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    पांडव के वंशजों में चल रहा एक कुएं को लेकर 'महाभारत'

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 13 Apr 2017 11:14 PM (IST)

    कौरवों की ओर से पांडवों को पांच गांव भी देने को राजी न होने पर महाभारत हुआ था। अब यहां पांडवों के वंशजों के बीच एक कुएं को लेकर 'युद्ध' छिड़ गया है।

    पांडव के वंशजों में चल रहा एक कुएं को लेकर 'महाभारत'

    आगरा (जेएनएन)। कौरवों की ओर से पांडवों को पांच गांव भी देने को राजी न होने पर महाभारत हुआ था। अब यहां पांडवों के वंशजों के बीच एक कुएं को लेकर 'युद्ध' छिड़ गया है। एक भाई का दूसरे पर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेज बनाकर खेत में बना कुआं हड़प लिया। एसएसपी ने जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है। मामला थाना मंसूखपुरा के गांव पलोखरा का है।  

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    यहां के कुछ परिवारों के बारे में मान्यता है कि वह अर्जुन के वंशज हैं। इन्हीं में से एक 68 वर्षीयरामप्रकाश पांच भाई हैं। दो का निधन हो चुका है। अब राजेंद्र, रामप्रकाश और निरोत्तम ही बचे हैं। रामप्रकाश ने बताया कि पांच भाइयों के बीच 14 बीघा खेती थी। बड़े भाई गोलीराम और बिजेंद्र सिंह ने अपने हिस्से के खेत उनको दे दिए थे। इन दोनों की मौत हो चुकी है। पहले पंचायत में खेतों का बंटवारा होने पर ट्यूबवेल वाला खेत उनके हिस्से में आया। अब इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है। भाई राजेंद्र फर्जी दस्तावेज से कुआं और खेत हड़पने का आरोप लगा रहे हैं। मामला एसएसपी तक पहुंचा तो उन्होंने क्राइम ब्रांच को जांच सौंप दी। इसके बाद मंगलवार को रामप्रकाश छोटे भाई निरोत्तम सिंह, पूर्व ग्राम प्रधान गजराज सिंह समेत अन्य लोगों के साथ क्राइम ब्रांच के सामने अपना पक्ष रखने पुलिस लाइन आए थे। 

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    'शकुनि' करा रहा लड़ाई  

    रामप्रकाश का कहना था कि परिवार में 'युद्ध' कराने के पीछे यहां भी 'शकुनि' है। जो राजेंद्र सिंह को भड़का रहा है जबकि पांच भाइयों के परिवारों में कुछ साल पहले तक खूब प्रेम था। अंबेडकर विवि में इतिहास विभाग के प्रमुख डॉ. सुगम आनंद के मुताबिक राजपूतों के वंशज आगरा के आसपास आकर बसने का इतिहास में उल्लेख मिलता है। वह किस वंश से ताल्लुक रखते हैं, यह शोध का विषय है।

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    वंशज होने दावा

    रामप्रकाश के साथ ही पलोखरा के पूर्व प्रधान गजराज सिंह भी खुद को पांडवों का वंशज होने का दावा करते हैं। बकौल रामप्रकाश उनके वंश के आखिरी राजा अनंगपाल थे। बारहवीं सदी में दिल्ली की गद्दी छिनने के बाद अनंगपाल हाथी पर सवार होकर निकल लिए थे। हाथी धौलपुर (राजस्थान) के राजाखेड़ा में रुक गया। वहां से राजा मुरैना के एसा गांव पहुंचे। बाद में उनके परिवार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में यमुना और चंबल नदी के आसपास 256 गांव बसाए। राजा के वंशज और उनके (रामप्रकाश के) दो पुरखों ने  महुआ से आकर आगरा जिले के मंसुखपुरा क्षेत्र में बरैंडा और रेहा गांव बसा लिए। रामप्रकाश का दावा है कि वह लोग पलोखरा में 14वीं सदी से रह रहे हैं।