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    उत्तराखंड की माटी से निकले हैं एक नहीं कई वीर सपूत

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Mon, 19 Dec 2016 05:43 PM (IST)

    थलसेनाध्‍यक्ष बिपिन रावत और रॉ प्रमुख अनिल धस्‍माना ही नहीं, इससे पहले अजीत डोभाल और उससे भी पहले 1954 से 1995 तक आर्मी के जनरल रहे बिपिन जोशी भी उत्‍तराखंड का मान बढ़ा चुके हैं।

    देहरादून, [जेएनएन]: सैन्य बहुल उत्तराखंड के लिए 17 दिसंबर का दिन गौरवान्वित करने वाला रहा। यहां के दो सपूतों को देश की सुरक्षा से जुड़ी अहम जिम्मेदारियों से नवाजा गया है। इनमें नवनियुक्त थल सेना अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत और खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख अनिल कुमार धस्माना दोनों ही पौड़ी जिले के मूल निवासी हैं। क्या अाप जानते हैं कि 1954 से 1995 तक भारतीय सेना में रहे जनरल उत्तराखंड के ही थे।

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    अल्मोड़ा के बिपिन जोशी भी बढ़ा चुके हैं मान
    वीरों की भूमि उत्तराखंड देश को पहले भी थल सेनाध्यक्ष दे चुकी है। ले. जनरल बिपिन रावत से पहले अल्मोड़ा निवासी स्व. जनरल बिपिन चंद्र जोशी थल सेना की कमान संभाल चुके हैं। उन्होंने देश के 17वें सेना प्रमुख के रूप में कमान संभाली थी।

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    वर्ष 1935 में जन्मे जनरल जोशी वर्ष 1954 में सेना से जुड़े और अंतिम समय तक सेना को सेवाएं दीं। जोशी वर्ष 1993 में थल सेना प्रमुख बने थे। उनका कार्यकाल वर्ष 1995 में पूरा होना था, लेकिन इससे कुछ समय पहले ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। वह परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल जैसे सम्मान से भी नवाजा गए थे।

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    वहीं, देश की नौ सेना को मुखिया देने में भी उत्तराखंड का योगदान रहा। मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी एडमिरल डीके जोशी ने 21वें नौ सेना प्रमुख के रूप में अगस्त 2012 को कमान संभाली थी। करीब दो साल तक देश को सेवा देने के बाद उन्होंने इस पद से स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था। नौ सेना की पनडुब्बियों में हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने त्यागपत्र देकर मिसाल कायम की थी। एडमिरल डीके जोशी भी परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, नौसेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजे जा चुके हैं।

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    थल सेनाध्यक्ष के लिए उपसेना प्रमुख बिपिन रावत और रॉ के प्रमुख पद के लिए वरिष्ठ आइपीएस अनिल कुमार धस्माना के नाम सबसे आगे चल रहे थे। दोनों के नाम की घोषणा होते ही समूचे उत्तराखंड में खुशी की लहर दौड़ गई। इससे राज्यवासी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। बता दें कि अनिल कुमार धस्माना पौड़ी जिले के तोली गांव के निवासी हैं, जबकि बिपिन रावत सैणागांव (द्वारीखाल ब्लाक) के। खुशी इसलिए भी दोगुनी हो गई कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी उत्तराखंड के पौड़ी जिले से हैं, जबकि डीजीएमओ टिहरी जनपद से ताल्लुक रखते हैं।

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    अनिल धस्माना को रॉ का प्रमुख बनाने से तोली गांव भले ही चर्चा में हो, लेकिन इस गांव ने अब तक कई हस्तियां दी हैं। शिक्षक प्रशांत धस्माना बताते हैं कि प्रसिद्ध योगसाधक स्वामीराम तोली गांव से ही थे। समाजसेवी प्रयागदत्त धस्माना, एचआइएचटी के कुलपति डॉ.विजय धस्माना, स्वामी हरिहरानंद, जेएनयू के रजिस्ट्रार केडी धस्माना जैसी नामचीन हस्तियों के साथ ही एक दर्जन से अधिक सैन्य अधिकारी, दो पीसीएस अधिकारी, कई शिक्षक इस गांव ने दिए हैं।

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