डौंड़िया खेड़ा: सोना तो नहीं फिलहाल लोहा मिला
डौंड़िया खेड़ा में खजाने की खोज में चल रहे उत्खनन में पांचवें दिन पहली बार धरती के गर्भ से कोई धातु निकली, अलबत्ता यह लोहा है। राजा राव रामबख्श सिंह के किले में मंगलवार को एएसआइ टीम ने 42 सेंटीमीटर और खुदाई करवाई। टीम को इस दौरान और खपरैल मिले, साथ ही जंग लगी लोहे की कीलें भी मिली हैं। निकलने वा
उन्नाव, जागरण संवाददाता। डौंड़िया खेड़ा में खजाने की खोज में चल रहे उत्खनन में पांचवें दिन पहली बार धरती के गर्भ से कोई धातु निकली, अलबत्ता यह लोहा है। राजा राव रामबख्श सिंह के किले में मंगलवार को एएसआइ टीम ने 42 सेंटीमीटर और खुदाई करवाई। टीम को इस दौरान और खपरैल मिले, साथ ही जंग लगी लोहे की कीलें भी मिली हैं। निकलने वाली सभी चीजों को साफ करके अलग-अलग रंगों से रंग कर सुरक्षित रखा जा रहा है। अब तक किला परिसर में कुल 192 सेंटीमीटर खुदाई हो चुकी है। इस बीच प्रशासन ने सुरक्षा घेरा और बढ़ा दिया। किला परिसर में खुदाई का काम बुधवार को बंद रहेगा। सभी मजदूर विश्राम करेंगे। बृहस्पतिवार को फिर खुदाई का काम शुरू होगा।
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खजाने पर उठने लगे हैं सवाल
पांच दिनों तक खजाने का संकेत नहीं मिलने के बावजूद संत शोभन सरकार अपने दावे पर कायम हैं लेकिन स्थानीय लोगों में भी अब सवाल उठने लगा है आखिर वहां सोना है भी, या नहीं। पुरातत्व सर्वे विभाग (एएसआइ) की टीम ने भी फिलहाल चुप्पी साध रखी है। अब तक बरामद वस्तुओं पर भी टीम के सदस्य कुछ नहीं बोल रहे।
किसी से नहीं मिलेंगे शोभन सरकार
मीडिया में अपनी फोटो आने पर क्षुब्ध संत शोभन सरकार अगले पांच दिन तक किसी से भी मुलाकात नहीं करेंगे। वह यहां से शिवली आश्रम चले गए हैं। पहले ऐसी चर्चा थी कि वह पांच दिन समाधि में रहेंगे लेकिन उनके शिष्य स्वामी ओमजी ने बताया कि यह सच नहीं हैं। मीडिया के लोग बार-बार उनसे मिलकर तमाम तरह के सवाल कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने अब किसी से न मिलने का फैसला किया है।
सुरक्षा घेरा बढ़ा, बेरीकेडिंग बढ़ाई
जैसे-जैसे खुदाई का काम आगे बढ़ रहा है, सुरक्षा और कड़ी होती जा रही है। प्रशासन ने किले में बेरीकेडिंग का एक घेरा और बढ़ा दिया है। भीड़ का आना थम जाने के बावजूद सुरक्षा का बढ़ाया जाना सवाल पैदा कर रहा है लेकिन प्रशासन इस पर कुछ बोल नहीं रहा। पहले आसपास के गांवों के लोग आकर यहां कई-कई घंटे बिताते थे लेकिन अब वे केवल गंगा स्नान को आते हैं और उसके बाद ही कुछ मिनट यहां खड़े हो रहे हैं।
पहले कांग्रेसी थे स्वामी ओम
मेरठ। डौंड़िया खेड़ा में राजा के किले में सोना होने की भविष्यवाणी करने वाले संत शोभन सरकार की आवाज बने स्वामी ओम किसी जमाने में कांग्रेस की दबंग आवाज हुआ करते थे। उन्होंने कई वर्षो तक मेरठ महानगर कांग्रेस के प्रवक्ता के रूप में कार्य किया था। स्वामी ओम का बचपन और जवानी मेरठ की धरती पर बीता। ओम 90 दशक के उत्तरार्द्ध तक ओम अवस्थी के नाम से जाने जाते थे। बाद में उन्हें पार्टी के नेता नंगा फकीर के नाम से बुलाने लगे। वजह थी कि ओम अवस्थी ने आधा शरीर नंगा रखने का प्रण लिया था। वे केवल सफेद लुंगी पहनते थे। ओम पहले युवा कांग्रेस और फिर जिला कांग्रेस में महामंत्री व बाद में प्रवक्ता रहे। डौंड़िया खेड़ा में खजाना न मिलने पर अपना सिर कलम कराने की चुनौती देने वाले ओम शुरू से ही स्पष्टवादी थे। उन्होंने मेरठ कॉलेज से दो विषयों में एमए भी किया था। ओम अवस्थी इंदिरा गांधी से बेहद प्रभावित थे। ऐसे में उनकी मृत्यु के बाद से ही उनका कांग्रेस से मोहभंग होने लगा। इसके बाद पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने मेरठ की माटी को अलविदा कह दिया और फिर कभी नहीं लौटे।
विकास से महरूम है डौंडि़या खेड़ा
खजाने की खोज को लेकर देश-दुनिया में चर्चा का विषय बने बाबू का शिवाला गांव (डौंड़िया खेड़ा) खोदाई शुरू होने के साथ ही अधिकारियों-नेताओं और मीडिया से भले गुलजार हो गया, लेकिन विकास के मुद्दे पर यह गांव हमेशा वीरान ही रहा है। कभी कोई झांकने नहीं आया। बुनियादी सुविधाओं से वंचित इस गांव ने आजादी के इतने सालों बाद बिजली की रोशनी और सड़क नहीं देखी। खड़ंजा व ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरने पर उड़ती धूल गांव की बदहाली की पहचान है। अब खजाने में सोना निकलने की राह देखते इस गांव में सुनहरे ख्वाब बुने जा रहे हैं। लोग दुआएं मांगते, एक-दूसरे को दिन बहुरने की तसल्ली देते नजर आते हैं। इस गांव के दो किनारों से 4 से 5 सौ मीटर दूर से ही एचटी लाइन निकली है, लेकिन यहां विद्युतीकरण नहीं हो सका। गांव के श्यामू पांडेय कहते हैं कि इतने अफसर, इतने नेता पहले कभी नहीं आए। सिर्फ वोट के समय नेता आए फिर भूल गए। सौरभ पांडेय ने कहा कि सोना निकले तो गांव सोने सा चमकेगा भी। विवेक कुमार तो भगवान से दुआ कर रहे हैं कि खजाना निकल आए। किला पर्यटन स्थल बन जाए तो कुछ रोजी-रोजगार बढ़ जाए। दुर्गेश तिवारी कहते हैं कि बिजली गांव के बगल से होकर निकल गई, पर यहां तक नहीं आ पाई। देशराज लोधी ने कहा कि कल तक डौंडि़या खेड़ा कोई पूछ नहीं रहा था। इतना नाम मिल गया, बस खजाना मिले तो गांव में खुशहाली आ जाएगी। शिव मोहन की आंखों में भी खजाने की चमक है। कहते हैं सोना मिलेगा। खुदाई तो पूरी हो जाए। गांव का कल्याण हो जाएगा।
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