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    नारी की मजबूती का आधार बनीं नैनीताल की विजयलक्ष्मी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 17 Feb 2017 04:00 AM (IST)

    नैनीताल के सूखाताल निवासी विजयलक्ष्मी थापा महिलाओं की मजबूती का आधार बनी हुई हैं। वह अब तक पांच हजार महिलाओं को सिलाई, बुनाई, पेंटिंग आदि का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।

    नारी की मजबूती का आधार बनीं नैनीताल की विजयलक्ष्मी

    नैनीताल, [किशोर जोशी]। बचपन से ही गरीब बालिकाओं को शिक्षित करने व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का जुनून था। नेहरू युवा केंद्र में सिलाई प्रशिक्षक के तौर पर बुलाया गया तो सोच को आगे बढ़ाने का मौका मिला। इसी की परिणति है वर्ष 1998 में नैनी महिला एवं बाल विकास समिति का गठन। शुरुआत में दिक्कतें आईं, पर दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते उनसे पार पा लिया और इसी के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई।

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    नैनीताल के सूखाताल निवासी विजयलक्ष्मी थापा अब तक पांच हजार महिलाओं व बालिकाओं को सिलाई, बुनाई, पेंटिंग, बैग बनाने, ब्यूटी पॉर्लर आदि का प्रशिक्षण प्रदान कर हुनरमंद बना चुकी हैं।

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    ग्रामीण महिलाओं को रिंगाल से निर्मित उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देने पर तो उन्हें महिला व बाल विकास विभाग की वाहवाही भी मिली। विजयलक्ष्मी ने जिला मुख्यालय के अलावा कोटाबाग व भीमताल विकासखंडों में भी प्रशिक्षण देने के साथ महिला जागरूकता शिविर आयोजित किए।

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    इनमें विशेषज्ञों की ओर से महिलाओं को स्वास्थ्य, टीकाकरण व बालिका शिक्षा की महत्ता बताने के साथ ही कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूक भी किया गया।

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    वर्तमान में विजयलक्ष्मी नेहरू युवा केंद्र की सलाहकार समिति, पातन समिति नैनीताल व पॉलीटेक्निक की एडवाइजरी कमेटी की सदस्य भी हैं।

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    बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परिवार का भी सहयोग नहीं मिला, लेकिन लक्ष्य तय कर लेने के बाद वह रुकी नहीं।

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    अर्थशास्त्र में एमए विजयलक्ष्मी अपनी संस्था के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार की तमाम स्वरोजगार योजनाओं के तहत महिलाओं को प्रशिक्षित करती हैं। साथ ही बैंक ऋण दिलवाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद भी करती हैं। यही वजह है कि क्षेत्र के लोग उन्हें मिसाल के तौर पर पेश करते हैं।

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    विजय लक्ष्मी थापा के मुताबिक महिलाओं का आत्मनिर्भर होना पुरुषों से अधिक जरूरी है। महिलाओं के साक्षर और आत्मनिर्भर होने से ही समृद्ध उत्तराखंड की कल्पना को साकार किया जा सकता है।

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