डौंडियाखेड़ा गांव का तो वजूद ही नहीं
जो गांव दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रहा है, वह तो वजूद में ही नहीं है। दरअसल राजस्व अभिलेखों में डौंडियाखेड़ा परगना और संग्रामपुर ग्रामसभा दर्ज है, लेकिन इस नाम से बस्ती का कोई वजूद नहीं है। अंग्रेजों से लोहा लेने वाले राज राव रामबख्श सिंह का यह गांव परगना के रूप में सिर्फ आज राजस्व अभिलेखों में जिंद
सुनील अवस्थी, डौंडियाखेड़ा (उन्नाव)। जो गांव दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रहा है, वह तो वजूद में ही नहीं है। दरअसल राजस्व अभिलेखों में डौंडियाखेड़ा परगना और संग्रामपुर ग्रामसभा दर्ज है, लेकिन इस नाम से बस्ती का कोई वजूद नहीं है। अंग्रेजों से लोहा लेने वाले राज राव रामबख्श सिंह का यह गांव परगना के रूप में सिर्फ आज राजस्व अभिलेखों में जिंदा है। देश की आजादी के बाद इस गांव को संग्रामपुर के रूप में पहचान मिली, वह भी गैरआबाद राजस्व गांव की।
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डौंडियाखेड़ा को संग्रामपुर लिखे जाने के पीछे भी कहानी है। यहां कई बार लड़ाइयां हुईं। राजा राव रामबख्श सिंह खुद भी बड़े लड़ाका थे। बक्सर में युद्ध क्षेत्र था। इस कारण यहां घोर संग्राम देखने वालों ने डौंडियाखेड़ा को संग्रामपुर का नाम दे दिया। पूर्व प्रधान चांद अली कहते हैं कि कई लड़ाइयां हुईं। इसी कारण धीरे-धीरे लोग डौंडियाखेड़ा की जगह संग्रामपुर नाम लेने लगे, लेकिन इस नाम से कभी कोई गांव नहीं रहा।
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बीघापुर तहसील के राजस्व निरीक्षक बसंत लाल बताते हैं कि राजस्व अभिलेखों में डौंडियाखेड़ा नाम से अब भी परगना दर्ज है। संग्रामपुर ग्राम पंचायत है। दोनों गैर आबाद हैं। ग्राम पंचायत में पांच गांव चंपतखेड़ा, भगवान खेड़ा, रघुनाथ खेड़ा, बाबू का शिवाला, फरकी आंशिक आते हैं।
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