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    पश्चिम बंगाल विस चुनावः पर्यवेक्षक निभाएंगे अहम भूमिका

    By anand rajEdited By:
    Updated: Thu, 17 Mar 2016 09:45 AM (IST)

    निष्पक्ष, शांतिपूर्ण व निर्बाध चुनाव कराने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस बार विशेष पर्यवेक्षक के अलावे 280 पर्यवेक्षक तैनात किए हैं। 18 मार्च से लेकर वे लोग 19 मई तक बंगाल में मोर्चा संभालेंगे। इस बार 193 जफनरल, 66 खर्च निगरानी व 21 पुलिस पर्यवेक्षक तैनात किये जा

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। निष्पक्ष, शांतिपूर्ण व निर्बाध चुनाव कराने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस बार विशेष पर्यवेक्षक के अलावे 280 पर्यवेक्षक तैनात किए हैं। 18 मार्च से लेकर वे लोग 19 मई तक बंगाल में मोर्चा संभालेंगे। इस बार 193 जफनरल, 66 खर्च निगरानी व 21 पुलिस पर्यवेक्षक तैनात किये जा रहे हैं। इसके अलावा माइक्रो पर्यवेक्षकों की भी अच्छी खासी तादात है। वे चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे, जिनमें प्रचार अभियान, मतदान से लेकर मतगणना तक सबकुछ शामिल है।

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    पर्यवेक्षक इस बात की भी पूरी जानकारी रखेंगे कि उन्हें आवंटित चुनाव क्षेत्र में कितनी तादाद में केंद्रीय बल के जवान भेजे गए हैं। चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन व अन्य तरह की गड़बड़ी नजर में आने पर वे अविलंब आला अधिकारियों को इसकी सूचना देंगे।

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    चुनाव पर्यवेक्षकों की नियुक्ति

    चुनाव पर्यवेक्षकों की नियुक्ति रिप्रेजेंटेशन आफ द पीपुल एक्ट, 1951 की धारा 20 बी के तहत की जाती है। पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी व तमिलनाडु में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए इस बार सैकड़ों पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिनका ‘आल इंडिया सर्विसेज’ से चयन हुआ है।

    कैसे काम करेंगे चुनाव पर्यवेक्षक

    चुनाव पर्यवेक्षकों पर आयोग का अनुशासनात्मक तौर पर नियंत्रण होता है। पर्यवेक्षकों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में आम पर्यवेक्षक आते हैं। आयोग अबाध तरीके से मतदान कराने के लिए पर्याप्त संख्या में इनकी नियुक्ति करता है। आम पर्यवेक्षकों पर मतदान के प्रत्येक चरण पर कड़ी निगरानी रखने की जिम्मेदारी है। जिला चुनाव अधिकारी की ओर से उनके नाम, आवंटित जिला/चुनाव क्षेत्र का पता और टेलीफोन नंबर के बारे में विभिन्न माध्यमों से जनता को जानकारी दी जाती है, ताकि आम लोग अपनी शिकायतें उनके सामने रख सकें।

    प्रत्याशियों के व्यय पर नजर रखेंगे पर्यवेक्षक

    दूसरी श्रेणी प्रत्याशियों के व्यय पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों की है। उनकी मदद के लिए सहायक पर्यवेक्षक भी होते हैं। वे प्रत्याशियों की ओर से चुनाव प्रचार पर खर्च किए जाने वाले एक-एक रुपये पर नजर रखते हैं। अब पुलिस पर्यवेक्षक भी तैनाती हो रही है। पिछले विधानसभा चुनाव से ही बंगाल में शुरूआत हुई थी। इस बार भी 21 पुलिस पर्यवेक्षक तैनात किये जा रहे हैं।

    मतदान केन्द्रों पर तैनात रहेंगे पर्यवेक्षक

    तीसरी श्रेणी माइक्रो पर्यवेक्षकों की है, जिनकी संवेदनशील मतदान केन्द्रों में नियुक्ति की जाती है। इनका केन्द्र सरकार/ केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से चयन किया जाता है। सूक्ष्म पर्यवेक्षकों का काम मतदान के दिन तमाम क्रियाकलापों को देखना है, जिनमें ‘माक पोल’ मतदान प्रक्रिया और उसके बाद इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और अन्य दस्तावेजों को सील करना इत्यादि शामिल है। सूक्ष्म पर्यवेक्षक सीधे तौर पर आम पर्यवेक्षकों के नियंत्रण और निरीक्षण में काम करते हैं। मतदान के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी या नियमों का उल्लंघन होने पर वे तुरंत उन्हें इसकी सूचना देते हैं।

    आयोग सूत्रों के मुताबिक पर्यवेक्षक प्रत्येक चरण के मतदान के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख को मतदान केन्द्रों में पहुंच जाएंगे और चुनाव संपन्न तक ठहरेंगे।

    लोग दर्ज करा सकेंगे शिकायत

    आयोग की तरफ से पर्यवेक्षकों को रोजाना शाम चार से छह बजे तक दो घंटे रिटर्निंग आफिसर के कार्यालय में बैठने को कहा गया है ताकि लोग उनसे मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। पर्यवेक्षकों को चुनाव क्षेत्रों का दौरा कर कमजोर व उपेक्षित समुदाय के लोगों के बीच विश्वास बहाली करने का निर्देश दिया गया है। वे प्रत्याशियों द्वारा प्रचार में खर्च की जाने वाली रकम पर भी नजर रखते हैं।

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