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    मानसून सत्रः संसद के दोनों सदनों में दिखेगा कुछ अलग नजारा

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2016 05:48 PM (IST)

    लोकसभा में मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद नए मंत्री जहां अलग तेवर में दिखेंगे वहीं राज्य सभा में एनडीए की संख्या बढ़ने अौर नए सदस्यों के अाने से मामला कुछ अलग होगा।

    नई दिल्ली [संजीव तिवारी]। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है। 12 अगस्त तक चलने वाले सत्र में इस बार सदन कुछ अलग दिखेगा। लोकसभा में मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद नए मंत्री जहां अलग तेवर में दिखेंगे वहीं राज्य सभा में एनडीए की संख्या बढ़ने अौर नए सदस्यों के अाने से नजारा बदला सा नजर आएगा।

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    दोनों सदनों में 56 बिल पेंडिंग

    मानसून सत्र में दोनों सदनों में पेंडिंग 56 बिल पास करना एनडीए की प्राथमिकता है। 11 बिल लोकसभा में पेंडिंग हैं, जबकि 45 बिल राज्य सभा में पेंटिंग हैं। लोकसभा वाले बिल स्टैंडिंग समिति में गए हैं।

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    राज्यसभा की मौजूदा स्थिति
    इस समय बीजेपी, टीडीपी, अकाली दल, शिवसेना, पीडीपी, आरपीआई, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट, नागालैंड पीपल्स फ्रंट और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिलाकर एनडीए के पास 72 सीटें, डीएमके, केरल कांग्रेस और मुस्लिम लीग सहित यूपीए के पास 66 सीटें और अन्य क्षेत्रीय दलों के पास 107 सीटें है। चुनाव से पहले राज्यसभा में भाजपा के कुल 49 सदस्य थे और चुनाव के बाद उसे चार सीटों का फायदा हुआ है। यानी अब उसकी खुद की ताकत 53 सीटों की हो चुकी है। वहीं, कांग्रेस के 61 सांसद हैं। ऊपरी सदन में क्षेत्रीय दलों के 89 सदस्य हो गए हैं। चुनाव के बाद उनकी संख्या में कोई परिवर्तन नहीं आया है। चार सीटों के फायदे के साथ समाजवादी पार्टी के अब 19 सदस्य हो गए हैं जबकि जेडीयू और आरजेडी के संयुक्त सदस्यों की संख्या 12 हो गई है। तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के सदस्यों की संख्या 12-12 हो गई है जबकि बीएसपी के 6 सदस्य, सीपीआई (एम) के आठ सदस्य, बीजेडी के 7 सदस्य और डीएमके के 5 सदस्य हैं।

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    मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार

    अरुणाचल प्रदेश पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से उत्साहित विपक्ष, एनएसजी सदस्यता पाने में भारत की नाकामी सहित कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष को घेरने की विपक्षी दलों की मांग को देखते हुए सोमवार से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम में राज्य में कांग्रेस की नई सरकार के गठन, समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रस्ताव पर विधि आयोग से रिपोर्ट की मांग संबंधी मोदी सरकार के फैसले जैसे मुद्दों से सत्र के दौरान माहौल गर्म रहने की संभावना है।

    कानून समझाने वाले बनाएंगे कानून
    राज्यसभा में अब कानूनविदों का बोलबाला है। कानून समझाने वाले अब कानून बनाएंगे। रोजाना अदालत में खड़े होकर कानून की पेचिदगियों में उलझे रहने वाले देश के दिग्गज वकील राज्यसभा की शोभा बढ़ा रहे हैं। इन दिग्गज वकीलों में चार तो पूर्व कानून मंत्री हैं। राम जेठमलानी, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद और कपिल सिब्बल। वैसे तो अपना मुकदमा खुद लड़ने के लिए मशहूर सुब्रमण्यम स्वामी भी कानून मंत्री का कार्यभार संभाल चुके है लेकिन वह वकील नहीं हैं।

    पिछले दिनों हुए राज्यसभा चुनाव में राम जेठमलानी, पी चिदंबरम, विवेक तन्खा, कपिल सिब्बल और सतीश मिश्रा उच्च सदन पहुंचे हैं। हालांकि इनमें सिर्फ विवेक तन्खा ही हैं जो पहली बार राज्यसभा पहुंचे हैं। बाकी लोग पहले भी राज्यसभा और लोकसभा से संसद पहुंच चुके हैं। अगर देश के दिग्गज वकीलों की उंगलियों पर गिनती की जाए तो इन नामी गिरामी वकीलों को छोड़ा नहीं जा सकता।

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