जानिए, क्या है जीएसटी बिल और इसके फायदे
संसद के मानसून सत्र में एक बार फिर जीएसटी बिल पेश होगा। सरकार की कोशिश होगी कि इसी सत्र में ये बिल पारित करा लिया जाए।
नई दिल्ली, (मनीष नेगी)। संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है। पूरे देश की नजर संसद के इस सत्र में पेश होने वाले वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी बिल पर टिकी है। वैसे तो केंद्र सरकार इस बिल को लोकसभा में पास करा चुकी है लेकिन, राज्यसभा में पर्याप्त संख्या संख्या बल ना होने और कांग्रेस, टीएमसी, बीजेडी, एआईएडीएमके जैसे बड़े दलों के विरोध के चलते ये बिल बीते कुछ सत्रों से लटका हुआ है। हालांकि, मानसून सत्र में इस विधेयक के पारित होने की उम्मीदें काफी बढ़ी गई हैं। उसका एक बड़ा कारण है विरोधी दलों की जीएसटी पर आंशिक सहमति।
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बीते कुछ सत्रों में कांग्रेस समेत कई विरोधी पार्टियां इस जीएसटी बिल का विरोध कर रही हैं। लेकिन मानसून सत्र से पहले कांग्रेस और विरोधी दलों ने जीएसटी बिल को पास कराने को लेकर कुछ नरमी दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संसद के इस सत्र से पहले सभी दलों से राज्यसभा में लटके जीएसटी बिल को पारित कराने को लेकर सहयोग की अपील कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि जीएसटी बिल के पारित होने के बाद देश की जनता को इससे काफी फायदा होने वाला है।
क्या है जीएसटी?
वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी के लागू होने से हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। देश के लोगों को जीएसटी से सबसे बड़ा फायदा होगा क्योंकि, पूरे देश में सामान पर देश के लोगों को एक ही टैक्स चुकाना होगा।
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जीएसटी बिल से होने वाले फायदे
- इस बिल के लागू होते ही देशभर में एकल टैक्स व्यवस्था लागू हो जाएगी।
- लोगों को कई तरहों के टैक्स से छुटकारा तो मिलेगी ही साथ ही चीजें सस्ती भी हो जाएंगी।
- एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट, मनोरंजन टैक्स जैसे कई तरह के टैक्सों से छुटकारा मिलेगा।
- लगभग सभी राज्यों में ज्यादातर चीजें एक ही दाम पर मिलेंगी।
- कई चीजों की एक राज्य से दूसरे राज्य में हो रही तस्करी पर काफी हद तक रोक लगेगी।
- जीएसटी लागू होने से टैक्स भी घट सकता है।
- टैक्स चोरी रुकेगी और देश की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा।
हालांकि पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो फार्मूला अभी कुछ सालों तक जारी रहेगा।
केंद्र से लगने वाला कर
सेंट्रेल एक्साइज ड्यूटी
एडीशनल एक्साइज ड्यूटी
सर्विस टैक्स
सेस
कस्टम ड्यूटी
राज्य से लगने वाला कर
वैल्यू एडेड टैक्स(वैट)
एंटरटेनमेंट टैक्स
सेल्स टैक्स
एंट्री टैक्स
स्टेट सेस
टोल टैक्स
प्रॉपर्टी टैक्स
वस्तु एवं सेवा कर कितना होगा इस पर केंद्र सरकार ने अभी तय नहीं किया है। लेकिन, कांग्रेस टैक्स की अधिकतम सीमा 18 फीसदी रखकर संविधान में शामिल कराना चाहती है।
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