किसी बड़े खतरे की आहट तो नहीं उत्तरकाशी में भूकंप के झटके
उत्तराशी में तीन घंटे के अंतराल में आए दो भूकंप ने वैज्ञानिकों को इस चिंता में डाल दिया कि कहीं ये खतरे का संकेत तो नहीं। इनका केंद्र पूर्व के बड़े भूकंप के केंद्र के समीप ही रहा।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तरकाशी में सवा तीन घंटे के अंतराल में आए भूकंप के दो झटके किसी बड़े खतरे की आहट तो नहीं। क्योंकि ये दोनों भूकंप वर्ष 1991 के उत्तरकाशी के विनाशकारी भूकंप (6.8 रिक्टर स्केल) के केंद्र के करीब आए हैं। इनकी दूरी उस भूकंप के केंद्र से महज 25 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में आंकी गई। वैज्ञानिक भी इसे लेकर आशंकित हैं। हालांकि अगला भूकंप कब और कितनी क्षमता का आएगा, इसकी भविष्यवाणी संभव नहीं।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल के अनुसार देश के हिमालयी क्षेत्र में ग्रेट अर्थक्वेक (बेहद शक्तिशाली भूकंप) वर्ष 1905 में कांगड़ा व वर्ष 1934 में बिहार-नेपाल सीमा पर आया था।
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इसके बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया और अंतराल काफी हो गया है। जबकि, धरती के भीतर तनाव लगातार जारी है। कह सकते हैं कि बड़े भूकंप के लिए पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा धरती में संरक्षित हो सकती है।
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ऐसे में हमें हर समय बड़े भूकंप के लिए तैयार रहना पड़ेगा और उसी के अनुसार व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखनी पड़ेगी। उत्तरकाशी का भूकंप हिमालय के निर्माण के समय बने मेन सेंटर थ्रस्ट लाइन के करीब है। इसके अलावा भी क्षेत्र में कई सक्रिय भूकंपीय फॉल्ट हैं।
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