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कर्मचारी सरकार से नियुक्त नहीं तो स्थायी होने का नहीं कर सकता दावा, हाई कोर्ट ने की याचिका खारिज

हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि यदि कर्मचारी की नियुक्ति सरकार द्वारा नहीं की गई है तो वह स्थायी नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 03 May 2020 11:32 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 11:32 AM (IST)
कर्मचारी सरकार से नियुक्त नहीं तो स्थायी होने का नहीं कर सकता दावा, हाई कोर्ट ने की याचिका खारिज
कर्मचारी सरकार से नियुक्त नहीं तो स्थायी होने का नहीं कर सकता दावा, हाई कोर्ट ने की याचिका खारिज

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ कर दिया है कि अगर कर्मचारी की नियुक्ति सीधे सरकार द्वारा नहीं की गई और उसे निजी एजेंसी के द्वारा हायर किया गया है तो वह नियमित सेवा के लिए क्लेम नहीं कर सकता। हाई कोर्ट ने यह आदेश एक महिला द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए दिया। इस मामले में फतेहाबाद जिले की लक्ष्मी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उसकी सेवा नियमित करने की मांग की थी।

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याचिका में कोर्ट को बताया गया कि याची हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में ग्रुप डी कर्मचारी के तौर पर कार्यरत थी। उसने नवंबर 2009 से लेकर 2014 तक विभाग में काम किया, लेकिन उसे एक दिन अचानक आदेश दिया गया कि आपकी सेवा समाप्त की जाती है। याची ने कहा कि उसकी सेवा समाप्त करने का निर्णय उचित नहीं है। याची ने हाई कोर्ट को बताया कि इस बाबत ससने 10 मार्च 2016 को विभाग को एक कानूनी नोटिस भेजकर उसको सेवा में लेने व उसकी सेवा नियमित करने की मांग की, लेकिन विभाग ने उसकी मांग खारिज कर दी।

मामले में हाई कोर्ट के नोटिस पर सरकार की तरफ से हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि याची न तो सरकारी कर्मचारी है और न ही सरकार द्वारा नियुक्त की गई थी। ऐसे में वह किस आधार पर सेवा नियमित करने की मांग कर रही है। सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया कि याची हिसार के अस्पताल में कार्यरत थी। उसकी नियुक्ति एक निजी एजेंसी के कर्मचारी के तौर पर थी। महिला कर्मचारी की सेवा संतोषजनक नहीं थी और एजेंसी ने उसको हटा दिया। महिला व सरकार के बीच सीधे तौर पर नियोक्ता व कर्मचारी का कोई संबंध नहीं था। जिस एजेंसी ने उसको काम पर रखा था सरकार का अब उसके साथ भी अनुबंध खत्म हो चुका है। ऐसे में सरकार का इस मामले में कोई संबध नहीं है। सरकारी पक्ष को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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