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    यूपी चुनाव 2017: कानपुर क्षेत्र में लोकतंत्र को 'जातीय जंजीरों' ने जकड़ा

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Fri, 17 Feb 2017 07:11 PM (IST)

    होली पर जब चुनाव परिणाम सामने होंगे, तब जीते भले ही कोई दल, लेकिन मौजूदा हालात इशारा कर रहे हैं कि जातीय जंजीरों में जकड़ा मध्य उप्र फिर वहीं छटपटाता नजर आएगा।

    यूपी चुनाव 2017: कानपुर क्षेत्र में लोकतंत्र को 'जातीय जंजीरों' ने जकड़ा

    कानपुर [जितेंद्र शर्मा]। तीसरे चरण के मतदान के लिए पूरी बिसात बिछ चुकी है। मोहरे सामने हैं और इंतजार है कि ईवीएम में बटन दबे। होली पर जब चुनाव परिणाम सामने होंगे, तब जीते भले ही कोई दल, लेकिन मौजूदा हालात इशारा कर रहे हैं कि जातीय जंजीरों में जकड़ा मध्य उप्र फिर वहीं छटपटाता नजर आएगा। दलों के घोषणा पत्र और बड़े नेताओं के ऊंचे मंचों से भले ही 'विकास की हुंकार उठ रही हो, लेकिन तीसरे चरण में मतदान के मुहाने पर खड़े जिलों में शायद ही कोई विधानसभा सीट ऐसा हो, जहां विकास, स्थानीय जरूरत या उम्मीदें मुद्दा बनकर उभरी हों।

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    आलू फसल की बर्बादी पर अब तक आंसू बहाता रहा फर्रुखाबाद का किसान हो, कानपुर देहात में आपदा राहत मुआवजे को दर-दर भटका किसान हो या टूटी सड़कों, बंद उद्योग-कारखानों, प्रदूषण और जाम से झल्लाता कानपुर शहर का आमजन हो। सब न जाने क्यों पुरानी बातों को दबाने को आतुर है। लोकतंत्र के लिए अफसोसजनक स्थिति है कि लगभग हर मतदाता की नजर प्रत्याशी के नाम के अगले शब्द यानी उसकी जाति पर है।

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    रसूलाबाद का दशहरी गांव कानपुर देहात का है, लेकिन ये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल के लोकसभा क्षेत्र कन्नौज में आता है। इस गांव में तीन हैंडपंप हैं। इनमें से दो से तो प्रदूषित पानी निकलता है, जिसकी वजह से इन पर लाल निशान चेतावनी देता है कि इसे न पिएं। वहीं, एक हैंडपंप लंबे समय से खराब पड़ा है। ग्रामीण दूरदराज से पानी भरकर लाते हैं। इसे अपनी सबसे बड़ी समस्या बताते हैं, लेकिन चुनाव और प्रत्याशी का जिक्र हो तो इसे भूलकर बिरादरी के प्रत्याशी के लिए बंटे नजर आ रहे हैं। कानपुर देहात की बड़ी आबादी शायद इसी सोच के साथ 19 फरवरी के इंतजार में है। पिछले साल ओलावृष्टि और सूखे में लघु सीमांत किसानों की 81342 हेक्टेयर और बड़े किसानों की 33525 हेक्टेयर भूमि की फसल बर्बाद हुई।

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    सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल प्रभावित 417927 किसानों के लिए लगभग ढाई अरब मुआवजा राशि तय हुई। इतना वक्त गुजर गया, लेकिन अब तक सभी किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका है। अब तक यही मुद्दा छाया रहा। धरना-प्रदर्शन हुए। मगर, चुनाव में यह न तो किसानों का मुद्दा है और ना ही प्रत्याशियों का।
    ऐसा नहीं कि जाति के जंजालों में ग्रामीण क्षेत्र ही जूझ रहे हैं। कानपुर शहर में आएं तो यहां विकास का मुद्दा होना वाजिब है। औद्योगिक विकास की बात होनी चाहिए। दलों के घोषणा पत्रों में तो इन पर जोर है, लेकिन दलों की रणनीति में यह मुद्दे मतदाता के दिल तक पहुंचाने की कोई खास कोशिश नहीं। मिश्रित आबादी वाले सीसामऊ और छावनी विधानसभा में अदृश्य लकीर संप्रदाय की खींचने की कोशिश है तो किदवई नगर, गोविंदनगर, कल्याणपुर, महाराजपुर और बिठूर में बिरादरी की दुहाई जोरों पर है।

