नई पहल - क्यों न शनिवार को भी निपटाएं जाएं मुकदमे : हाईकोर्ट
कोर्ट में लंबित मुकदमों की बढ़ती संख्या को देखते हुए न्यायमूर्ति सुधार कुमार अग्र्रवाल ने शनिवार को भी काम का सुझाव दिया है।इसको लेकर उन्होने मुख्य ऩ्यायाधीश को पत्र भी लिखा है।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों की बढ़ती संख्या को देखते हुए न्यायमूर्ति सुधार कुमार अग्र्रवाल ने शनिवार को भी काम का सुझाव दिया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा है कि यदि मार्च 2017 तक भी ऐसा कर लिया जाता है तो यह हाईकोर्ट के डेढ़ सौ साल पूरे होने पर वादकारियों को तोहफा होगा।
अपने पत्र में उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के 150वें शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजनों एवं भवन सुंदरीकरण में लाखों रुपये खर्च हुए लेकिन वादकारियों को क्या मिला। वादकारी पूछ रहे हैं कि 150 वर्षों की न्याय की यात्रा वर्ष में हमने उन्हें क्या दिया है। लाखों मुकदमें विचाराधीन हैं। दशकों से वादकारी न्याय की आस लगाए लाइन में खड़े हैं। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए ताकि उन्हें लगे कि बिना देरी के हम उन्हें न्याय देने के लिए गंभीरता के साथ इच्छुक हैं।
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने सुझाव दिया कि क्यों न शताब्दी समारोह वर्ष समापन से पहले पडऩे वाले 14 शनिवारों को 2010 से पहले के पुराने मुकदमे निपटाए जाएं। इस दिन नए मुकदमों की सुनवाई न हो। यदि ऐसा हुआ तो हम हजारों पुराने विचाराधीन मुकदमों को निपटाने में सफल हो सकेंगे। इससे यह संदेश जाएगा कि हम जिसके लिए बने हैं, उनके लिए कुछ करना चाहते हैं।
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने मुख्य न्यायाधीश डीवी भोसले को लिखे पत्र को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन एडवोकेट्स एसोसिएशन व अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को भी भेजा है ताकि बार संगठन प्रस्ताव पारित कर इस दिशा में कदम बढ़ा सके।
पढ़ें- कोहरे की चपेट में लखनऊ सहित पश्चिमी यूपी के शहर
पढ़ें- जनराज्य पार्टी का फर्जी खाता खोल करोड़ों का काला धन हुआ सफेद
पढ़ें- नई पहल - क्यों न शनिवार को भी निपटाएं जाएं मुकदमे : हाईकोर्ट
पढ़ें- मेरठ में दुष्कर्म के बाद महिला को सड़क पर फेंक आरोपी फरार
पढ़ें- नोटबंदी के खिलाफ आज लखनऊ में ममता का धरना
पढ़ें- इटावा में दिल्ली-हावड़ा रेल रूट पर पटरी टूटी, संचालन बाधित
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।