गैर सरकारी संगठन
विश्व बैंक ने एनजीओ यानी गैर सरकारी संगठनों को कुछ इस तरह से परिभाषित किया है। 'ऐसे निजी संगठन जो कुछ इस तरीके की गतिविधियों से जुड़े होते हैं जिनसे किसी की परेशानी दूर होती हो, गरीबों के हित को बढ़ावा मिलता हो, पर्यावरण को सुरक्षित रखा जाता हो, मूलभूत सामाजिक सेवाएं मुहैया कराई जाती हों या सामुदायिक विकास का जिम्मा
विश्व बैंक ने एनजीओ यानी गैर सरकारी संगठनों को कुछ इस तरह से परिभाषित किया है। 'ऐसे निजी संगठन जो कुछ इस तरीके की गतिविधियों से जुड़े होते हैं जिनसे किसी की परेशानी दूर होती हो, गरीबों के हित को बढ़ावा मिलता हो, पर्यावरण को सुरक्षित रखा जाता हो, मूलभूत सामाजिक सेवाएं मुहैया कराई जाती हों या सामुदायिक विकास का जिम्मा उठाया जाता हो'। विश्व बैंक के प्रमुख दस्तावेज 'वर्किग विद एनजीओज' में विस्तारित परिभाषा के अनुसार एनजीओ किसी ऐसी संस्था को कहते हैं जो गैर लाभकारी हो और सरकार से स्वतंत्र हो। मूलत: नैतिक मूल्यों पर आधारित ऐसी संस्थाएं पूर्ण या आंशिक रूप से दान या चंदे और स्वैच्छिक सेवाओं पर आश्रित होती हैं। पिछले दो दशक से एनजीओ क्षेत्र साल दर साल तेजी के साथ पेशेवर होता जा रहा है।
काम एक नाम अनेक: भिन्न-भिन्न स्रोतों में ऐसी संस्थाओं को अलग-अलग नामों से जाना और समझा जाता है। कहीं पर इन्हें सिविल सोसायटी आर्गनाइजेशन , कहीं पर निजी स्वैच्छिक संगठन (पीवीओज), चैरिटी, नॉन प्रॉफिट चैरिटीज, चैरिटेबल आर्गनाइजेशन तो कहीं पर इन्हें थर्ड सेक्टर आर्गनाइजेशन जैसे अन्य नामों से बुलाया जाता है।
गठन में तेजी: पिछली सदी के आठवें दशक के बाद सामाजिक सरोकार से जुड़े मसलों को एक निर्णायक मोड़ देने की पाक-साफ नीयत से ऐसे गैर सरकारी संगठनों के गठन की बाढ़ आ गई। ये संस्थाएं उस खाली स्थान को भरने के लिए आगे आने लगीं जिनको सरकारें या तो करना नहीं चाहती थीं या फिर वे कर नहीं सकती थीं। विश्व बैंक के 'वर्किंग विद एनजीओज' दस्तावेज के अनुसार पिछली सदी के आठवें दशक के मध्य में एनजीओ सेक्टर ने विकासशील और विकसित देशों में समान रूप से अप्रत्याशित वृद्धि हासिल की। एक अनुमान के मुताबिक कुल विदेशी विकास संबंधी सहायता राशि का करीब 15 फीसद से ज्यादा हिस्सा ऐसे एनजीओ की मदद से पहुंचाया जा रहा है।
सेवाभावना: इन संगठनों का एकमात्र मकसद सामाजिक सेवा भावना है। लाभ कमाना इनका मकसद नहीं होता। गैर सरकारी संगठन राजनीतिक रूप से स्वतंत्र होते हैं, लेकिन वास्तविकता में ऐसा होना बहुत दुर्लभ होता है। इसके कई कारण होते हैं। सरकारों, अन्य संस्थानों, कारोबारी और औद्योगिक घरानों के अलावा अन्य स्रोतों से लिया जाने वाला चंदा इसकी प्रमुख वजह माना जाता है।
उत्प्रेरक: गैर सरकारी संगठनों के उद्भव और विकास को तेजी कई कारणों से मिली। एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर रिचर्ड रॉबिंस ने अपनी किताब 'ग्लोबल प्रॉब्लम्स एंड द कल्चर ऑफ कैपिटालिज्म' में इन वजहों पर रोशनी डाली है।
