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दून का ऐतिहासिक झंडे का मेलाः अनुशासन और संयम से टला बड़ा हादसा

झंडेजी के आरोहण के दौरान धवजदंड का एक हिस्सा खंडित होकर श्रद्धालुओं के ऊपर गिर गया। इसमें सात लोग घायल भी हुए लेकिन इसके बाद भी कोई विचलित नहीं हुआ।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 08:33 AM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 08:33 AM (IST)
दून का ऐतिहासिक झंडे का मेलाः अनुशासन और संयम से टला बड़ा हादसा

देहरादून, जेएनएन। आस्था के सैलाब में संयम की नाव किस तरह बाधाओं को पार करती है। इसका नजारा उस वक्त देखने को मिला जब दरबार साहिब परिसर में झंडेजी के आरोहण के दौरान धवजदंड का एक हिस्सा खंडित होकर श्रद्धालुओं के ऊपर गिर गया। इसमें सात लोग घायल भी हुए, लेकिन इसके बाद भी कोई विचलित नहीं हुआ। कहीं कोई भगदड़ नहीं, जो जहां था वहीं खड़ा रहा। आमतौर पर ऐसा नजारा कम ही देखने को मिलता है, जब सैकड़ों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु संयम का भी परिचय दे। 

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मेले में आरोहण के दौरान हुई घटना के बाद सैकड़ों की संख्या में मौजूद संगत और श्रद्धालुओं ने जिस तरह से संयमित होकर कार्य किया। वह समाज के लिए एक संदेश भी है कि आस्था और श्रद्धा मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में संयमित रहना भी सिखाती है। सेवादारों ने घायलों को एंबुलेंस के जरिये अस्पताल भी भिजवाया और फिर पूरी आन, बान शान से झंडा साहिब का आरोहण करने में मदद की। 

शुक्रवार सुबह से ही दरबार साहिब में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला आरंभ हो गया था। करीब आठ बजे से झंडेजी को उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद झंडा साहिब को दूध, दही, घी, गंगाजल से स्नान कराया गया। पूजा-अर्चना के बाद गिलाफ चढ़ाना शुरू किया गया। दोपहर बाद परिसर में पांव रखने की भी जगह नहीं बची। आसपास के घरों की छतों पर लोग झंडा साहिब का आरोहण देखने के लिए जुटने लगे। 41 सादे गिलाफ, 21 सनील के गिलाफ और अंत में आढ़त बाजार निवासी परमजीत सिंह ने दर्शनी गिलाफ चढ़ाया। 

इसके बाद मखमली वस्त्र, सुनहरे गोटों और झंडेजी के शीर्ष पर चंवर सुसज्जित कर आरोहण किया गया। दरबार साहिब के साथ ही पूरे परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज के दिशा-निर्देशन में 105 फीट ऊंचे झंडेजी को लकडिय़ों की कैंची के सहारे धीरे-धीरे खड़ा किया गया। 

शाम 4:43 बजे झंडा आरोहण के वक्त ध्वजदंड का एक हिस्सा खंडित होकर श्रद्धालुओं की भीड़ पर जा गिरा। इससे वहां करीब सात श्रद्धालु चोटिल होकर घायल हो गए। दरबार साहिब के जयकारों के बीच इस तरह की घटना होने के बाद भी श्रद्धालुओं ने संयम का परिचय दिया। सेवादारों ने माहौल को अनियंत्रित नहीं होने दिया और घायलों को एंबुलेंस के जरिये अस्पताल पहुंचाया। 

सिर्फ दो घंटे के भीतर संयमित श्रद्धालुओं ने दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज के निर्देश पर झंडा साहिब के आरोहण की तैयारी की और शाम 6:40 बजे शक्ति पुंज के आरोहण होते ही पूरा माहौल जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल, दरबार साहिब के जयकारों से गूंज उठा।

आरोहण के दौरान नहीं हुई बारिश 

शुक्रवार को शहर में मौसम का मिजाज बदला रहा। लेकिन झंडेजी के आरोहरण के वक्त कई घंटों से हो रही बारिश भी बंद हो गई। श्रद्धालुओं ने इसे दरबार साहिब की कृपा बताया। पंजाब के रोपड़ निवासी नेहा ने बताया कि आस्था का प्रतीक झंडेजी के आरोहण के वक्त इंद्रदेव ने भी साथ दिया। 

देर रात तक संगत ने किया कीर्तन 

झंडा साहिब के आरोहण के बाद आस्था में डूबे श्रद्धालुओं ने दरबार साहिब परिसर में कीर्तनों के जरिये श्री गुरु रामराय महाराज की महिमाओं का गुणगान किया। वहीं, देर रात तक संगत ढोल की थाप पर नृत्य करती रही। 