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    यहां सैफई परिवार का संघर्ष ही मुद्दा
    सपा शासन में इटावा में तुलनात्मक रूप से अधिक काम यहां की जनता स्वीकारती है। यहां दोनों विधानसभा सीटें सपा के कब्जे में हैं। मगर, अब विरोधी दलों से लेकर दो धड़े में बंटी सपा में अपनी-अपनी वफा और चाचा-भतीजे की खींचतान ही चुनाव टिका नजर आ रहा है। यही पारिवारिक कलह मुख्यमंत्री की पत्नी डिंपल यादव के लोकसभा क्षेत्र कन्नौज में बनी हुई है। क्षेत्रवासी इसे तो स्वीकार करते हैं कि यहां विकास काफी हुआ है। कई बड़े प्रोजेक्ट आए। थोड़ी सी शिकायत इनके अधूरे पड़े होने की है, लेकिन विरोधी दल इस सोच पर पारिवारिक कलह की परत चढ़ाने की पुरजोर कोशिश में हैं।

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    'वाद में पिछड़ते ये एजेंडे
    - कभी पूरब के मेनचेस्टर रहे कानपुर की लाल इमली मिल अब एक इमारत है। जिसकी प्राचीरों में चंद रोज पहले तक मजदूरों की हिमायत गूंज रही थी। मगर, अब खामोशी है। कोई दल इसे या अन्य कारखानों को चालू कराने पर जोर नहीं दे रहा। जनता भी इस पर जवाब या आश्वासन नहीं मांग रही।
    - कानपुर शहर जाम और प्रदूषण की गंभीर बीमारी में सिसक रहा है। यहां जीवन घुट रहा है। इसके बावजूद इस बार चुनाव का मुख्य मुद्दा यह नहीं बन सका है। सड़कें टूटी और जर्जर हैं, लेकिन इस पर किसी को खास जोर नहीं है।
    - फर्रुखाबाद में किसानों की मेहनत अक्सर बर्बाद हो जाती है। यहां फूड प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना तो किसानों को आलू की फसल का ज्यादा मुनाफा मिल सकता है।

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    विधानसभा सीटें : एक नजर
    कानपुर नगर
    कुल प्रत्याशी- 100
    कुल मतदाता- 3370113
    दलों की स्थिति- सपा- 5, भाजपा- 4, कांग्रेस- 1 और बसपा- 0

    कानपुर देहात
    कुल प्रत्याशी- 48
    कुल मतदाता- 1270659
    दलों की स्थिति- सपा- 3, बसपा- 1, भाजपा- 0, कांग्रेस- 0

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    इटावा
    कुल प्रत्याशी- 40
    कुल मतदाता- 34275
    दलों की स्थिति- सपा- 2, बसपा- 0, भाजपा- 0, कांग्रेस- 0

    औरैया
    कुल प्रत्याशी- 32
    कुल मतदाता- 978081
    दलों की स्थिति- सपा- 3, बसपा- 0, भाजपा- 0, कांग्रेस- 0

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    कन्नौज
    कुल प्रत्याशी- 39
    कुल मतदाता- 1152000
    दलों की स्थिति- सपा-3, भाजपा- 0, बसपा- 0, कांग्रेस- 0

    उन्नाव
    कुल प्रत्याशी- 65
    कुल मतदाता- 2168712
    दलों की स्थिति- सपा- 4, भाजपा- 1, बसपा- 1, कांग्रेस- 0

    फर्रुखाबाद
    कुल प्रत्याशी- 61
    कुल मतदाता- 1340287
    दलों की स्थिति- सपा- 4, भाजपा- 0, बसपा- 0, कांग्रेस- 0