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    इस वजह से है उत्तर भारत के इन स्थानों पर बड़े भूकंप का खतरा

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 08 Feb 2017 08:37 PM (IST)

    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तर भारत में खासकर उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर, पंजाब क्षेत्र में शक्तिशाली भूकंप का खतरा बना है।

    इस वजह से है उत्तर भारत के इन स्थानों पर बड़े भूकंप का खतरा

    देहरादून, [सुमन सेमवाल]: भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन इसके प्रति सचेत जरूर रहा जा सकता है। खासकर तब, जब वैज्ञानिक यह बता पाने में सक्षम हों कि संबंधित क्षेत्र में कितना शक्तिशाली भूकंप कितनी अवधि के भीतर आ सकता है।

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    सोमवार देर रात रुद्रप्रयाग में आए 5.8 रिक्टर स्केल के भूकंप के बाद इस विषय पर गंभीर चर्चा की जरूरत महसूस होने लगी है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की मानें तो और भी शक्तिशाली भूकंप के उत्तर भारत खासकर उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर, पंजाब के क्षेत्र में आने की आशंका हर समय बनी है।

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    यह भूकंप आने वाले दिनों से लेकर 50 साल बाद भी आ सकता है। इसकी प्रमुख वजह है इन हिमालयी क्षेत्र की भूगर्भीय प्लेटों का लगातार तनाव की स्थिति में रहना।

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    संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक इंडियन प्लेट सालाना 45 मिलीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट के नीचे घुस रही है। इससे भूगर्भ में लगातार ऊर्जा संचित हो रही है।

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    तनाव बढ़ने से निकलने वाली अत्यधिक ऊर्जा से भूगर्भीय चट्टानें फट सकती हैं। 2000 किलोमीटर लंबी हिमालय शृंखला के हर 100 किमी क्षेत्र में उच्च क्षमता का भूकंप आ सकता है। हिमालयी क्षेत्र में ऐसे 20 स्थान हो सकते हैं।

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    वैसे इस बेल्ट में इतनी शक्तिशाली भूकंप आने में करीब 200 साल का वक्त लगता है। अप्रैल 2015 में काठमांडू क्षेत्र में आए भूकंप को भी इस बात समझा जा सकता है। काठमांडू से 80 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में इसी केंद्र पर 7.5 रिक्टर स्केल की तीव्रता का भूकंप 1833 में आया था।

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    इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में कभी भी विनाशकारी भूंकप आ सकता है और यह रुद्रप्रयाग में आए भूकंप से कहीं अधिक ऊच्च क्षमता का हो सकता है।

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    अल्पाइन पट्टी में आती है हिमालय शृंखला

    उत्तराखंड समेत तमाम हिमालयी राज्य ऐसी अल्पाइन पट्टी में आते हैं, जिसमें विश्व के 10 फीसद भूकंप आते हैं। यह धरती की सतह पर मौजूद तीन भूकंपीय पट्टी में से एक है। नेपाल भी इसी अल्पाइन पट्टी में आता है।

    वैसे यह पट्टी न्यूजीलैंड से होते हुए ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, अंडमान एंड निकोबार, जम्मू कश्मीर, अफगानिस्तान, भूमध्य सागर व यूरोप तक फैली है।

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    प्लेटों के तनाव से लगातार बदल रहा भूगोल

    वैज्ञानिकों के मुताबिक करीब चार करोड़ साल पहले आज जहां हिमालय है, वहां से भारत करीब पांच हजार किलोमीटर दक्षिण में था। प्लेटों के तनाव के कारण धीरे-धीरे एशिया और भारत निकट आए और हिमालय का निर्माण हुआ। प्लेटों की इसी गति के कारण एक समय ऐसा भी आएगा कि दिल्ली में पहाड़ अस्तित्व में आ जाएंगे।

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