Election commissiom: बैलट पेपर से होगा उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम का चुनाव भी मतपत्रों से कराने का फैसला किया है। आयोग ने भारत निर्वाचन आयोग से एक दशक पुरानी ईवीएम लेने से इन्कार कर दिया है।
लखनऊ (जेएनएन)। राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम का चुनाव भी मतपत्रों से कराने का फैसला किया है। आयोग ने भारत निर्वाचन आयोग से एक दशक पुरानी ईवीएम लेने से इन्कार कर दिया है। नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के चुनाव मतपत्रों से कराने का निर्णय पहले ही ले लिया गया था। उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) को लेकर चौतरफा सवाल उठने लगे थे।
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तकरीबन पांच वर्ष पहले हुए 630 नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार आयोग ने 12 नगर निगम के महापौर व पार्षदों का चुनाव ईवीएम से कराया था। 194 नगर पालिका परिषद व 423 नगर पंचायतों के अध्यक्षों व सदस्यों के चुनाव मतपत्रों के जरिये कराए गए थे। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम के चुनाव ईवीएम से कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग से 50 हजार ईवीएम मुहैया कराने का अनुरोध किया गया था। आयोग ने मध्य प्रदेश से ईवीएम उपलब्ध कराने की बात कही थी। चूंकि जून में चुनाव प्रस्तावित हैं इसलिए ईवीएम मांगने पर मध्य प्रदेश ने बताया कि वे महाराष्ट्र में निकाय चुनाव के लिए दे दी गई।
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मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से बात करने पर पता चला कि आयोग के पास नई नहीं बल्कि वर्ष 2006 से पहले की ईवीएम हैं जो कि एक तरह से आउटडेटेट होने से असुरक्षित और कभी भी खराब हो सकती हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि आधुनिक तकनीक वाली नई ईवीएम के बजाय एक दशक पुरानी ईवीएम लेने से स्पष्ट तौर पर इन्कार करते हुए भारत निर्वाचन आयोग से इस बारे में पत्र भेजने को भी कहा गया है। जब आयोग सबसे बड़े पंचायत चुनाव को मतपत्र के जरिये करा सकता है तब फिर उसे नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के साथ ही नगर निगम के चुनाव भी मतपत्र से कराने में कोई दिक्कत नहीं है। पिछली बार से पहले तो निकाय चुनाव मतपत्रों के ही जरिये होते रहे हैं।
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सवालों से बचना चाहता आयोग
राज्य निर्वाचन आयोग भले ही पुरानी ईवीएम होने के कारण उससे नगर निगम चुनाव कराने से इन्कार कर रहा है लेकिन माना जा रहा है हाल के विधानसभा और दूसरे राज्यों के निकाय चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव में धांधली को लेकर जिस तरह से ज्यादातर राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए हैं उससे आयोग खुद को बचाए रखना चाहता है। बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी आदि राजनीतिक दल ईवीएम से चुनाव में धांधली की बात उठाती रही हैं। बसपा ने तो कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है।
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निगम चुनाव में लगेगा 200 टन कागज
ईवीएम के बजाय मतपत्रों से चुनाव कराने के लिए लगभग 200 मीटरी टन कागज लगेगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि वर्तमान में 14 नगर निगम के महापौर व पार्षदों के चुनाव के लिए लगभग 2.80 करोड़ मतपत्र का इंतजाम करने के लिए 200 टन कागज खरीदा जाएगा। इसके लिए 17 अप्रैल को टेंडर खुलेगा। महापौर पद के मतपत्र का कागज जहां नीले रंग का होगा वहीं पार्षदों के लिए गुलाबी रंग का मतपत्र होगा।
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पालिका व पंचायतों के लिए चाहिए 393.60 टन
220 नगर पालिका परिषद और 451 नगर पंचायतों के अध्यक्ष और सदस्य पद के चुनाव कराने के लगभग 3.90 करोड़ मतपत्र चाहिए होंगे। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने 393.60 मीटरी टन कागज टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से खरीदा है। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद का मतपत्र जहां हरे रंग का होगा वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सफेद होगा। पार्षदों की तरह सदस्यों के मतपत्र का रंग भी गुलाबी होगा।
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