डाक विभाग की स्पीड से हारे खिलाड़ी, लापरवाही ने छीने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
उत्तराखंड को इस बार कोई राष्ट्रीय खेल पुरस्कार नहीं मिलेगा। कारण यह है कि केंद्रीय खेल व युवा कल्याण मंत्रालय को भेजे जाने वाले आवेदन समय पर नहीं पहुंच सके।
हल्द्वानी, [जेएनएन]: उत्तराखंड को इस बार कोई राष्ट्रीय खेल पुरस्कार नहीं मिलेगा। ऐसा नहीं है कि प्रदेश का कोई कोच या खिलाड़ी इसे पाने की हसरत नहीं रखता या योग्य खिलाड़ियों की कमी है। कड़ी मेहनत करने वाले कोच व खिलाड़ियों ने तो पुरस्कार पाने के लिए बकायदा तय समय पर आवेदन भी किए, लेकिन डाक व खेल विभाग की लापरवाही के कारण प्रदेश के दस खिलाड़ी व कोचों के सपने टूट गए।
केंद्रीय खेल व युवा कल्याण मंत्रालय को भेजे जाने वाले आवेदन विभाग ने दो माह देर से भेजे। यही वजह है कि आवेदन तय समय पर न मिलने के कारण निरस्त हो गए हैं।
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मार्च माह में राजीव गांधी खेल रत्न, मेजर ध्यानचंद, द्रोणाचार्य, अर्जुन व खेल रत्न जैसे अनेक पुरस्कारों के लिए केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ने आवेदन जारी किए थे। 30 अप्रैल तक आवेदन के सभी फार्म दिल्ली स्थित कार्यालय पहुंचने थे। प्रदेश से योग्य खिलाड़ियों व कोच ने पुरस्कारों के लिए आवेदन भी किए।
स्पीड पोस्ट के माध्यम से देहरादून कार्यालय सभी आवेदन भेजे गए। खेल विभाग का दावा है कि कार्यालय को 25 अप्रैल को आवेदन संबंधी डाक मिली। इसके बाद 27 अप्रैल को स्पीड पोस्ट से सभी आवेदन दिल्ली स्थित कार्यालय के लिए पोस्ट किए गए, लेकिन डाक विभाग की स्पीड पोस्ट की स्पीड इतनी धीमी थी कि संबंधित डाक दो माह बाद दिल्ली कार्यालय पहुंची।
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डाक विभाग और खेल विभाग एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं, लेकिन जिन लाभार्थियों को पुरस्कार से वंचित रहना पड़ेगा उन्हें पूछने वाला कोई नहीं। स्पीड पोस्ट की सुस्त चाल ने खिलाड़ियों के सपने तो तोड़े ही, प्रदेश को मिलने वाला गौरव भी छीन लिया। राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिए प्रदेश से 10 खिलाड़ी और कोचों ने आवेदन किए थे।
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तय समय पर की थी पोस्ट
उपनिदेशक खेल अजय अग्रवाल के मुताबिक खेल विभाग को डाक 25 अप्रैल को मिली थी। इसे तय समय पर दिल्ली कार्यालय के लिए पोस्ट कर दिया गया। डाक देरी से पहुंचने की पड़ताल की जा रही है। विभाग की कोई गलती नहीं है।
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