पहाड़ों की राह पर भारी पड़ रही नासमझी
पहाड़ो को नजदीक से देखने का जुनून दो युवाओं पर भारी पड़ गया। यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी पहाड़ो को शांत व आरामदायक पड़ाव समझने की भूल कई युवाओं की जान ले चुकी है
धर्मशाला [मुनीष दीक्षित] : फिर दुरुह पहाड़ो को बर्फबारी के बीच नजदीक से देखने का जुनून दो युवाओं पर भारी पड़ गया। इस हादसे ने फिर पहाड़ों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी को भी सबके सामने ला दिया है। प्रदेश में यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले भी पहाड़ो को शांत व आरामदायक पड़ाव समझ लेने की भूल कई युवाओं की जान ले चुकी है।
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धर्मशाला के त्रियुंड में कई युवा बर्फबारी के बीच फंसकर जान गवां चुके है तो आदि हिमानी चामुंडा की पहाडि़यों में भी बर्फ में फंसना कुछ युवाओं की जान ले चुका है। मनाली में भी कुछ दिन पहले कुछ ट्रैकर्स बर्फबारी के बीच फंस कर मौत के निकट पहुंच गए थे, लेकिन अपने साथ एक गाइड ले जाना ही उन्हें फिर सांसे लौटा गया था। इसके अलावा भी बर्फ के बीच यहां कई घटनाएं हुई है जो आज भी शांत पहाड़ों को युवाओं की लापरवाही के कारण कलंकित करती आ रही है। कुछ हादसों में पहाड़ो में नशा भी युवाओं की जान पर भारी पड़ रहा है। कई साल से ट्रैकिंग से जुड़े मनु एडवेचर के मंजीत कुमार व कुलदीप कुमार का कहना है कि ट्रैकिंग पर जाने से पहले युवाओ को बचाव के बारे मे पहले ही सारी तैयारी करनी चाहिए और भौगोलिक परिस्थितयो से अवगत होना चाहिए।
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पहाड़ो मे पूरी तैयारी के साथ ही जाना चाहिए। बर्फबारी के दौरान ऊंचे पहाड़ो से दूर रहे। युवाओं का इस बारे जागरूक करने की जरूरत है।-शिव राज सैनी, सेवानिवृत उपनिदेशक, पर्वतारोहण केंद्र मनाली।
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बर्फबारी के बीच कई युवाओं को रेस्क्यू कर बचाया जाता है। कई युवाओं की जान अब तक जा चुकी है। युवा बिना तैयारी व गाइड के पहाड़ो में पहुंच रहे है। इससे हादसे हो रहे है।
-सुभाष नैहरिया, एमडी, समिट एडवेचर, भागसूनाग।
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पहाड़ो में जाकर नशा करना भी बड़ी लापरवाही है। युवा पहाड़ो मे नशा कर ठंड से बचने का प्रयास करते है। पहले से ही बेहद कम तापमान व ऑक्सीजन की मात्रा के बीच यह प्रयास उलटा पड़ जाता है। पहाड़ो मे ऑक्सीजन की कमी के कारण सोचने की क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसे में पहाड़ो मे ट्रैकिंग व बर्फबारी के दौरान नशा बिल्कुल न करे। इससे आप बेसुध होकर बर्फबारी के बीच भी आ सकते है।-डॉ. मेजर सुखजीत सिंह, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, टांडा मेडिकल कॉलेज, कांगड़ा।
तस्वीरें : बर्फ के बाद बेहद खूबसूरत हो जाते हैं पहाड़
ये बरते सावधानियां :
-पहाड़ो में ट्रैकिंग पर अकेले न जाएं। ट्रैकिंग पर हमेशा पंजीकृत ट्रैकिंग गाइड व एजेसी के माध्यम से ही जाएं।
-पहाड़ो में लगातार मौसम बदलता है। ऐसे मे उसी ढंग से तैयारी करके जाएं।
-अगर बर्फबारी शुरू हो गई हो, तो आगे बढ़ने की बजाय पहाड़ो से तुरंत लौट आएं।
-सर्दी के मौसम में रात को पहाड़ो मे बिलकुल न रुके।
-किसी कारण रात को बर्फबारी मे फंस जाते है, तो डरे नहीं बल्कि एक सुरक्षित ठिकाना ढूंढे़ं।
-पहाड़ो मे जाने से पहले अपने साथ खाने की पर्याप्त सामग्री, आग जलाने के लिए माचिस का पैकेट, चाकू व दो से तीन टार्च हमेशा रखें।
-पहाड़ो मे जाने से पहले किसी परिचित को हमेशा अवगत करवाकर जाएं।
-अगर कही बर्फबारी मे आप फंस जाते हैं, तो सबसे पहले आग जलाकर सिग्नल देने का प्रयास करे।
-बर्फबारी के समय जंगली जानवर भी सुरक्षित ठिकानो की तरफ निकलते है। ऐसे मे आपका अकेले पहाड़ो मे जाना जोखिम भरा हो सकता है।
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बर्फबारी के बीच हुए कुछ हादसे
-त्रियूंड में दो दशक पहले राजस्थान से आए एक ट्रैकिंग समूह के सदस्यों की मौत।
-10 साल पहले आदि हिमानी चामुंडा में बर्फ मे फंस कर चार युवाओ की मौत।
-2009 में रोहतांग दर्रे को पार कर रहे आठ मजदूर बर्फीले तूफान की चपेट में आकर मौत का ग्रास बने।
-2010 में त्रियुंड में धर्मशाला के दो युवक बर्फबारी के बीच फंसे, एक की मौत।
-2013 में फ्रांस के दो युवा बर्फबारी से कुछ दिन पहले त्रियुंड से लापता।
-2016 में मनाली के चंद्रखणी पर्वत से सात ट्रैकर्स उनके साथ एक स्थानीय युवक होने के कारण सुरक्षित बचे।
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