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    कांग्रेस जीएसटी कैंपिंग पर सरकार से चाहती है सम्माजनक फार्मूला

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jul 2016 02:11 AM (IST)

    मानसून सत्र में जीएसटी बिल को पारित कराने की राह बनाने के लिए सरकार के साथ होने वाली बैठक से पूर्व कांग्रेस ने भी कुछ लचीलेपन के संकेत दिए हैं।

    संजय मिश्र, नई दिल्ली। मानसून सत्र में जीएसटी बिल को पारित कराने की राह बनाने के लिए सरकार के साथ होने वाली बैठक से पूर्व कांग्रेस ने भी कुछ लचीलेपन के संकेत दिए हैं। इन संकेतों के अनुसार अगर सरकार जीएसटी दर की कैपिंग 18 फीसदी रखने के लिए बीच का कोई विधायी विकल्प देती है तो संविधान संशोधन बिल में कैपिंग को शामिल करने की मांग कांग्रेस छोड़ सकती है।

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    जीएसटी पर सरकार की गैर कांग्रेसी दलों को साधने की सियासी पेशबंदी के मद्देनजर कांग्रेस भी बिल पर राह निकालने के लिए सम्माजनक समझौते का फार्मूला चाहती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार समझा जाता है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सरकार के प्रस्तावों पर चर्चा की है।

    पढ़ें- जीएसटी बिल पर सरकार ने कांग्रेस से संपर्क साधा

    गौरतलब है कि मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी की राज्यसभा में राह बनाने के लिए मंगलवार को आजाद और शर्मा से संपर्क साधते हुए बातचीत का न्यौता दिया था। आजाद ने हाईकमान से चर्चा के बाद सरकार के साथ बैठक की बात वित्तमंत्री से कही थी। आजाद और शर्मा ने इसीलिए बुधवार को हाईकमान के साथ सरकार के प्रस्तावों को लेकर विचार मंथन किया। इस लिहाज से बृहस्पतिवार को जीएसटी पर सरकार और कांग्रेस की बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।

    जीएसटी पर शुरुआत में कांग्रेस की तीन मांगे थी मगर पिछले दो सत्रों में हुई कसरतों के बाद अब केवल 18 फीसदी की कैंपिंग संविधान संशोधन बिल में रखने को लेकर गतिरोध है। सरकार का तर्क रहा है कि संविधान संशोधन बिल में कैंपिंग की दर तय कर देने से विलासिता की वस्तुओं पर 60 से 70 फीसदी कर लगाने का विकल्प नहीं रहेगा। तो वित्तीय आपात स्थिति और आपदा के समय कर बढ़ाने के लिए हर समय संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। कांग्रेस सरकार के इस तर्क से असहमत रही है। पर कोलकाता में जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता के अलावा बाकी सभी दलों की व्यापक सहमति से कांग्रेस पर भी दबाव बढ़ गया है।

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    पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार इसीलिए 18 प्रतिशत कैपिंग तय करने को जीएसटी बिल का हिस्सा बनाने की जिद छोड़ने पर कांग्रेस गंभीरता से विचार कर रही है। मगर ऐसा तभी होगा जब सरकार किसी दूसरे विधायी रास्ते से ही सही कैपिंग की अधिकतम सीमा तय करे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सरकार के लिए कांग्रेस के लचीले रुख का संकेत है। उनका यह भी कहना था कि बीच का सम्मानजक फार्मूला निकले इसे लेकर कांग्रेस भी गंभीर है। पार्टी इस बात को लेकर सतर्क है कि जीएसटी पर सम्मानजक समझौते की राह नहीं निकाली गई तो उसे राजनीतिक कारणों से बिल रोकने की तोहमत झेलनी पड़ सकती है।