मायावती बोलीं, मैं जवाब से संतुष्ट नहीं, अब सिर काट कर चढ़ाएं स्मृति
रोहित वेमुला मामले में सरकार पर हमला बोलते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने स्मृति ईरानी को उस बयान की याद दिलाई और कहा कि वे उनके जवाब से संतुष्त नहीं हैं और अब वे अपना वादा निभाएं। वहीं स्मृति ईरानी ने भी इस पर तुरंत पलटवार किया।
नई दिल्ली। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या की घटना यूं तो दलित राजनीति का एक बिंदु बन चुकी है। अब सीधे सीधे वह अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से भी जुड़ने लगा है।
दो दिन पहले राज्यसभा में मायावती और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के बीच हुई भिड़ंत शुक्रवार को फिर से सामने आ गई और दोनों ओर से खुद को उपर रखने की कवायद भी साफ दिखी। खासतौर पर तब जबकि मायावती ने कहा कि 'स्मृति ने मुझसे माफी मांगी थी। मैं उनके बयान से संतुष्ट नहीं हैं और ऐसे में क्या मंत्री अपना सिर कलम कर चरण पर रखने का वादा पूरा करेंगी?'
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यूं तो वेमुला के मुद्दे पर पूरा विपक्ष सरकार पर हावी है लेकिन मायावती नहीं चाहेंगी कि कोई भी दूसरी पार्टी उनसे आगे दिखे। उन्होंने बुधवार को भी आपत्ति जताई थी कि वेमुला की मौत की जांच करने वाली समिति में कोई दलित नहीं है। स्मृति ने पूरा विवरण देते हुए कहा था कि अगर मायावती जवाब से संतुष्ट नहीं होती हैं तो वह अपना सिर कलम कर चरणों पर रख देंगी।
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शुक्रवार को मायावती ने फिर से मुद्दा उठा लिया और कहा कि सरकार निष्पक्ष जांच ही नहीं चाहती है। वरना समिति का आकार बढ़ाकर उसमें दलित सदस्य को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह स्मृति के बयान से संतुष्ट नहीं है।
ध्यान रहे कि मायावती जहां अपनी पार्टी की एकमात्र चेहरा हैं वहीं भाजपा में यह अटकल है कि ऐन चुनाव के वक्त स्मृति को भाजपा प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरा बना सकती है। वह महिला भी हैं, लोकप्रिय भी और सख्त तेवर व तथ्यों के साथ जवाब भी दे सकती हैं।
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शायद यह मंशा भी रही हो कि मायावती ने सदन के अंदर ही कहा- 'बुधवार को सदन के बाहर स्मृति ने मुझसे माफी मांगी थी और मैंने उस दिन माफ कर दिया था।'सदन में ही मौजूद स्मृति की ओर से भी तत्काल प्रतिक्रिया हुई थी। शोर शराबे में ही उन्होंने कुछ जवाब दिया था। बाहर पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में स्मृति ने कहा- 'उस दिन मैं ने माफी नहीं मांगी थी बल्कि मायावती ने कहा था कि जो तथ्य लोकसभा में रखे वह पहले बता दिया होता तो बसपा सरकार के खिलाफ नारे ही नहीं लगाती।'
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