बाराबंकी (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आइएस समर्थक आतंकी सैफुल्लाह के मारे जाने के बाद देवाशरीफ पर खतरे का संकेत दे रहा मानचित्र मिलने पर सघन चेकिंग की गई। परिसर में ठहरे जायरीनों का सत्यापन कराया गया। एटीएस ने मजार के आसपास के क्षेत्र में सघन चेकिंग की। दरअसल सैफुल्लाह के पास मिले मानचित्र के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। मानचित्र में संकेत मिले कि मध्य प्रदेश में ट्रेन में विस्फोट के बाद आतंकियों का बाराबंकी के देवा में विस्फोट का इरादा था। बाराबंकी के देवा पर 27 मार्च को विस्फोट की तैयारी थी। इसके बाद देवाशरीफ की सुरक्षा के चौकस की गई। एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी ने ऐसी किसी जानकारी से इन्कार किया है।
अब यूपी आइएस का गढ़
उत्तर प्रदेश पुलिस के पास सैफुल्लाह और मध्य प्रदेश से लेकर कानपुर और इटावा से पकड़े गये युवाओं के बारे में यह प्रमाण जरूर है कि वह असलहों से लैस होकर तबाही फैलाना चाहते थे लेकिन, आइएस के किसी सरगना से जुड़े होने का दस्तावेज नहीं है। एडीजी एटीएस दलजीत सिंह चौधरी का कहना है कि इन लोगों ने खुद आइएस से प्रेरित होकर आइएसआइएस खुरासान कानपुर-लखनऊ माड्यूल बनाया था। ये इंटरनेट के जरिए आपसी नेटवर्क मजबूत करने और बम बनाने की तरकीब के अलावा उनका साहित्य पढ़कर प्रेरित थे। दलजीत ने दो टूक कहा कि सोशल मीडिया के जरिए आइएस का साहित्य पढ़कर ये उसी धारा में बहने लगे थे। अभी पिछले साल लखनऊ से अलीम, कुशीनगर से रिजवान और हरदोई से मौलाना मुफ्ती कासमी को पकड़ा गया तो आइएस के प्रति जुनून के हद तक इनके आकर्षण का पता चला था। तब दो दर्जन गुमराह युवाओं को एटीएस ने सही रास्ते पर लाने की पहल की। छानबीन में यह बात भी आयी कि सैफुल्लाह के ग्रुप का अलीम गु्रप से कोई वास्ता नहीं है।
असफलताओं के बाद भी हिम्मत
आइएस से प्रभावित दर्जन भर युवाओं ने करीब तीन माह से असलहों की खेप जुटानी शुरू कर दी। इन्होंने पहले भी विस्फोट और घटनाओं की योजना बनाई लेकिन सफलता नहीं मिली। एटीएस इस तथ्य को सार्वजनिक नहीं करना चाहती लेकिन कुछ प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा की चौकसी के चलते विस्फोट की इनकी योजना विफल हो चुकी है। इसके बावजूद ये हिम्मत नहीं हारे। कानपुर में मित्रों और रिश्तेदारों का संगठन बनाकर फिर उसे विस्तार दिया।
सरगना ने प्रॉपर्टी बेचकर जुटाए 22 लाख
आइएसआइएस खुरासान लखनऊ-कानपुर मॉड्यूल ग्रुप का सरगना कानपुर के जाजमऊ का आतिश उर्फ आतिफ मुजफ्फर उर्फ अल कासिम है। पुलिस की छानबीन में यह बात आयी है कि उसने संगठन को चलाने के लिए प्रॉपर्टी बेचकर 22 लाख रुपये जुटाए थे। यद्यपि पुलिस को इस बात का भरोसा नहीं है कि यह रुपये प्रॉपर्टी बेचने से मिले हैं। आतिफ को मध्य प्रदेश में ट्रेन विस्फोट के बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया है। इस बात की उससे पूछताछ की जा रही है कि आखिर यह पैसे कहां से आए। एटीएस टीम रिमांड पर लेने की भी तैयारी में है।
असलहों का मुंगेर नेटवर्क
पिछले वर्ष आइएस समर्थकों के पकड़े जाने और इस नए अध्याय के बीच पुलिस का मानना है कि कोई संबंध नहीं है। पर सैफुल्लाह के पास से जो .32 बोर के आठ रिवॉल्वर और पिस्टल मिले उसका निर्माण बिहार के मुंगेर में हुआ है। मुंगेर के कई युवा पिछले नेटवर्क में भी शामिल थे। पुलिस ने असलहों की आपूर्ति करने वाले इटावा के रॉकी रानावत और औरैया के शैलेन्द्र कुमार के बारे में भी जानकारी जुटा ली है। शैलेन्द्र को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है।
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