उत्तराखंड में लगातार भूकंप आने पर वाडिया की चेतावनी
उत्तरकाशी में 12 दिसंबर सुबह आए 2.8 रिक्टर स्केल के भूकंप को मिलाकर अब तक चार झटके आ चुके हैं। उत्तराखंड के लिए यह खतरे की घंटी है।
देहरादून, [जेएनएन]: छोटे-छोटे भूकंप यह बताते हैं कि पृथ्वी के नीचे तनाव की स्थिति है और इससे लगातार ऊर्जा पैदा हो रही है। चिंता तब और बढ़ जाती है, जब इस तरह के भूकंप एक ही स्थल पर बार-बार आ रहे हों। यह कहना है वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल का। उत्तरकाशी में 12 दिसंबर सुबह आए 2.8 रिक्टर स्केल के भूकंप को मिलाकर अब तक चार झटके आ चुके हैं।
चिंता की बात यह कि ये झटके एक ही भूकंपीय पट्टी में आए हैं। इनका केंद्र भी सतह से लगभग पांच किलोमीटर की ही गहराई में रहा। इन सब भूकंपों में सबसे बड़ी समानता यह है कि ये उत्तरकाशी में वर्ष 1991 में आए 6.8 रिक्टर स्केल के विनाशकारी भूकंप के केंद्र के करीब आए हैं। ये सब पुराने भूंकप के पश्चिम में सात से 25 किलोमीटर की दूरी पर आए हैं।
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वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल का कहना है कि इन भूकंपों को निश्चित तौर पर भविष्य में बड़े भूकंप के तौर पर नहीं देखा जा सकता, लेकिन किसी खतरे से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है। क्योंकि कहीं न कहीं इन भूकंपों का संबंध वर्ष 1991 के भूकंप से है।
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हो सकता है कि इस क्षेत्र में भूगर्भ में विनाशकारी भूकंप की ऊर्जा संचित हो चुकी हो। शासन व प्रशासन को चाहिए कि वह पूरी तरह से मुस्तैद रहे और लोगों को भी भूकंप के लिए हर समय तैयार रहने के लिए जागरूक करे।
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देश में भी बड़े भूकंप की हर समय आशंका
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल के अनुसार देश के हिमालयी क्षेत्र में ग्रेट अर्थक्वेक (बेहद शक्तिशाली भूकंप) वर्ष 1905 में कांगड़ा व वर्ष 1934 में बिहार-नेपाल सीमा पर आया था। इसके बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया और अंतराल काफी हो गया है। जबकि धरती के भीतर तनाव लगातार जारी। कह सकते हैं कि बड़े भूकंप के लिए पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा धरती में संरक्षित हो सकती है।
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