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पूर्वाचल में सपा को झटका, मंत्री विजय मिश्र का सपा से इस्तीफा

अखिलेश सरकार के धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार विजय कुमार मिश्र ने आज पार्टी व मंत्रिपद से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 16 Feb 2017 08:13 PM (IST)Updated: Thu, 16 Feb 2017 10:50 PM (IST)
पूर्वाचल में सपा को झटका, मंत्री विजय मिश्र का सपा से इस्तीफा
पूर्वाचल में सपा को झटका, मंत्री विजय मिश्र का सपा से इस्तीफा

लखनऊ (राज्य ब्यूरो) । अखिलेश सरकार में धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विजय मिश्र ने सपा को बड़ा झटका देते हुए बसपा का दामन थाम लिया है। पूर्वाचल से आने वाले पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी व नारद राय पहले ही सपा छोड़ बसपा के हो चुके हैं। समाजवादी परिवार में कलह और फिर अखिलेश यादव द्वारा पार्टी की कमान संभालने के बाद से सपा के कई नेता किसी न किसी कारण से दूसरी पार्टियों का रुख करते जा रहे हैं।

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सपा की आंतरिक खेमेबाजी में पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शुमार अंबिका चौधरी का बसपा में जाना अखिलेश के लिए पहला बड़ा झटका था। उनके बाद पूर्व मंत्री नारद राय बसपा के साथ हो लिए। दोनों को पूर्वाचल का प्रभावशाली नेता माना जाता है। इसी कड़ी में कौमी एकता दल ने सपा से नाता तोड़कर बसपा में विलय कर लिया। चुनाव के दौरान अब राज्यमंत्री विजय मिश्र ने बसपा का दामन थामा है। गाजीपुर से पहली बार विधायक निर्वाचित विजय मिश्र को सपा में ब्राह्माणों को जोड़ने का जिम्मा दिया गया था।

यह भी पढ़ें: Election: पेट्रोल पंपों पर लगीं नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को हटाने का निर्देश ध्यान रहे, सपा गाजीपुर जिले के जखनिया से अपने विधायक सुब्बाराम और जहूराबाद से विधायक सैयदा शादाब फातिमा का टिकट काट चुकी है। अब विजय मिश्र के बसपा से में जाने के ढेरों सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री शारदा प्रताप शुक्ला भी बगावत कर राष्ट्रीय लोकदल से चुनाव मैदान में हैं। रालोद से चुनाव लड़ने पर शुक्ला को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जा चुका है।

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गैर भाजपाई वोटों को बटोरने की चाहत

चुनाव के दौरान बसपा द्वारा चलाए जा रहे कुनबा जोड़ों अभियान का मकसद सपा-कांग्रेस गठबंधन का जवाब माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि बसपा दलित मुस्लिम व ब्राह्मण समीकरण को मजबूत बनाए रखने का संदेश देना चाहती है। पहले-दूसरे चरण के बाद से बसपा ने अपनी गोलबंदी बढ़ा दी ताकि अगले चरणों के मतदान में इसका लाभ उठा सके।


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