चुनाव आयोग के कड़े तेवर से पुलिस-प्रशासन व नेताओं की उड़ी नींद
बंगाल के चुनावी इतिहास में दूसरी बार चुनाव आयोग के कड़े तेवर से जहां एक ओर राज्य की पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नेताओं की भृकुटी तन रही है। हालांकि, कुछ भी कहने से नेता बच रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के चुनावी इतिहास में दूसरी बार चुनाव आयोग के कड़े तेवर से जहां एक ओर राज्य की पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नेताओं की भृकुटी तन रही है। हालांकि, कुछ भी कहने से नेता बच रहे हैं।
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आयोग के निर्देशों पर अमल करते-करते पुलिस और प्रशासन की नींद हराम होना तय है। चुनाव आयोग द्वारा पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को निष्पक्ष व शांतिपूर्ण मतदान के लिए कड़े निर्देश दिए जाने से सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ कर्मचारी भी परेशान हैं। आयोग वे सभी कदम उठा रहा है जो बंगाल में अब तक नहीं हुआ है। यहां तक कि प्रशासनिक तंत्र पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान (फ्री एण्ड फेयर पोल) का रंग चढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है जिससे बंगाल भी मताधिकार के प्रयोग के मामले में मिसाल बन सके।
चाहे 70 हजार से अधिक गैर जमानती वारंट वाले लोगों की गिरफ्तारी, या फिर होर्डिग्स हटाने व फर्जी वोटरों को पकड़ने का निर्देश हो चुनाव आयोग के इन सभी फरमानों की तामिल के लिए पुलिस व प्रशासन को इमानदारी के साथ दिन-रात एक करना पड़ रहा है।
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निर्देशों के बीच निर्देश, जैसे दीवार लेखन, आचार संहिता उल्लंघन पर कार्रवाई का मामला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को हांफने को मजबूर कर दिया है। मानो आयोग यहां कि प्रशासनिक तंत्र को कर्तव्यबोध सिखा रहा है। सूबे में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही चुनाव आयोग ने राज्य के सभी जिलों के पुलिस व प्रशासन अधिकारियों की पहली बैठक के दौरान ही स्पष्ट कर दिया था कि इस बार किसी प्रकार की कोताही बर्दास्त नहीं की जायेगी।
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आयोग के कड़े रुख से प्रशासनिक अधिकारियों की भी हालत पतली है। मुख्य चुनाव आयुक्त समेत पर्यवेक्षकों के जिलों में ताबड़तोड़ दौरे से लेकर चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखना और फर्जी मतदाताओं का पहचान कार्य प्रशासनिक अधिकारियों के गले की हड्डी बनी रही। किसी भी क्षेत्र में थोड़ी सी भूल पर चुनाव आयोग की तलवार तन जा रही है।
अधिकारियों की हालत उस समय से और भी खराब है कि आयोग ने चार जिलों के डीएम व एसपी के कार्यो से क्षुब्ध है। अब अधिकारी आयोग के फरमानों का अक्षरश: पालन करने में जुटे हैं। आयोग ने पहले ही बंगाल की जनता और राजनेताओं को संदेश दे दिया था कि इस बार चुनाव में किसी प्रकार की धांधली नहीं चलेगी। इसका सबसे बड़ा प्रमाण आयोग का वह फैसला है जिसमें कहा गया है कि 70 हजार गैर जमानती वारंट वाले मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से तत्काल हटा दिये जायें और प्रशासन ऐसे सभी व्यक्तियों को तुरंत सलाखों के पीछे डालें । ये भी पढ़ेंः पश्चिम बंगाल विस चुनावः पर्यवेक्षक निभाएंगे अहम भूमिका
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