JK सरकार के गठन की कवायद तेज, सुरक्षा ताक पर रख शाह से मिली महबूबा
जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर खत्म होती अवधि के बीच आज देर शात पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस मुलाकात के लिए महबूबा खुद कार चलाक

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर खत्म होती अवधि के बीच आज देर रात पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस मुलाकात के लिए महबूबा खुद कार चलाकर बिना सिक्योरिटी के शाह के आवास पर पहुंची थीं। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक करीब आधा घंटा चली। फिलहाल दोनों ही पार्टियों ने इस बैठक को लेकर अभी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है, लेकिन महबूबा के कुछ और दिनों तक दिल्ली में रुकने व जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की संभावना से भाजपा-पीडीपी गठबंधन के पुन: सरकार बनाने की उम्मीद बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि सब कुछ अनुकूल रहा तो होली से पहले 21 अथवा 22 मार्च को महबूबा बतौर मुख्यमंत्री शपथ ले सकती हैं।
गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती गत मंगलवार को अचानक दिल्ली रवाना हुई थी। बताया जाता है कि उन्हें दिल्ली में गत एक पखवाड़े से डेरा डाले पीडीपी के तीन वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा आलाकमान के साथ हुई बातचीत के बाद ही बुलाया था। महबूबा को गुरुवार को वापस जम्मू पहुंचना था, क्योंकि शुक्रवार को उनका राजौरी-पुंछ का दौरा शुरू होने वाला था। लेकिन भाजपा प्रमुख अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद उन्होंने अपना राजौरी दौरा भी स्थगित कर दिया है।
शाह से मुलाकात के दौरान पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ. हसीब द्राबु भी महबूबा के साथ थे। द्राबु ने मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीडीपी और भाजपा के गठबंधन की भूमिका तैयार की थी। इस बैठक के बाद राज्य से राष्ट्रपति शासन हटने की उम्मीद फिर जगने लगी है। सोमवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में जम्मू कश्मीर की हर मदद का यकीन दिलाया।
राज्यपाल एनएन वोहरा को भी सूचित किया गया कि वह ऐसा कोई फैसला न लें, जिससे सरकार के गठन में रुकावट आए। इसके बाद ही राज्यपाल ने राज्य के बजट की मंजूरी के लिए बुलाई बैठक को स्थगित किया था। इसके साथ ही केंद्र के निर्देश पर जम्मू कश्मीर में तैनात सैन्य कमांडरों ने जहां राज्यपाल के साथ मुलाकात में 686 एकड़ जमीन खाली करने का यकीन दिलाया। यह सभी महबूबा की शर्तो के अनुरूप ही था।
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गौरतलब है कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद आठ जनवारी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। मौजूदा समय तक भी वहां पर सरकार गठन को लेकर स्थिति साथ नहीं हो पाई है। मुफ्ती के निधन के बाद पीडीपी के कड़े रुख के चलते सरकार गठन को लेकर भी दोनों पार्टियां आगे नहीं बढ़ सकी हैं। जम्मू कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 27 और भाजपा के 25 विधायक हैं।

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