पहली बार कैमरे में कैद तितली नैडू ब्लू, पढ़ें खबर
उत्तराखंड के ऊंचे क्षेत्रों में पाई जाने वाली नैड ब्लू की तस्वीर पहली बार कैमरे में कैद हुई है। वैज्ञानिकों ने इसे गढ़वाल के चमोली जिले के मराली क्षेत्र से कोड किया है। वे बताते हैं कि यह तितली नर है। जबकि इस प्रजाति की मादा तितली का चित्र अब
भीमताल (नैनीताल)। उत्तराखंड के ऊंचे क्षेत्रों में पाई जाने वाली नैड ब्लू की तस्वीर पहली बार कैमरे में कैद हुई है। वैज्ञानिकों ने इसे गढ़वाल के चमोली जिले के मराली क्षेत्र से कोड किया है। वे बताते हैं कि यह तितली नर है। जबकि इस प्रजाति की मादा तितली का चित्र अब भी किसी के पास नहीं है।
आधुनिकता के इस युग में जहां वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों तक के चित्र खींच रहे हैं तो वहीं पृथ्वी पर ही कई जीव-जंतु ऐसे हैं जिनके बारे में कई अनसुलझे प्रश्न हैं। उनमें से एक है तितली नैडू ब्लू। बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर भीमताल में कार्यरत शोधकर्ता राजश्री ने इस तितली के नर को कैमरे में कैद करने में सफलता हासिल की है।
उनके मुताबिक यह तितली हिमालयी और तिब्बत पठार के मध्य रेगिस्तान में पाई जाती है जो कुमाऊं और गढ़वाल के ऊंचे स्थानों पर हैं। जहां पर इस तितली की जीवन शैली के बारे में रहस्य बरकरार है। राजश्री ने इस तितली की फोटो समुद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर खींची है। इसी तितली के परिवार की एक तितली हिमाचल में भी कोड की गई है लेकिन उस पर अभी शोध बाकी है।
इस तितली का नर नीले रंग का और मादा भूरे रंग की होती है जिसका आज तक कोई भी चित्र उपलब्ध नहीं है। इस तितली को पहली बार 1926 में लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय में कार्यरत एनडी रैयली ने कोड किया था लेकिन उस दौरान कैमरे जैसे संसाधन कम होने से वह इसका चित्र नहीं ले सके।
उन्होंने ही इस तितली का वर्गीकरण किया था लेकिन तब से अब तक इस तितली का संसार रहस्य ही है। राजश्री के मुताबिक आमतौर पर यह तितली साढ़े तीन सेंटीमीटर तक लंबी और चौड़ी हो सकती है।
इस संबंध में बटर फ्लाई रिसर्च सेंटर भीमताल के निदेशक पीटर स्मैटाचैक ने कहा कि बटर फ्लाई रिसर्च सेंटर भीमताल में इस तितली के बारे में इसका जीवंत फोटो उपलब्ध होने के बाद उस पर शोध किया जा रहा है। उत्तराखंड में ही नेडू ब्लू के अतिरिक्त एक अन्य तितली का फोटो भी खींचा गया है। इसके बारे में अध्ययन किया जा रहा है। नेडू ब्लू के जीवन शैली के बारे में विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।
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