सरकार गठन के लिए खुद महबूबा को बढ़ाने होंगे कदम
जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को ही सामने आना पड़ेगा। उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि मुफ्ती सरकार के वक्त तैयार किया गया समझौता पत्र ही आखिरी है।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को ही सामने आना पड़ेगा। उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि मुफ्ती सरकार के वक्त तैयार किया गया समझौता पत्र ही आखिरी है। उससे परे फिलहाल किसी बड़े बदलाव की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। गुरुवार तक महबूबा और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में मुलाकात संभव बताई जा रही है।
प्रदेश में बिना सरकार के दो महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। इस बीच महबूबा और पीडीपी की ओर से परोक्ष रूप से भाजपा के सामने शर्ते रखी गई हैं लेकिन सीधे तौर इस बाबत कोई ठोस बातचीत नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो भाजपा पीडीपी के इसी रुख से खिन्न है। वहीं खुद पीडीपी विधायकों के बीच भी बेचैनी बढ़ने लगी है।
सूत्रों के अनुसार वह भी चाहते हैं कि महबूबा जल्द फैसला लें ताकि आगे की रणनीति उसी अनुसार तैयार की जाए। ऐसे में इसकी संभावना बढ़ गई है कि इस महीने में ही प्रदेश में नई सरकार का गठन हो जाएगा। महबूबा और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच मुलाकात भी संभव है।
बताते हैं कि बैठक में भी महबूबा से यही कहा जाएगा कि दो महीने की मेहनत के बाद पीडीपी और भाजपा सरकार के लिए एजेंडा तैयार हुआ था। भाजपा उससे पीछे नहीं हटी है। अगर पीडीपी उससे पीछे हटती है तो जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए यह उसकी कृतसंकल्पता पर सवाल खड़ा कर सकता है।
भाजपा की ओर से पीडीपी को बताया जाएगा कि मुफ्ती सरकार के एक साल में विकास के कई काम हुए। सरकार गठन में देरी हुई तो भी केंद्र सरकार राज्य के विकास के लिए कृतसंकल्प है। काम चलता रहेगा। पर लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत अच्छा होगा कि प्रदेश में चुनी हुई सरकार जनता के साथ जुड़कर इसे आगे बढ़ाए। सूत्र बताते हैं कि खुद पीडीपी नेता को भी अब शायद इसका अहसास हो रहा है और ऐसे में जल्द सरकार गठन की कवायद शुरू हो सकती है।

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