शायद इसी कारण प्रधानमंत्री ने आरएसएस की देश सेवा की प्रशंसा करते हुए उसे विश्व का सबसे बड़ा एनजीओ कहा। बदले हुए घटनाक्रम में जिस प्रकार सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की चुनौतियां बढ़ी हैं, उनसे निपटने के लिए ठोस प्रयास जरूरी हो गए हैं। मोदी सरकार को रोजमर्रा के उस भ्रष्टाचार का भी कोई समाधान निकालना होगा, जिससे आम आदमी परेशान रहता है। आम जनता की कुछ तकलीफें बढ़ रही हैं।
खासतौर से शहरी इलाकों में लोगों को बहुत परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। बारिश के मौसम में जब स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, तब हमारे छोटे-बड़े शहर जलभराव से बेहाल दिखते हैं। कृषि और समूची अर्थव्यवस्था के लिए जो मानसून वरदान माना जाता है, वही बुनियादी ढांचे और सामान्य जनजीवन के लिए अभिशाप सा बन जाता है। बारिश के मौसम में जनता को गंभीर समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से आत्मनिर्भरता के जिस मंत्र को दृढ़ता से दोहराया, उसमें एमएसएमई सेक्टर और अन्य उद्योगों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। जहां सरकार को उनके लिए ईज आफ डूइंग बिजनेस के माहौल को और बेहतर बनाना होगा, वहीं उद्योग जगत को भी शोध एवं विकास में निवेश बढ़ाकर अपनी गुणवत्ता के साथ उत्पादकता भी बढ़ानी होगी। इससे ही देश घरेलू और बाहरी चुनौतियों का सही तरह से सामना कर पाएगा।
[लेखक दैनिक जागरण के प्रधान संपादक हैं]
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।