इस बार एक लाख श्रद्धालु पहुंचे

झंडा मेला में झंडेजी के आरोहण में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों से बड़ी संख्या मं संगत पहुंची। दरबार साहिब के प्रबंधक व मेलाधिकारी केसी जुयाल ने बताया कि इस बार देश के विभिन्न प्रांतों से करीब एक लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं। जिनमें से लगभग 50 हजार संगत बीते गुरुवार को दून पहुंची चुकी थी। उन्होंने बताया कि इस बार संख्या कम होने का कारण कोरोना का भय और मौसम बदलाव भी रहा। 

पुलिस की सक्रियता से बड़ा हादसा टला

झंडेजी के आरोहण के दौरान ध्वजदंड टूटने से अफरातफरी मची तो पुलिस कर्मियों के हाथ-पांव फूल गए। एसपी सिटी श्वेता चौबे की अगुआई में पुलिस ने मोर्चा संभाला और हजारों संगतों खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। करीब दो घंटे तक पुलिस झंडा मेले की व्यवस्था बनाए रखने के लिए मशक्कत करती रही। यही वजह रही कि लाखों की भीड़ होने के बावजूद कुछ ही घंटों में स्थिति सामान्य हो गई और संगतों में उत्साह एक बार फिर हिलोरे मारने लगा।

झंडेजी के मेले में देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में संगतें झंडेजी के आरोहण की साक्षी बनती हैं। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर हर बार की तरह इस बार भी पुलिस मुस्तैद थी। शुक्रवार को संगतों के आने का सिलसिला चल ही रहा था कि अचानक ध्वजदंड के टूटकर गिरने से चीख-पुकार मच गई। 

पुलिस कर्मियों ने तत्काल मोर्चा संभाल लिया। एसपी सिटी श्वेता चौबे ने कोतवाली और पटेलनगर से फोर्स को मौके पर पहुंचने के लिए कहा। दरबार साहिब परिसर से सहारनपुर चौक के बीच के रास्ते को वनवे कर पुलिस ने संगतों को बाहर निकालना शुरू किया। साथ ही ट्रैफिक पुलिस और थानों की फोर्स को यह भी हिदायत दी गई कि सहारनपुर रोड पर जाम न लगे। 

पुलिस की यह योजना कामयाब रही। झंडा मेले से निकलने वाली भीड़ निर्बाध रूप से अपने डेरों तक पहुंचती गई। करीब एक घंटे के भीतर ही हजारों संगतों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। श्रीमहंत देवेंद्र दास ने पुलिस की सूझबूझ की तारीफ करते हुए कहा कि पुलिस ने जिस तरह संगतों को नियंत्रित कर उन्हें व्यवस्थित तरीके से बाहर निकाला, उससे बड़ी अनहोनी टल गई। 

50 साल पहले उतारते समय टूटा था ध्वज दंड

देश के विभिन्न प्रांतों में रहने वाले श्री गुरु राम राय साहिब के अनुयायियों की आस्था व श्रद्धा के केंद्र दरबार साहिब में करीब पचास साल पहले भी ध्वजदंड टूटा था। दरबार साहिब के आसपास रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि तब हादसा झंडेजी को उतारते समय हुआ था। मंगलवार को झंडा साहिब का आरोहण न करने और होली के तीन दिन बाद झंडारोहण किए जाने को बातों को लोगों ने महज अफवाह बताया। 

स्थानीय निवासी व वरिष्ठ नागरिक राकेश महेंद्रू ने बताया कि झंडेजी से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां हर साल लाखों संगतें आती हैं और परिजनों की सुख, समृद्धि की मन्नतें मांग कर जाती हैं। उन्होंने बताया कि करीब पचास साल पहले भी झंडा मेले के दौरान हादसा हुआ था। उस समय झंडेजी को उतारते समय ध्वज दंड टूट गया था। लेकिन, गुरु की कृपा से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। वहीं, कुछ लोग यह कहते हैं कि तब मंगलवार का दिन था और तभी से मंगलवार को झंडारोहण नहीं होता। राकेश महेंदू्र ने बताया कि यह कोरी अफवाह है। झंडेजी का आरोहण चैत्र मास की पंचमी तिथि को होता है। 

