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    आइआरबी व पीएसी में रैंकर्स दरोगा बनने का रास्ता साफ

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Tue, 29 Nov 2016 06:55 AM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को राहत देते हुए आइआरबी और पीएसी में भर्ती के लिए एक और मौका दिया है।

    नैनीताल, [जेएनएन]: नैनीताल हाई कोर्ट ने इंडिया रिजर्व बटालियन(आइआरबी) व पीएसी के कर्मचारियों की दरोगा रैंकर्स बनने की हसरत पूरी करने का मौका दे दिया है। मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ व वरिष्ठ न्यायाधीश वीके बिष्ट की खंडपीठ ने उनकी विशेष अपील स्वीकार करते हुए एकल पीठ का आदेश निरस्त कर दिया है। फैसले से पुलिस कर्मियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
    पुलिस कर्मी मोहन सिंह व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि इंडिया रिजर्व बटालियन व पीएसी सिविल पुलिस का हिस्सा नहीं है, मगर राज्य सरकार द्वारा पीएसी व रैंकर्स दरोगा पद की पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल कर लिया।
    इस वजह से सिविल पुलिस के अभ्यर्थी पदोन्नति से वंचित रह गए। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता के तर्कों को स्वीकार करते हुए साफ किया था कि आइआरबी व पीएसी सिविल पुलिस के अंग नही हैं।

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    एकलपीठ के इस आदेश को अभ्यर्थी रवि बिष्ट व अन्य द्वारा विशेष अपील के जरिये चुनौती दी गई। जिसमें कहा गया था कि आईआरबी व पीएसी की ट्रेनिंग, सेवा शर्तें, सिविल पुलिस के समान हैं, इसलिए उन्हें भी पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल किया जाए।

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    पूर्व में खंडपीठ ने सिविल पुलिस, पीएसी व आरआरबी के दरोगा रैंकर्स के सफल अभ्यर्थियों को इस आधार पर ट्रेनिंग पर भेजने के निर्देश दिए थे कि प्रशिक्षण अदालत के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी। खंडपीठ के इस फैसले को मोहन सिंह तोमक्याल व अन्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

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    सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित करते हुए मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया, साथ ही छह माह के भीतर मामला निस्तारित करने के निर्देश सर्वोच्च अदालत द्वारा दिए गए थे।

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    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दरोगा रैंकर्स के प्रशिक्षण पूरा कर चुके पुलिस कर्मियों को वापस जिलों में मूल पद पद पर भेज दिया गया। यहां उल्लेखनीय है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा दरोगा रैंकर्स के 304 पदों में सिविल पुलिस के 270 पद निर्धारित किए थे। चयनित अभ्यर्थियों द्वारा आठ जनवरी से 11 अगस्त तक गहन प्रशिक्षण हासिल किया।

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