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    भीमताल में बसे तितलियों के संसार में पहुंचा दुनियां का सबसे बड़ा पतंगा, जानिए..

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 02 Aug 2016 07:30 AM (IST)

    दुनिया का सबसे बड़ा पतंगा एटलस मॉथ भी भीमताल में अब उपस्थिति दर्ज कराने लगा है। इसे लेकर वैज्ञानिक उत्साहित हैं।

    भीमताल, [राकेश सनवाल]: क्या आपने कभी अपने आसपास चक्कर लगा रही किसी तितली को गौर से देखा। यदि नहीं तो अब जरूर देखिए। क्योंकि यह दुनियां का सबसे बड़ा पतंगा एटलस मॉथ भी हो सकता है।
    भीमताल की जलवायु फूलों के लिए उपयुक्त है। इस कारण यहां तितली और पतंगे रचने-बसने लगे हैं। ये तितली व पतंगे रंग व आकार में भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि इनमें दुनिया का सबसे बड़ा पतंगा एटलस मॉथ भी भीमताल में अब उपस्थिति दर्ज कराने लगा है।

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    एटलस मॉथ दुनिया में पाये जाने वाले पतंगों में सबसे बड़ा है। इसके पंखों का घेराव एक फुट तक चौड़ा हो सकता है। इसके पंख में तिकाने पारदर्शी क्षेत्र भी होते हैं। इनकी उपयोगिता पर अभी शोध बाकी है। पंख के कोने में बनी बाजनुमा आकृति इसे सांप व अन्य कीड़े-मकोड़ों से बचाते हैं।

    भीमताल स्थित बटरफ्लाइ शोध संस्थान के निदेशक पीटर स्मैटाचेक बताते हैं इसका जीवन चक्र मात्र दस दिन का होता है। यह जून से अगस्त के अंत तक दिखाई देते हैं। इसके अंडे 10 से 14 दिन के बीच फूटते हैं। 35 से 40 दिन तक कैटरपिलर की स्थिति में रहता है।

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    उन्होंने बताया कि प्यूपा से बड़ा पतंगा बनने में 21 दिन लगते हैं और पूरे आकार में आने पर इसका जीवन चक्र दस दिन से अधिक नहीं होता। अंधेरे में उड़ने वाला एटलस मॉथ रात में किसी बल्ब को देखकर रुक जाता है और कई दिनों तक वहीं बैठा रहता है।
    कीट-पतंगों पर शोध में जुटे हैं स्मैटाचेक
    कीट पतंगों के बगैर प्रकृति की कल्पना अधूरी है। बात जब इनकी खोज और उन पर शोध की हो तो भीमताल स्थित बटरफ्लाइ शोध संस्थान का जिक्र न हो, ऐसा संभव नहीं है। यहां कीट पतंगों पर अध्ययन में जुटे विशेषज्ञ का नाम है पीटर स्मैटाचेक।
    उन्होंने उत्तर भारत में कीट-पतंगों की पांच हजार से अधिक प्रजाति का पता लगाया है। वह बताते हैं देशभर में दस हजार के करीब कीट पतंगे हैं। उत्तर भारत में पांच हजार से अधिक कीट पतंगे ऐसे हैं, जिनकी ओर किसी का ध्यान अब तक नहीं गया।

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    इसमें सबसे बड़े कीटों में शुमार एटलस कीट भी शामिल है। स्मैटाचेक के मुताबिक तितली और पतंगा मनुष्य द्वारा प्रकृति पर थोपे गए शब्द हैं। वह बताते हैं तितली और पतंगा एक ही ग्रुप (लेपिडाप्टरा) में रखे गए हैं।
    उन्होंने बताया कि प्रारंभ में रंगीन लेपिडाप्टरा को तितली कहा गया। जब यूरोप से बाहर एशिया, अमेरिका व अफ्रीका देशों में कीटों पर अध्ययन प्रारंभ हुआ तो पता चला कि कुछ अति रंगीन पतंगे थे और अति भद्दी तितली। बाद में दिन में उड़ने वाले कीट को तितली और रात में उड़ने वाले को पतंगा कहा गया।
    शोध में पाया गया कि बीस हजार से अधिक प्रजाति के पतंगे दिन में उड़ते हैं। पीटर स्मैटाचेक बताते हैं जिनके एंटीना गद्दे की तरह सूजे होते हैं, उन्हें तितली और अन्य को पतंगा कहा जाता है।
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