कैंची टूटने से टूटा ध्वजदंड

दरबार साहिब के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के कारण झंडेजी (ध्वजदंड) को उठाने वाली लकड़ी के लट्ठों से तैयार कैंची अचानक चटक गई। इससे ध्वजदंड का नीचे का हिस्सा क्रैक हो गया। कुछ देर के लिए ऐसा लगा कि कोई बड़ी अनहोनी हो गई, लेकिन श्री गुरु महाराज जी के आशीर्वाद व संगतों के सहयोग से बड़ी अनहोनी टल गई। लगातार बारिश के कारण ध्वज दंड का निचला हिस्सा कुछ कमजोर हो गया था। यही कारण माना जा रहा है कि ध्वज दंड का निचला हिस्सा क्रैक हुआ होगा। 

होली के तीसरे दिन आरोहण बना चर्चा का विषय

दून का ऐतिहासिक झंडा मेला इस बार होली पर्व के दो दिन बाद शुरू होने से कई लोग संशय में थे। शुक्रवार को झंडा साहिब के आरोहण के दौरान ध्वजदंड का एक हिस्सा खंडित होकर गिरने के बाद लोग इस बारे में चर्चा करते रहे। दरअसल, लोगों का कहना था कि अब तक होली के पांचवें दिन में मेला शुरू होता था। 

आरोहण के दौरान ध्वजदंड का एक हिस्सा टूटने के पीछे लोग कैंची टूटने को भी वजह बताते रहे। देर शाम तक लोग इस बारे में आपसी चर्चा करते रहे। इस संबंध में दरबार साहिब के प्रबंधक केसी जुयाल ने बताया कि झंडाजी का मेला मार्च की पंचमी के दिन से शुरू हो जाता है। इस बार पंचमी 13 मार्च को थी। ऐसे में इसी दिन आरोहण करना था। 

श्रद्धालुओं की आंखे हुई नम 

शाम छह बजकर 40 मिनट पर फिर से झंडेजी का आरोहण होते ही श्रद्धालुओं की आंखें आस्था की भावुकता से नम हो गईं। श्रद्धालुओं ने इसे दरबार साहिब का आशीर्वाद बताया।

आरोहण के साथ गूंजे जयकारे

शाम को दरबार साहिब के सज्जादाशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास के सानिध्य में झंडेजी काआरोहण होते ही द्रोणनगरी दरबार साहिब की जय, झंडेजी के जयकारों से गूंज उठी। इसके बाद श्रद्धालुओं ने श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज का आशीर्वाद लिया। 

कुछ देर मायूस नजर आए श्रद्धालु

झंडा मेले के दौरान ध्वज दंड टूटने की घटना से देश-विदेश से आए श्रद्धालु करीब एक घंटे तक मायूस नजर आए। इस दौरान हर कोई यही चर्चा करता नजर आया कि अब क्या होगा। इस बीच कुछ श्रद्धालु अस्पताल भी पहुंचे और वहां भर्ती घायलों की कुशलक्षेम जानी। जब शाम छह बजे दरबार साहिब से सूचना मिली कि झंडा आरोहण कुछ ही देर बाद शुरू होगा, तब श्रद्धालुओं में फिर नई ऊर्जा आ गई। 

श्रद्धालु सुबह से ही झंडेजी के आरोहण के पल का बेसब्री से इंतजार करते नजर आ रहे थे। सुबह उन्होंने झंडेजी को दूध, दही, मक्खन, शक्कर व पंचामृत से स्नान कराया। झंडा साहिब को स्नान करवाने को भक्तों में होड़ लगी रही। हर कोई भक्त झंडा जी को छूने को बेताब था। जब झंडेजी को गिलाफ पहनाने की प्रक्रिया चली, उस दौरान सबसे पहले मारकीन के बने चालीस सादे गिलाफ चढ़ाए गए। 

इसके बाद मखमली कपड़े से तैयार किए गए शनील के बीस गिलाफ को अर्पण कर अंत में मखमली दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया। इसके बाद शिखर पर चंवर लगाया गया। दोपहर करीब तीन बजे जब श्रीमहंत देवेंद्र दास ने संगतों को झंडेजी के आरोहण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया तो संगतों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। लकड़ी से बनी चार कैंचियों व चार मोटे रस्सों की मदद से जैसे ही 105 फीट लंबे ध्वज दंड को उठाया गया, तभी शाम 4:40 बजे ध्वज दंड टूटकर संगतों पर गिर गया। 

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इस दौरान माहौल श्री गुरु राम राय महाराज के जयकारों से गूंज रहा था। दंड के टूटते ही संगतों में मायूसी छा गई। एक घंटे तक हर तरफ चर्चाएं चलती रहीं कि ये क्यों हुआ। हर कोई गुरू महाराज से क्षमा याचना करता रहा। जब दोबारा झंडेजी के आरोहण का कार्यक्रम तय हुआ, तब सभी श्रद्धालुओं में फिर उल्लास छा गया। 

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