Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पहाड़ के युवाओं को सेना भर्ती में मिल सकती है ये छूट, जानिए..

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 15 Dec 2016 06:55 AM (IST)

    सेना में भर्ती के लिए पहाड़ी राज्यों को लंबाई के न्यूनतम मानक में और छूट मिल सकती है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय पुराने और नए भर्ती डाटा का तुलनात्मक विश्लेषण कर रहा है।

    लैंसडौन, [जेएनएन]: अब युवाओं का छोटा कद सैन्य भर्ती में आड़े नहीं आएगा। पहाड़ी राज्यों को लंबाई के न्यूनतम मानक में और छूट मिल सकती है। पुराने और नए भर्ती डाटा का रक्षा मंत्रालय तुलनात्मक विश्लेषण कर रहा है। इसमें देखा जाएगा कि कद के कारण कितने लोग रिजेक्ट हो रहे हैं।
    थल सेना की भर्ती रैली में पर्वतीय क्षेत्रों से हिस्सा लेने वाले 15 प्रतिशत युवा लंबाई का मानक पूरा न कर पाने के कारण बाहर हो जाते हैं। वह भी तब जब मैदानी जनपद के युवाओं के लिए यह मानक 170 सेमी है और पहाड़ के युवाओं को इसमें चार सेमी की छूट मिलती है। यानी सोल्जर जीडी की भर्ती में पहाड़ के कई युवा 166 सेमी का मानक भी पूरा नहीं करते, जानकारी के अनुसार कभी यह मानक 163 सेमी था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें-इनके लिए सेना एक पेशा नहीं, बल्कि परम्परा है
    बदलते परिवेश में इस पर पुनर्विचार किया गया और यह ढील कम कर दी गई, जिसका कहीं न कहीं असर भी हुआ है। हाल ही में कोटद्वार में सोल्जर जीडी व अन्य पदों के लिए आयोजित की गई थल सेना की भर्ती रैली में करीब 40 हजार युवाओं ने हिस्सा लिया। इनमें शुरुआती चरण यानि कद के कारण करीब छह हजार युवाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

    पढ़ें:-भारत-अमरीकी सैन्य अभ्यास: जमीनी जंग के बहाने सैनिकों की शारीरिक परीक्षा
    यह स्थिति कोटद्वार क्षेत्र की भर्ती रैली की ही नहीं, बल्कि कमोबेश गढ़वाल-कुमाऊं क्षेत्र के लिए आयोजित की जानी वाली हर भर्ती रैली की है। सोल्जर जीडी से इतर टेक्निकल पदों के लिए 163 व क्लर्क के लिए 162 सेमी की लंबाई चाहिए होती है। जबकि, गोरखाओं के लिए 157 सेमी लंबाई का मानक है।

    पढ़ें: पाकिस्तानी रेंजर्स से मुठभेड़ में शहीद हुआ देहरादून का लाल
    बहरहाल रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के दून में दिए गए बयान के बाद जहां सैकड़ों युवाओं को एक उम्मीद दिख रही है। वहीं पूर्व सैन्य अधिकारी यह मानते हैं कि राह इतनी भी आसान नहीं है। सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एसएस पटवाल कहते हैं कि हमारे मापदंड लड़ाई पर निर्भर करते हैं।
    वर्तमान समय में सेना का भी आधुनिकीकरण हुआ है और तमाम नए हथियार आए हैं। ऐसे में शारीरिक दक्षता से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। चिकित्सीय व तकनीकी आधार पर विशेषज्ञों की राय के बाद ही इस तरह के निर्णय लेना संभव है।

    PICS: भारतीय-अमेरिकी जांबाजों ने युद्ध क्षमता का दिया परिचय
    केंद्र सरकार तय करती है मानक
    सेना भर्ती कार्यालय लैंसडौन के भर्ती निदेशक कर्नल एएस मंगत के मुताबिक भर्ती के मानक सरकार की ओर से ही तय किए जाते हैं। हम सिर्फ तय मानकों के अनुरूप भर्ती रैली आयोजित करवाते हैं। भर्ती के मानक तय करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखा जाता है कि सरहद की हिफाजत के लिए शारीरिक रूप से दक्ष एक बेहतर सैनिक मिले।

    पढ़ें:-आइएमए देहरादून में 401 कैडेट्स भारतीय सेना में हुए शामिल

    comedy show banner
    comedy show banner