यहां गलती करने पर छात्रों को मिलती है ऐसी अनोखी सजा, जानिए..
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में नियमों का उल्लंघन करने वाले छात्रों को दंडित करने का अनोखा तरीका अपनाया है। ऐसे छात्रों को योगा व सामुदायिक सेवा करवाई जाती है।
रुड़की, [जेएनएन]: अधिकांश शिक्षण संस्थानों में अनुशासनहीनता करने पर छात्र-छात्राओं से आर्थिक दंड वसूला जाता है, लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में नियमों का उल्लंघन करने पर छात्र-छात्राओं से योगा व सामुदायिक सेवा करवाई जाती है।
संस्थान ने नियमों का उल्लंघन करने वाले छात्रों को दंडित करने का अनोखा तरीका अपनाया है। पहले तो अनुशासन तोड़ने वाले छात्रों से केवल योगा करवाया जाता था, लेकिन अब सामुदायिक सेवा को भी इसमें जोड़ दिया है। जो छात्र किसी भी कारणवश योगा नहीं कर सकते हैं उन्हें अपने धर्म के अनुसार मंदिर, मस्जिद या फिर चर्च में एक घंटे प्रतिदिन अपनी सेवाएं देनी होती हैं।
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यहीं नहीं, गलती के अनुसार छात्रों को 15 दिन से लेकर एक महीने तक वहां की साफ-सफाई करनी होती है। छात्र नियमित रूप से और सही ढंग से कार्य कर रहे हैं या नहीं, इसकी भी निगरानी की जाती है।
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संस्थान परिसर स्थित मंदिर में जहां पुजारी तो वहीं मस्जिद के मौलवी छात्रों के कार्य पर नजर रखते हैं। डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर से जुड़े एसोसिएट डीन भी कई बार औचक निरीक्षण करते हैं। साथ ही रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता है।
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इसके अलावा जो छात्र दंड के रूप में योग की कक्षाएं करना चाहते हैं उन्हें भी रोजाना सुबह सवा छह से लेकर सवा सात बजे तक योग करना पड़ता है। यह कक्षाएं भी 15 दिन से लेकर एक महीने तक चलती हैं। आइआइटी रुड़की के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर (डीओएसडब्ल्यू) की ओर से छात्रों को दंडित करने के इस अनोखे ढंग से देश की कई अन्य आइआइटी भी प्रभावित हैं।
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इस संबंध में उन्होंने संस्थान के डीओएसडब्ल्यू से भी जानकारी मांगी है। उधर, आइआइटी रुड़की के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. डीके नौडियाल के अनुसार छात्र किसी तरह की अनुशासनहीनता करते हैं तो उन पर आर्थिक दंड नहीं लगाया जाता है क्योंकि आर्थिक दंड तो उनके अभिभावकों को ही चुकाना होगा।
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उनका प्रयास है कि छात्र कोई गलती करते हैं तो उनमें सुधार लाया जाए। ऐसे में उनसे योगा व सामुदायिक सेवा करवाई जाती है। छात्र अपनी रूचि के अनुसार इनमें से कोई भी कार्य चुनते हैं।
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छात्रों को लाभ
डीओएसडब्ल्यू की ओर से छात्रों को योगा व सामुदायिक सेवा करवाने से छात्रों को ही इसका लाभ होता है। योग करने के लिए छात्रों को सुबह जल्दी उठना पड़ता है। ऐसे में जिन छात्रों को सुबह जल्दी उठने की आदत नहीं है वो अगली बार से अपनी गलती नहीं दोहराएंगे।
वहीं योग करने से वे शारीरिक व मानसिक रूप से भी खुद को फिट बना सकेंगे। सामुदायिक सेवा से उनको सामाजिक कार्यों को करने की सीख मिलती है।
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