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    झटका: कम हो सकती हैं उत्‍तराखंड में इंजीनियरिंग की सीटें

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Thu, 22 Dec 2016 06:30 AM (IST)

    बीते पांच साल से इंजीनियरिंग कॉलेजों में लगातार गिरते दाखिले के ग्राफ को लेकर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है।

    देहरादून, [जेएनएन]: आने वाले सत्र में उत्तराखंड समेत देशभर के संस्थानों में इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटों की संख्या को लेकर बड़ा फेरबदल हो सकता है। बीते पांच साल से इंजीनियरिंग कॉलेजों में लगातार गिरते दाखिले के ग्राफ को लेकर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है। उत्तराखंड में बीते तीन साल से 50 फीसद सीटों पर भी प्रवेश नहीं हो रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति देश के अन्य संस्थानों में भी है।
    बीते दिनों एआईसीटीई ने देशभर के तकनीकी विश्वविद्यालयों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की थी। अब उम्मीद जताई जा रही है कि जनवरी तक इस मामलें में एआईसीटीई फैसला ले सकता है। कॉलेजों की मौजूदा प्रवेश क्षमता को लेकर एआईसीटीई ने कुलपतियों, तकनीकी शिक्षा से जुड़े अधिकारियों और निजी कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

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    बैठक में आए सुझावों के आधार पर ही कार्ययोजना तैयार की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक प्रवेश क्षमता को लेकर दो प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। इन प्रस्तावों पर आगामी सत्र के लिए कॉलेजों को मान्यता देने के लिए एआईसीटीई पोर्टल खुलने से पहले नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।

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    सूत्रों की मानें योजना के तहत तकनीकी कॉलेजों में बीते तीन साल में हुए दाखिलों का ब्रांचवाइज औसत निकालकर खाली रहीं सीटों को समाप्त कर दिया जाएगा। इसके बाद बची सीटों का दस प्रतिशत यह मानकर बढ़ा दिया जाएगा कि अगले सत्र कुछ दाखिले बढ़ सकते हैं। इससे संस्थानों में प्रवेश को लेकर प्रतिस्पर्धा विकसित होने की संभावना भी देखी जा रही है।

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    हालांकि, राज्य में निजी कॉलेजों की स्थिति देखी जाए तो इनकी अधिकांश सीटें इस स्थिति में खत्म हो जाएंगी। दूसरा प्रस्ताव यह भी है कि सभी कॉलेजों के लिए एक ही पैमाना तय किया जाए। इसमें ब्रांचवाइज कॉलेजों की सीट तय कर दी जाएंगी। इस प्रस्ताव का वे कॉलेज विरोध कर रहे हैं, जिनके पास ज्यादा प्रवेश आते रहे हैं।

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    इसके साथ ही एआईसीटीई ऐसे कॉलेजों पर सख्ती कर सकता है, जिनके पास मानकों से कम संसाधन हैं और शिक्षकों की कमी है। बताते हैं कि इस बार एआईसीटीई की स्पेशल टीम निरीक्षण को भी आ सकती है। अभी तक कॉलेजों द्वारा भेजे गए डाटा के आधार पर ही मान्यता बढ़ा दी जाती थी।

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    उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके गर्ग के अनुसार, सीटें कम करना का अधिकार संस्थानों के पास भी है। वे विश्वविद्यालय को पत्र भेज सीटें कम कर सकते हैं। एआईसीटीई की योजना को लेकर अभी जानकारी नहीं है। लेकिन, ऐसा हुआ तो इससे खाली सीटों की समस्या कम होगी और प्रक्रिया जल्द पूरी की जा सकेगी।

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