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    उत्‍तराखंड में है एक ऐसी तितली की प्रजाति, जिसमें छिपे हैं कई रहस्‍य

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jul 2016 05:00 AM (IST)

    लेथे डकवानिया नामक तितली अब तक केवल उत्तराखंड में ही देखी गई है। यह तितली वर्ष 2015 में केदारनाथ में खोजी गई थी। यह एकमात्र तितली है जो इतनी अधिक ऊंचाई पर खोजी गई।

    भीमताल, [राकेश सनवाल]: उत्तराखंड में एक ऐसी तितली की प्रजाति है, जो अपने में कई रहस्य समेटे हुए है। इनके जीवन चक्र, भोजन आदि कई महत्वपूर्ण पहलुओं को लेकर अब पर्दा उठेगा। इसी को लेकर विशेषज्ञ 9 से 12 सितंबर तक केदारनाथ में आयोजित होने जा रही कार्यशाला में मंथन करेंगे। यह पहली बार है जब केदारनाथ सरीखे ऊंचाई वाले स्थान पर वन विभाग व बटरफ्लाई शोध संस्थान तितलियों पर अध्ययन के लिए संयुक्त कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।

    तितली विशेषज्ञों के मुताबिक लेथे डकवानिया नामक तितली अब तक केवल उत्तराखंड में ही देखी गई है। इस मायने से इस कार्यशाला को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कार्यशाला का आयोजन केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में होगा। जिसमें केरल, बांबे, कोलकाता, लखनऊ, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के जाने-माने तितली विशेषज्ञ भाग लेंगे।
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    2015 में खोजी गई थी यह तितली
    लेथे डकवानिया नामक यह तितली वर्ष 2015 में केदारनाथ में खोजी गई थी। यह एकमात्र तितली है जो इतनी अधिक ऊंचाई पर खोजी गई। तितली विशेषज्ञ पीटर स्मेटाचेक की मानें तो संभवत यह तितली विशेष प्रकार के बांस व रिंगाल से अपना भोजन लेती है। इस तितली का सर्वप्रथम उल्लेख 1939 में प्रकाशित पुस्तक जोनल आफ बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के लेखक टाइटलर ने किया था। 1939 से पूर्व किसी व्यक्ति ने इसे ब्रिटिश संग्रहालय को भेंट कर दिया। संग्रहालय द्वारा लेथे डकवानिया को मिलते-जुलते कामन फारिस्टर लेथे इसाना नाम की तितली के साथ मिला दिया गया। 1939 में टाइटलर ने पहचाना कि लेथे डकवानिया अलग प्रजाति है। 1939 के बाद इसको 2015 में केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में खोजा गया।
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    डकवानी पड़ाव के नाम पर हुआ नामकरण
    सड़कों के अभाव में जब पैदल यात्रा का प्रचलन था तब बद्रीनाथ का मार्ग नंदप्रयाग से रामणी और फिर कुंवारीखाल होते हुए जोशीमठ और बद्रीनाथ रहा था। कहा जाता है कि रामणी व कुंवारीखाल के पड़ाव डकवानी में इस तितली को देखा गया। इसी कारण इसका नाम लेथे डकवानिया पड़ा।

    केदारनाथ में इस तरह की कार्यशाला पहली बार आयोजित हो रही है। कार्यशाला के तहत तुंगनाथ आदि स्थानों पर जाकर वैज्ञानिक वहां पाई जाने वाली तितलियों पर अध्ययन करेंगे। कार्यशाला का फोकस लेथे डकवानिया होगी।
    -पीटर स्मैटाचेक, निदेशक बटरफ्लाइ शोध संस्थान

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