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न शहनाई, न हलवाई; 320 रुपये में शादी करवाई, रणबीर की हुईं हरदीप

पंजाब स्टूडेंट यूनियन के प्रधान रणबीर सिंह रंधावा हरदीप कौर के साथ परिणय सूत्र में बंधे। दोनों की शादी पर महज 320 रुपया खर्च हुआ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 09:26 AM (IST)
न शहनाई, न हलवाई; 320 रुपये में शादी करवाई, रणबीर की हुईं हरदीप
न शहनाई, न हलवाई; 320 रुपये में शादी करवाई, रणबीर की हुईं हरदीप

चंडीगढ़ [जय सिंह छिब्बर]। महंगाई के इस दौर में 320 रुपये में भी विवाह हो सकता। यह बात आपको अटपटी लगती होगी, परन्तु है सोलह आने सच। न शहनाई, न हलवाई, न आनंद कारज, न फेरे और बिना अदालती कार्यवाही यानि धार्मिक और सामाजिक रिवाज से कोसों दूर, एक-दूसरे को हार पहनाकर दो विद्यार्थी नेताओं ने शादी करके जीवन की नई इबारत लिखी है।

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एक-दूसरे के जीवनसाथी बने रणबीर सिंह रंधावा पंजाब स्टूडेंट यूनियन के प्रधान हैं, जबकि उनकी पत्नी हरदीप कौर कोटला यूनियन की उपप्रधान। समाज व युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बने नवदंपती ने देशभक्तों, गदरी बाबाओं के जीवन, संघर्ष से प्रभावित होकर पिछले कई सालों से विद्यार्थियों, नौजवानों के संघर्ष में अहम रोल अदा किया है।

रणबीर रंधावा का जन्म बरनाला जिले के गांव घुरड़ में हुआ और आजकल वह रूपनगर जिले के गांव नूरपुरबेदी में रह रहे हैंं। वह खालसा कॉलेज आनंदपुर साहिब में डबल एमए पॉलीटिकल साइंस के विद्यार्थी हैंं। वर्ष 2012 में पीएसयू के साथ जुड़ने के बाद रूपनगर जिले में विद्यार्थी जत्थेबंदी को सक्रिय करने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। शिवालक कालेज नंगल से बीए और सरकारी कालेज रूपनगर से एमए पंजाबी पास की। दूसरी ओर हरदीप कौर मोगा जिले के कोटला से संबंधित है। स्कूली और कालेज की पढ़ाई करते गदरी बाबाओं के जीवन, इतिहास, संघर्ष ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। इसी कारण गदरी बाबाओं की शताब्दी समारोह के दौरान जत्थेबंदी के साथ जुड़ गईं। मां-बाप के विरोध के बावजूद विद्यार्थियों के लिए संघर्ष में कूदी और कई बार जेल गईं।

दिलचस्प बात यह है कि जहां आज की युवा पीढ़ी विदेश में सैट होना चाहती है, वहीं हरदीप कौर का समूचा परिवार टोरंटो (कनाडा) में स्थायी तौर पर सैट है। इसके बावजूद हरदीप ने परिवार की सूची में से अपना नाम कटवा कर कनाडा जाने के बजाय रंगले पंजाब में रहने को पहल दी है। हरदीप ने पंजाबी और इतिहास की एमए की हुई है। अब वह गुरु नानक देव यूनिवíसटी में ट्रिपल एमए (पॉलीटिकल साइंस) में दाखिला लेने की इच्छुक है, क्योंकि पार्टी ने अमृतसर जिले में विद्यार्थी जत्थेबंदी को मजबूत करने के लिए उनकी ड्यूटी लगा दी है।

विवाह के बारे में कभी सोचा भी नहीं था

रणबीर ने बताया वह तो विद्यार्थी जत्थेबंदी के लिए काम करते थे, विवाह के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। पार्टी नेताओं ने करीब साल पहले उन दोनों को विवाह करवाने की सलाह दी। हरदीप कौर मोगा में अध्यापक यूनियन के नेता निरभैर सिंह ढुड्डीके के घर रह रही थी। इस तरह पार्टी नेताओं की सलाह और एक विचारधारा होने के कारण दोनों ने गृहस्थ गाड़ी को इकट्ठे चलाने के लिए सहमति बनाई। रणबीर के अनुसार विवाह की रस्मों के लिए दो हार और लड्डू लाए गए, जिन पर 320 रुपये खर्चा आया है। कहा कि उन्होंने कोरोना संकट के कारण सादा विवाह नहीं किया बल्कि पहले से ही सादा ढंग के साथ विवाह करवाने के बारे में फैसला किया हुआ था।

पिछले साल नवंबर में विवाह करना था, लेकिन फरीदकोट में विद्यार्थियों का संघर्ष शुरू हो गया। इसके बाद देश में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर संघर्ष शुरू हो गया। इस तरह संघर्ष के मैदान में कूदने के कारण बार-बार विवाह आगे बढ़ता गया। अब कोरोना वायरस के कारण लोकहित संघर्ष को विराम लगा तो दोनों ने पार्टी सदस्यों की हाजिरी में एक-दूसरे को हार पहनाकर विवाह कर लिया।

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