* शीत युद्ध के खात्मे के बाद गैर सरकारी संगठन चलाना अपेक्षाकृत आसान हुआ
* बेहतर होती संचार सुविधाएं खासकर इंटरनेट जिसने एक नए वैश्विक समुदाय के सृजन में मदद की और देशों की सीमाओं से परे समान विचार वाले लोगों के बीच एक जुड़ाव पैदा किया।
* संसाधनों में बढ़ोतरी, बढ़ती पेशेवर प्रवृत्ति और गैर सरकारी संगठनों में रोजगार के अधिक और अच्छे मौके।
* अपनी विशेष क्षमता के चलते मीडिया ने वैश्विक समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक किया। इसके चलते लोगों की सरकारों या उस समस्या से निजात दिलाने वालों से अपेक्षाओं में इजाफा हुआ।
* एक व्यापक, नव उदार आर्थिक और राजनीतिक एजेंडे का अस्तित्व में आना। आर्थिक और राजनीतिक विचारधाराओं में परिवर्तन होना जिसके चलते सरकारों और सहायता एजेंसियों के अधिकारियों का समर्थन गैर सरकारी संगठनों को मिला।
भारत में एनजीओ की स्थिति: जाने-माने वकील एमएल शर्मा ने अन्ना हजारे के एनजीओ हिंद स्वराज ट्रस्ट की वित्तीय अनियमितता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तत्कालीन एडीशनल सोलीसीटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि इस मामले में सीबीआइ का इस्तेमाल करके यह पता लगाया जाए कि देश में कितने ऐसे एनजीओ काम कर रहे हैं? उनकी वित्तीय स्थिति का विवरण क्या है और क्या वे आयकर रिटर्न जमा कर रहे हैं?
600 लोगों पर एक एनजीओ: फरवरी, 2014 में सीबीआइ ने यह विवरण अदालत के सामने रखा। आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश ने अपनी जमीन पर काम करने वाले एनजीओ की संख्या के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी।
इसके बावजूद भी अन्य राच्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इन संगठनों की संख्या 13 लाख पहुंच गई। इस संख्या के आधार पर न्यूनतम अनुमान पर जब पूरे देश को आंका गया तो एनजीओ की संख्या 20 लाख हुई। आपको जानकर ताच्जुब होगा कि
1.2 अरब लोगों के जिस देश में 943 लोगों पर एक पुलिस है वहां 600 लोगों पर एक एनजीओ काम कर रहा है।
प्रमुख राच्यों पर एक नजर
राच्य -- कुल एनजीओ
उत्तर प्रदेश -- 5,48,194
केरल -- 3,69,137
मध्य प्रदेश -- 1,40,000
महाराष्ट्र -- 1,07,797
गुजरात -- 75,729
विदेशी चंदा: देश में मौजूद कुल 20 लाख एनजीओ सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, ट्रस्ट एक्ट जैसे कानूनों के तहत पंजीकृत किए जाते हैं।
साल -- विदेशी चंदा पाने वाले एनजीओ -- रकम (करोड़ रुपये में)2009-10 -- 22401 -- 10435.22
2010-11 -- 22993 -- 10343.58
2011-12 -- 21804 -- 10581.19
सर्वाधिक दानदाता देश: भारत में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों को जिन देशों ने सर्वाधिक विदेशी चंदा दिया उनके विवरण इस प्रकार हैं।
प्रमुख देशों पर एक नजर
देश -- करोड़ रुपये
अमेरिका -- 3838.23
यूके -- 1219.02
जर्मनी -- 1096.01
इटली -- 528.88
नीदरलैंड्स -- 418.37
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